रांची: आज पूरा देश दीपावली मना रहा है. दीपावली और धनतेरस के अवसर पर कोई जेवर खरीद रहा है तो कोई महंगी गाड़ी खरीद रहा है. सभी लोग अपने-अपने तरह से दिवाली मना रहे हैं. रांची में एक तबका ऐसा भी है जिनके लिए क्या दिवाली और क्या दशहरा. ऐसे लोगों का जीवन एक ही ढर्रे पर चलती है. पर्व त्योहार के मौके पर भी ये तबका सरकार द्वारा संचालित दाल-भात केंद्र या फिर गै-सरकारी संस्था द्वारा दिये जाने वाले भोजन पर आश्रित रहता है.
दिवाली में भी दाल-भात केंद्र पर आश्रित गरीब तबकाः राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलों में दाल-भात केंद्र का संचालन किया जा रहा है. जहां मात्र पांच रुपए में गरीबों को दाल-भात और सब्जी दी जा रही है. रांची में दाल-भात केंद्र का संचालन करने वाली श्रुति कुमारी ने इस संबंध में बताया कि केंद्र पर आने वाले सभी गरीब हैं. कोई रिक्शा चालक है तो कोई भीख मांग कर खाना खा रहा है. इनके लिए दीपावली और आम दिन बराबर हैं. इसलिए सरकारी आदेश के अनुसार आज भी इस केंद्र पर काम करने वाले सभी लोग मौजूद हैं, ताकि गरीबों को खाना मुहैया हो सके. केंद्र पर आने वाले लोगों ने बताया कि वह गरीब और लाचार हैं. उनके पास इतना पैसा नहीं है कि दीपावली के दिन वह कुछ खास खाना खा सकें. इसलिए वह सरकार के इस दाल-भात केंद्र पर पहुंचकर प्रतिदिन की तरह आज भी खाना खाने पहुंचे हैं. इसी तरह गरीबों की दिवाली मन रही है.
मजदूर वर्ग के लिए वरदान है दाल-भात केंद्रः दाल भात केंद्र की संचालिका श्रुति कुमारी बताती हैं कि सरकार की तरफ से चावल-दाल मुहैया कराई जाती है. वहीं सब्जियां लोगों से मिलने वाले पैसे से खरीदी जाती हैं. उन्होंने बताया कि प्रतिदिन 500 से 600 लोग केंद्र पर पहुंचते हैं और सभी को समय पर चावल, दाल और सब्जी मुहैया कराई जाती है. रिक्शा चालक, ठेला चालक, मजदूर जैसे लोगों के लिए यही केंद्र एकमात्र सहारा है.
गरीबों के लिए दशहरा-दिवाली और आम दिन में अंतर नहींः झारखंड जैसे राज्य में आज भी लाखों लोग गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर कर रहे हैं. जिनके लिए दीपावली और आम दिनों में कोई अंतर नहीं है. वह प्रतिदिन काम नहीं करेंगे तो उनके लिए खाना भी खाना मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में झारखंड सरकार की यह योजना गरीबों के लिए अत्यंत लाभकारी है. दाल भात केंद्र के माध्यम से गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले लोगों को दो वक्त का खाना मुहैया कराया जा रहा है. जरूरत है ऐसी योजनाओं को और भी मजबूत और बेहतर बनाने की, ताकि समाज के अंतिम पायदान पर बैठे लोगों तक ऐसी योजना पहुंच सके.