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JPCC के अध्यक्ष पद से डॉ. अजय कुमार ने दिया इस्तीफा, 4 पन्नों के खत में बताई वजह

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Published : Aug 9, 2019, 7:12 PM IST

महीनों से कांग्रेस पार्टी में आपसी कलह जारी है, कई वरिष्ठ नेताओं ने एक दूसरे पर जमकर हमला किया. जिसका खामियाजा भी पार्टी को भुगतना पड़ा है. इसी बीच प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से डॉ अजय कुमार ने इस्तीफा दे दिया है, जिससे राजनीतिक सरगर्मी और तेज हो गई है.

डॉ अजय कुमार ने दिया इस्तीफा

रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से डॉ अजय कुमार ने इस्तीफा दे दिया है. अजय कुमार ने 4 पन्नों का पत्र भी जारी किया है. जिसमें उन्होंने पिछले डेढ़ सालों में अपने किए गए कार्यों का उल्लेख किया है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि झारखंड में पार्टी को सुधारने की दिशा में मेरे सभी प्रयास चंद लोगों के निहित स्वार्थों के कारण अवरुद्ध होते रहा.

देखें पूरी खबर

डॉ. अजय कुमार ने अपने द्वारा जारी किए गए पत्र में लिखा है कि पहले यह देखा गया कि अधिकांश कार्यकर्ता पार्टी को छोड़ केवल अपने प्रिय नेताओं के प्रति वफादार थे. ऐसे में उन्हें पार्टी के प्रति जिम्मेवार बनाने का प्रयास मेरे द्वारा किया गया है.

इसे भी पढ़ें:- JMM का रघुवर सरकार पर हमला, कहा- आदिवासी विरोधी है मानसिकता

वरिष्ठ नेताओं पर लगाए आरोप
वहीं, उन्होंने लिखा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में खूंटी को मात्र 1000 मतों से और लोहरदगा को 7000 मतों से हारना अत्यंत दुखद रहा. जबकि झारखंड के छह कांग्रेस सीटों पर जीत की संभावना थी. उन्होंने पत्र में कुछ नेताओं पर निजी हित में काम करने का भी आरोपी लगाया है. उन्होंने लिखा है कि हमारी पार्टी के कुछ नेता जिसमें सुबोधकांत सहाय, रामेश्वर उरांव, प्रदीप बलमुचू, चंद्रशेखर दूबे, फुरकान अंसारी और कई अन्य वरिष्ठ नेता केवल राजनीतिक पदों को हथियाने में लगे हैं और लाभ के लिए पार्टी हित को ताक पर रखने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं.

सुबोधकांत सहाय पर पार्टी मुख्यालय पर हमला कराने का आरोप
डॉ. अजय कुमार ने लिखा है कि वह सभी अपमानों और बाधाओं को नजरअंदाज करते आए, लेकिन मेरी ही पार्टी के सदस्यों ने मुझ पर पार्टी कार्यालय में हमला करने के लिए गुंडों को काम पर रखा. उन्होंने लिखा है कि सुबोधकांत सहाय जैसे तथाकथित कद्दावर नेता का प्रदेश पार्टी मुख्यालय में किन्नरों से उत्पात मचाने के लिए प्रोत्साहित करना एक बेहद स्तरहीन और घटिया हरकत थी. इस समस्या की जड़ बेहद गहरी है.

उन्होंने यहां तक लिखा है कि राज्य के चंद नेता पैसे की ताकत पर लोगों को दिल्ली ले जाते हैं और राज्य में पार्टी के बारे में झूठी कहानी बनाने के एकमात्र उद्देश्य के साथ उन्हें होटलों में ठहराते हैं. ऐसे नेता पैसा खर्च करने के लिए तैयार रहते हैं.लेकिन पार्टी हित में 5 हजार रुपये का प्रतिमाह योगदान करने को तैयार नहीं है.

आलमगीर आलम के कामों की तारीफ
डॉ. अजय कुमार ने विधायक दल के नेता आलमगीर आलम के कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें प्रतिष्ठित सहयोगी बताया है. उन्होंने लिखा है कि भ्रष्टाचार या किसी भी प्रकार के गलत समझौते के लिए मेरी शून्य सहिष्णुता मुझे अपना काम प्रभावी ढंग से करने में रोकती है. इस पत्र को झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में इस्तीफे के तौर पर मेरे औपचारिक पत्र के रूप में स्वीकार करें.

रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से डॉ अजय कुमार ने इस्तीफा दे दिया है. अजय कुमार ने 4 पन्नों का पत्र भी जारी किया है. जिसमें उन्होंने पिछले डेढ़ सालों में अपने किए गए कार्यों का उल्लेख किया है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि झारखंड में पार्टी को सुधारने की दिशा में मेरे सभी प्रयास चंद लोगों के निहित स्वार्थों के कारण अवरुद्ध होते रहा.

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डॉ. अजय कुमार ने अपने द्वारा जारी किए गए पत्र में लिखा है कि पहले यह देखा गया कि अधिकांश कार्यकर्ता पार्टी को छोड़ केवल अपने प्रिय नेताओं के प्रति वफादार थे. ऐसे में उन्हें पार्टी के प्रति जिम्मेवार बनाने का प्रयास मेरे द्वारा किया गया है.

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वरिष्ठ नेताओं पर लगाए आरोप
वहीं, उन्होंने लिखा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में खूंटी को मात्र 1000 मतों से और लोहरदगा को 7000 मतों से हारना अत्यंत दुखद रहा. जबकि झारखंड के छह कांग्रेस सीटों पर जीत की संभावना थी. उन्होंने पत्र में कुछ नेताओं पर निजी हित में काम करने का भी आरोपी लगाया है. उन्होंने लिखा है कि हमारी पार्टी के कुछ नेता जिसमें सुबोधकांत सहाय, रामेश्वर उरांव, प्रदीप बलमुचू, चंद्रशेखर दूबे, फुरकान अंसारी और कई अन्य वरिष्ठ नेता केवल राजनीतिक पदों को हथियाने में लगे हैं और लाभ के लिए पार्टी हित को ताक पर रखने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं.

सुबोधकांत सहाय पर पार्टी मुख्यालय पर हमला कराने का आरोप
डॉ. अजय कुमार ने लिखा है कि वह सभी अपमानों और बाधाओं को नजरअंदाज करते आए, लेकिन मेरी ही पार्टी के सदस्यों ने मुझ पर पार्टी कार्यालय में हमला करने के लिए गुंडों को काम पर रखा. उन्होंने लिखा है कि सुबोधकांत सहाय जैसे तथाकथित कद्दावर नेता का प्रदेश पार्टी मुख्यालय में किन्नरों से उत्पात मचाने के लिए प्रोत्साहित करना एक बेहद स्तरहीन और घटिया हरकत थी. इस समस्या की जड़ बेहद गहरी है.

उन्होंने यहां तक लिखा है कि राज्य के चंद नेता पैसे की ताकत पर लोगों को दिल्ली ले जाते हैं और राज्य में पार्टी के बारे में झूठी कहानी बनाने के एकमात्र उद्देश्य के साथ उन्हें होटलों में ठहराते हैं. ऐसे नेता पैसा खर्च करने के लिए तैयार रहते हैं.लेकिन पार्टी हित में 5 हजार रुपये का प्रतिमाह योगदान करने को तैयार नहीं है.

आलमगीर आलम के कामों की तारीफ
डॉ. अजय कुमार ने विधायक दल के नेता आलमगीर आलम के कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें प्रतिष्ठित सहयोगी बताया है. उन्होंने लिखा है कि भ्रष्टाचार या किसी भी प्रकार के गलत समझौते के लिए मेरी शून्य सहिष्णुता मुझे अपना काम प्रभावी ढंग से करने में रोकती है. इस पत्र को झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में इस्तीफे के तौर पर मेरे औपचारिक पत्र के रूप में स्वीकार करें.

Intro:रांची.झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से डॉ अजय कुमार ने इस्तीफा दे दिया है.इस बाबत 4 पन्नों का पत्र जारी किया गया है. जिसमें उन्होंने पिछले डेढ़ सालों में अपने किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए लिखा है कि झारखंड में पार्टी को सुधारने की दिशा में मेरे सभी प्रयास चंद लोगों के निहित स्वार्थों के कारण अवरुद्ध होते रहे.पहले यह देखा गया कि अधिकांश कार्यकर्ता पार्टी को छोड़ केवल अपने संबंधित नेताओं के प्रति वफादार थे. ऐसे में उन्हें पार्टी के प्रति जिम्मेवार बनाने का प्रयास मेरे द्वारा किया गया है.


Body:वहीं उन्होंने लिखा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में खूंटी को मात्र 1000 मतों से और लोहरदगा को 7000 मतों से हारना अत्यंत दुखद रहा. जबकि झारखंड के छह कांग्रेस सीटों में जीत की संभावना थी. अगर हमारे नेताओं ने पार्टी के हित को निजी हित के ऊपर रखा होता तो यह संभव हो पाता.उन्होंने लिखा है कि हमारी पार्टी के कुछ नेता जिसमें सुबोधकांत सहाय,रामेश्वर उरांव, प्रदीप बालमुचू, चंद्रशेखर दूबे,फुरकान अंसारी और कई अन्य वरिष्ठ नेता केवल राजनीतिक पदों को हथियाने में लगे हैं और लाभ के लिए पार्टी हित को ताक पर रखने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं.

उन्होंने लिखा है कि वह सभी आपमानो और बाधाओं को नजरअंदाज करते आए.लेकिन मेरी ही पार्टी के सदस्यों ने ही मुझ पर पार्टी कार्यालय में हमला करने के लिए गुंडों को काम पर रखा.उन्होंने लिखा है कि सुबोधकांत सहाय जैसे तथाकथित कद्दावर नेता का प्रदेश पार्टी मुख्यालय में किन्नरों से उत्पात मचाने के लिए प्रोत्साहित करना एक बेहद स्तरहीन और घटिया हरकत थी.इस समस्या की जड़ है बेहद गहरी है.


उन्होंने यहां तक लिखा है कि राज्य के चंद नेता पैसे की ताकत पर लोगों को दिल्ली ले जाते हैं और राज्य में पार्टी के बारे में झूठी कहानी बनाने के एकमात्र उद्देश्य के साथ उन्हें होटलों में ठहराते हैं. ऐसे नेता पैस खर्च करने के लिए तैयार रहते हैं.लेकिन पार्टी हित में 5 हजार रुपये का प्रतिमाह योगदान करने को तैयार नहीं है.




Conclusion:उन्होंने विधायक दल के नेता आलमगीर आलम के कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें प्रतिष्ठित सहयोगी बताया है.उन्होंने लिखा है कि भ्रष्टाचार या किसी भी प्रकार की गलत समझौते के लिए मेरी शून्य सहिष्णुता मुझे अपना काम प्रभावी ढंग से करने में रोकती है. इस पत्र को झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में इस्तीफे के तौर पर मेरे औपचारिक पत्र के रूप में स्वीकार करें.
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