रांची: इस बीमारी में रक्त को जमाने वाले प्रोटीन फैक्टर 8 और फैक्टर 9 की मात्रा कम हो जाती है. हीमोफिलिया के मरीज का अगर सही समय पर उपचार नहीं होता है तो मरीज की जान भी जा सकती है. झारखंड हीमोफिलिया सोसाइटी ने भी विश्व हीमोफिलिया दिवस के मौके पर हीमोफिलिया के मरीजों को मीडिया के माध्यम से अपील करते हुए कहा कि लॉकडाउन के दौरान हीमोफिलिया के जो भी गंभीर मरीज हैं और उन्हें अत्यधिक परेशानी हो रही है, वह नजदीकी डे केयर सेंटर पर आकर अपना इलाज करा सकते हैं.
झारखंड हीमोफिलिया सोसायटी के सचिव संतोष जायसवाल ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से विश्व हीमोफिलिया दिवस पर इस वर्ष किसी तरह का कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया है, लेकिन राज्य के सभी हीमोफिलिया मरीजों के बेहतर स्वास्थ्य को लेकर झारखंड हीमोफिलिया सोसाइटी लगातार अपनी निगरानी बनाए हुए है. उन्होंने मरीजों के लिए जानकारी देते हुए बताया कि राज्य के पांच सदर अस्पतालों में डे केयर सेंटर मौजूद हैं, जहां पर हीमोफिलिया के मरीजों के लिए फैक्टर 8 और फैक्टर 9 की दवा उपलब्ध है.
लॉकडाउन के दौरान किसी मरीज के शरीर से अत्यधिक रक्त रिसाव हो रहा है तो वह तुरंत ही एंबुलेंस में जाकर अपने नजदीकी डे केयर सेंटर पर दवा ले सकते हैं. रांची, गिरिडीह, दुमका, डाल्टनगंज और जमशेदपुर के सदर अस्पताल में हीमोफिलिया के मरीजों के लिए फैक्टर 8 और फैक्टर 9 की दवा उपलब्ध है. इसके अलावा धनबाद के मेडिकल कॉलेज पीएमसीएच और रांची रिम्स में भी हीमोफिलिया के मरीजों की दवा उपलब्ध है.
ये भी पढ़ें: हम दवाओं के निर्यात में व्यस्त, पाकिस्तान कर रहा सिर्फ आतंक का निर्यात : सेना प्रमुख
साथ ही राजधानी का रिम्स अस्पताल हीमोफिलिया का स्टेट हायर सेंटर है, जहां पर हीमोफिलिया के मरीजों की सर्जरी भी की जाती है. वहीं, कोरोना के बढ़ते संकट की वजह से हुए लॉकडाउन को देखते हुए रिम्स के फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. देवेन कुमार मुंडा ने हीमोफिलिया के मरीजों से घरों में रहने की अपील की गई है. साथ ही हीमोफिलिया के मरीजों को राहत पाने के लिए हल्के-फुल्के व्यायाम करने की भी सलाह दी गई है. लॉकडाउन के दौरान हीमोफिलिया के मरीजों के लिए डॉक्टर देवेन मुंडा ने सलाह देते हुए कहा कि हीमोफिलिया के मरीज प्रत्येक घंटे 2 घंटे पर शरीर के प्रत्येक जोड़ों का मूवमेंट करते रहें, ताकि उनके शरीर पर सूजन ना आ सके.
ये भी पढ़ें: भारत में कोरोना मृतकों का आंकड़ा 452 तक पहुंचा, 1767 मरीज हुए स्वस्थ
वहीं, उन्होंने कहा कि अगर किसी तरह की सूजन की संभावना बनती है तो बर्फ का प्रयोग करें, ताकि रक्त का रिसाव शरीर में ना हो सके और तत्काल प्रभाव से ऐसे मरीजों को राहत मिल सके. बता दें कि झारखंड में लगभग 700 हीमोफिलिया के निबंधित मरीज हैं. जिसे झारखंड हीमोफिलिया सोसायटी द्वारा नियमित रूप से समुचित इलाज कराया जा रहा है और लॉकडाउन के दौरान भी ऐसे मरीजों पर विशेष निगरानी रखी गई है, ताकि किसी भी मरीज की अत्यधिक रक्त रिसाव से जान न जा सकें.