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बड़े काम की है KMC, नवजात को बचाए इन खतरों से

नवजात में मृत्यु दर में कमी लाना किसी चुनौती से कम नहीं है, मगर कंगारू मदर केयर उम्मीद की किरण बन कर उभरी है. जिसको जान लेने से कुपोषित माता अपने बच्चों की जान बचा सकती है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Kangaroo Mother Care
कंगारू मदर केयर
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Published : Aug 12, 2022, 1:48 PM IST

Updated : Aug 12, 2022, 2:20 PM IST

रांचीः झारखंड में बड़ी संख्या में महिलाएं कुपोषण और खून की कमी की समस्या से जूझ रहीं हैं. प्रसव के बाद ऐसी महिलाओं के बच्चे भी कुपोषित होते हैं और अक्सर सामान्य से कम वजन के होते हैं. ऐसे नवजात के जीवन की रक्षा के लिए जिले के कई अस्पतालों में कंगारू मदर केयर यूनिट (KMC UNIT)की स्थापना की गई है. यहां मां बच्चे को अपने शरीर के टेंपरेचर की मदद से सुरक्षित रखती हैं और फीड भी करा सकती हैं.

ये भी पढ़ें-कम वजन वाले नवजात को सीने से लगाकर जीवन देती है मां, कंगारू मदर केयर से जल्दी तंदुरुस्त हो रहे नौनिहाल

सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि नवजात का शरीर मां के शरीर से गर्मी पाकर गर्म बना रहता है और इससे हाइपोथर्मिया का शिकार नहीं होता है. प्रख्यात महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. किरण चंदेल के अनुसार कंगारू मदर केयर यूनिट का दूसरा लाभ यह होता है कि नवजात और मां के करीब रहने से दोनों में मजबूत बॉन्डिंग बनती है और मां से नवजात को भरपूर मात्रा में दूध मिलता है, जिससे हाइपोग्लेसिमिया के खतरे से भी नवजात बच जाता है.

देखें पूरी खबर
नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मृत्युंजय सिंह कहते हैं कि जन्म के बाद कई नवजात के शरीर में ब्राउन फैट की कमी होती है, यह ब्राउन फैट ही शरीर के तापमान और वातावरण के तापमान के बीच एक बैरियर का काम करता है. ऐसे में जब कम वजन वाले नवजात में ब्राउन फैट कम होता है तो उनमें थर्मो रेगुलेशन ठीक से नहीं होने का खतरा बना रहता है. ऐसे में जब मां अपने शरीर से नवजात को घंटों चिपकाकर ठीक कंगारू के समान रखती है तो नवजात के शरीर के ठंडा पड़ जाने का खतरा समाप्त हो जाता है और नवजात किसी खतरे से बाहर निकल आता है. नवजात में मौत की बड़ी वजह हाइपोथर्मिया और हाइपो ग्लेसिमियाः डॉ. किरण चंदेल बताती हैं कि नवजात में मौत की बड़ी दो वजह हैं, हाइपो ग्लेसिमिया यानी शरीर में ग्लूकोज की कमी और हाइपोथर्मिया यानी शरीर का तापमान कम हो जाना. इन दोनों स्थितियों से बचाने में कंगारू मदर केयर सहायक होती है. ग्रामीण इलाकों में भी इस तकनीक को ले जाने की जरूरतः डॉ. किरण डॉ. किरण चंदेल का कहना है कि शहरों में तो अस्पताल में कंगारू मदर केयर सेंटर हैं और माता भी धीरे धीरे इस तकनीक को जानने लगी हैं . जरूरत है कि इस बेहद उपयोगी तकनीक को सुदूर क्षेत्रों में भी ले जाया जाए और हर मां को यह बताया जाए कि अपने नवजात को हर दिन अपने शरीर से चिपकाकर रखा जाए ताकि वह सुरक्षित रहे.

रांचीः झारखंड में बड़ी संख्या में महिलाएं कुपोषण और खून की कमी की समस्या से जूझ रहीं हैं. प्रसव के बाद ऐसी महिलाओं के बच्चे भी कुपोषित होते हैं और अक्सर सामान्य से कम वजन के होते हैं. ऐसे नवजात के जीवन की रक्षा के लिए जिले के कई अस्पतालों में कंगारू मदर केयर यूनिट (KMC UNIT)की स्थापना की गई है. यहां मां बच्चे को अपने शरीर के टेंपरेचर की मदद से सुरक्षित रखती हैं और फीड भी करा सकती हैं.

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सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि नवजात का शरीर मां के शरीर से गर्मी पाकर गर्म बना रहता है और इससे हाइपोथर्मिया का शिकार नहीं होता है. प्रख्यात महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. किरण चंदेल के अनुसार कंगारू मदर केयर यूनिट का दूसरा लाभ यह होता है कि नवजात और मां के करीब रहने से दोनों में मजबूत बॉन्डिंग बनती है और मां से नवजात को भरपूर मात्रा में दूध मिलता है, जिससे हाइपोग्लेसिमिया के खतरे से भी नवजात बच जाता है.

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नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मृत्युंजय सिंह कहते हैं कि जन्म के बाद कई नवजात के शरीर में ब्राउन फैट की कमी होती है, यह ब्राउन फैट ही शरीर के तापमान और वातावरण के तापमान के बीच एक बैरियर का काम करता है. ऐसे में जब कम वजन वाले नवजात में ब्राउन फैट कम होता है तो उनमें थर्मो रेगुलेशन ठीक से नहीं होने का खतरा बना रहता है. ऐसे में जब मां अपने शरीर से नवजात को घंटों चिपकाकर ठीक कंगारू के समान रखती है तो नवजात के शरीर के ठंडा पड़ जाने का खतरा समाप्त हो जाता है और नवजात किसी खतरे से बाहर निकल आता है. नवजात में मौत की बड़ी वजह हाइपोथर्मिया और हाइपो ग्लेसिमियाः डॉ. किरण चंदेल बताती हैं कि नवजात में मौत की बड़ी दो वजह हैं, हाइपो ग्लेसिमिया यानी शरीर में ग्लूकोज की कमी और हाइपोथर्मिया यानी शरीर का तापमान कम हो जाना. इन दोनों स्थितियों से बचाने में कंगारू मदर केयर सहायक होती है. ग्रामीण इलाकों में भी इस तकनीक को ले जाने की जरूरतः डॉ. किरण डॉ. किरण चंदेल का कहना है कि शहरों में तो अस्पताल में कंगारू मदर केयर सेंटर हैं और माता भी धीरे धीरे इस तकनीक को जानने लगी हैं . जरूरत है कि इस बेहद उपयोगी तकनीक को सुदूर क्षेत्रों में भी ले जाया जाए और हर मां को यह बताया जाए कि अपने नवजात को हर दिन अपने शरीर से चिपकाकर रखा जाए ताकि वह सुरक्षित रहे.
Last Updated : Aug 12, 2022, 2:20 PM IST
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