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रांची: रिम्स की कुव्यवस्था ने ली नवजात की जान, काम पर लौटे जूनियर डॉक्टर

रांची के रिम्स की कुव्यवस्था की वजह से एक नवजात बच्चे की जान चली गई. नवजात को समय पर ऑक्सीजन नहीं मिल पाया था. वहीं सुरक्षा की मांग पर अड़े जूनियर डॉक्टरों ने रिम्स प्रबंधन की तरफ से आश्वासन मिलने के बाद कार्य बहिष्कार का फैसला वापस लिया और काम पर लौटे.

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रिम्स में बच्चे की हुई मौत
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Published : Oct 29, 2020, 9:59 AM IST

रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स की कुव्यवस्था से मानवता शर्मसार हुई है. एक नवजात को ऑक्सीजन की जरूरत थी. गोद में लिए उसकी दादी इमरजेंसी के बाहर एंबुलेंस में 3 घंटे तक इंतजार करती रही. बाद में ऑक्सीजन लगाकर बच्चे को वार्ड में ले जाया गया, लेकिन बच्चा नहीं बच पाया.

बच्चे की हुई मौत
नवजात की नानी शबनम परवीन के मुताबिक उनकी बेटी सिंपी परवीन को प्रसव पीड़ा होने के चलते बस्ती से रांची के सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. सदर अस्पताल में बच्चे का जन्म हुआ, लेकिन उसकी स्थिति अच्छी नहीं थी. इसलिए 108 एंबुलेंस से बच्चे को रिम्स भेजा गया, लेकिन ऑक्सीजन सिलिंडर नहीं होने के कारण ट्रॉली मैन ने बच्चे को नहीं उतारा. फिर सुरक्षा सुपरवाइजर प्रणव कुमार की पहल पर ऑक्सीजन मिली, लेकिन शिशु वार्ड में बच्चे को ले जाते ही उसे मृत घोषित कर दिया गया. रिम्स के अधीक्षक डॉ. डीके सिन्हा ने कहा है कि उन्हें इस बात की जानकारी मिली है. पूरे मामले की जांच होगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. नर्सिंग इंचार्ज ने बताया कि ऑक्सीजन सिलिंडर मौजूद था. किसी भी ट्रॉली मैन ने इसकी मांग नहीं की थी. लेकिन ट्रॉली मैन का कहना था कि सिलिंडर नहीं था. इस घटना की चौतरफा निंदा हो रही है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर अभी तक कुछ नहीं हुई है.

जेडीए ने कार्य बहिष्कार वापस लिया
सुरक्षा की मांग पर अड़े जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की तरफ से कार्य बहिष्कार करने से रिम्स में ओपीडी सेवा पर भी असर पड़ा है. 11:00 बजे के आसपास ओपीडी में इलाज कराने आए मरीजों ने हंगामा भी किया. रिम्स अधीक्षक ने इसकी सूचना एसएसपी को दी. इसके बाद एक डीएसपी पहुंचे और जूनियर डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर बैठक हुई. फैसला लिया गया कि इमरजेंसी और ब्लड बैंक के अलावा डॉक्टरों के वार्ड भ्रमण के दौरान कोरिडोर में भी पुलिस की तैनाती रहेगी. उपाधीक्षक और अधीक्षक के कार्यालय के पास और ओपीडी इलाके में भी पुलिस मुस्तैद रहेगी. रिम्स प्रबंधन की तरफ से मिले आश्वासन के बाद जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने दोपहर 2:00 बजे कार्य बहिष्कार का फैसला वापस ले लिया और काम पर लौट आए.

इसे भी पढ़ें-रांचीः जमीन में इन्वेस्ट करवाने के नाम पर करोड़ों की ठगी, शाइन सिटी प्रोजेक्ट के खिलाफ शिकायत दर्ज

निरीक्षण के दौरान दिखी कई खामियां
रिम्स अधीक्षक डॉ. डीके सिन्हा ने उपाधीक्षक के साथ इमरजेंसी और ओपीडी व्यवस्था का निरीक्षण किया. इस दौरान कई खामियां नजर आईं. ओपीडी कॉम्प्लेक्स के पास सीढ़ी के नीचे दो लावारिस मरीज बेहाल स्थिति में दिखे. वहां से बदबू भी आ रही थी. उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था. अधीक्षक ने तत्काल हेड मेठ को समुचित व्यवस्था करने का निर्देश दिया. निरीक्षण के दौरान इमरजेंसी में डॉक्टर नहीं होने के कारण मरीजों को हो रही परेशानी की बात भी सामने आई. इसी क्रम में नवजात को ऑक्सीजन नहीं मिलने से मौत का मामला भी सामने आया. हद तो यह है कि रिम्स का पूरा इमरजेंसी सिस्टम दो जूनियर नर्सों के भरोसे चल रहा था. कुव्यवस्था से बिफरे अधीक्षक ने कहा कि गुरुवार से अगर वक्त पर डॉक्टर मौजूद नहीं रहेंगे तो उन्हें अनुपस्थित करार देते हुए कार्रवाई की जाएगी.

रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स की कुव्यवस्था से मानवता शर्मसार हुई है. एक नवजात को ऑक्सीजन की जरूरत थी. गोद में लिए उसकी दादी इमरजेंसी के बाहर एंबुलेंस में 3 घंटे तक इंतजार करती रही. बाद में ऑक्सीजन लगाकर बच्चे को वार्ड में ले जाया गया, लेकिन बच्चा नहीं बच पाया.

बच्चे की हुई मौत
नवजात की नानी शबनम परवीन के मुताबिक उनकी बेटी सिंपी परवीन को प्रसव पीड़ा होने के चलते बस्ती से रांची के सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. सदर अस्पताल में बच्चे का जन्म हुआ, लेकिन उसकी स्थिति अच्छी नहीं थी. इसलिए 108 एंबुलेंस से बच्चे को रिम्स भेजा गया, लेकिन ऑक्सीजन सिलिंडर नहीं होने के कारण ट्रॉली मैन ने बच्चे को नहीं उतारा. फिर सुरक्षा सुपरवाइजर प्रणव कुमार की पहल पर ऑक्सीजन मिली, लेकिन शिशु वार्ड में बच्चे को ले जाते ही उसे मृत घोषित कर दिया गया. रिम्स के अधीक्षक डॉ. डीके सिन्हा ने कहा है कि उन्हें इस बात की जानकारी मिली है. पूरे मामले की जांच होगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. नर्सिंग इंचार्ज ने बताया कि ऑक्सीजन सिलिंडर मौजूद था. किसी भी ट्रॉली मैन ने इसकी मांग नहीं की थी. लेकिन ट्रॉली मैन का कहना था कि सिलिंडर नहीं था. इस घटना की चौतरफा निंदा हो रही है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर अभी तक कुछ नहीं हुई है.

जेडीए ने कार्य बहिष्कार वापस लिया
सुरक्षा की मांग पर अड़े जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की तरफ से कार्य बहिष्कार करने से रिम्स में ओपीडी सेवा पर भी असर पड़ा है. 11:00 बजे के आसपास ओपीडी में इलाज कराने आए मरीजों ने हंगामा भी किया. रिम्स अधीक्षक ने इसकी सूचना एसएसपी को दी. इसके बाद एक डीएसपी पहुंचे और जूनियर डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर बैठक हुई. फैसला लिया गया कि इमरजेंसी और ब्लड बैंक के अलावा डॉक्टरों के वार्ड भ्रमण के दौरान कोरिडोर में भी पुलिस की तैनाती रहेगी. उपाधीक्षक और अधीक्षक के कार्यालय के पास और ओपीडी इलाके में भी पुलिस मुस्तैद रहेगी. रिम्स प्रबंधन की तरफ से मिले आश्वासन के बाद जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने दोपहर 2:00 बजे कार्य बहिष्कार का फैसला वापस ले लिया और काम पर लौट आए.

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निरीक्षण के दौरान दिखी कई खामियां
रिम्स अधीक्षक डॉ. डीके सिन्हा ने उपाधीक्षक के साथ इमरजेंसी और ओपीडी व्यवस्था का निरीक्षण किया. इस दौरान कई खामियां नजर आईं. ओपीडी कॉम्प्लेक्स के पास सीढ़ी के नीचे दो लावारिस मरीज बेहाल स्थिति में दिखे. वहां से बदबू भी आ रही थी. उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था. अधीक्षक ने तत्काल हेड मेठ को समुचित व्यवस्था करने का निर्देश दिया. निरीक्षण के दौरान इमरजेंसी में डॉक्टर नहीं होने के कारण मरीजों को हो रही परेशानी की बात भी सामने आई. इसी क्रम में नवजात को ऑक्सीजन नहीं मिलने से मौत का मामला भी सामने आया. हद तो यह है कि रिम्स का पूरा इमरजेंसी सिस्टम दो जूनियर नर्सों के भरोसे चल रहा था. कुव्यवस्था से बिफरे अधीक्षक ने कहा कि गुरुवार से अगर वक्त पर डॉक्टर मौजूद नहीं रहेंगे तो उन्हें अनुपस्थित करार देते हुए कार्रवाई की जाएगी.

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