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मिड डे मील और कुकिंग कॉस्ट के पैसे डकार गए अधिकारी! इंतजार करते रह गए लोग

कोरोना काल में झारखंड के सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना में कई गड़बड़ियां सामने आ रही है. स्कूल बंद होने के कारण पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के घर जाकर चावल और कुकिंग कॉस्ट के पैसे देने हैं और राज्य भर में लगभग 40 फीसदी बच्चों को कुकिंग कॉस्ट के पैसे अब तक मिले ही नहीं हैं.

Disturbances in mid-day meal distribution and cooking cost
रांची में मिड डे मील वितरण और कुकिंग कॉस्ट की राशी में गड़बड़ी
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Published : Feb 24, 2021, 5:22 PM IST

Updated : Feb 24, 2021, 6:11 PM IST

रांची: कोरना काल के दौरान मिड डे मील वितरण और दी जाने वाली राशि को लेकर लगातार गड़बड़ी का मामला सामने आ रहा है. मिड डे मील वितरण करने वाले शिक्षकों पर आरोप लगाए जा रहे हैं. इन मामलों की पड़ताल करने ईटीवी भारत की टीम रांची के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंची. इस दौरान हमारी टीम ने लाभुकों से खुलकर बातचीत की है. इस दौरान जो तथ्य उजागर हुए हैं, वह वाकई चौंकाने वाला है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-पीडीएस डीलर की मनमानी से परेशान ग्रामीण, शिकायत लेकर पहुंची समाहरणालय

40 फीसदी बच्चों नहीं मिले कुकिंग कॉस्ट के पैसे

कोरोना काल में राज्य के सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना में कई गड़बड़ियां सामने आ रही हैं. स्कूल बंद होने के कारण पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के घर जाकर चावल और कुकिंग कॉस्ट के पैसे देने हैं. हालांकि, राज्य भर में लगभग 40 फीसदी बच्चों को कुकिंग कॉस्ट के पैसे अब तक मिले ही नहीं हैं. मध्याहन भोजन प्राधिकरण को इसकी शिकायतें भी मिली है. इसके बावजूद ग्राउंड लेवल पर किसी भी अधिकारी ने इसकी निगरानी नहीं रखी है. मामले में दक्षिणी छोटानागपुर के शिक्षा उप निदेशक अरविंद विजय बिलुंग ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में आया ही नहीं है. ये अधिकारी ना तो क्षेत्र का भ्रमण करते हैं और ना ही अपने कनीय अधिकारियों को इसे लेकर कोई निर्देश ही देते हैं. ऐसे में इन को इतने बड़े गोलमाल के बारे में कैसे जानकारी होगी.

Disturbances in mid-day meal distribution and cooking cost
खेलते बच्चे

लोगों को दिया जा रहा धोखा

ग्रामीण क्षेत्रों में जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो पड़ताल के दौरान पता चला कि अब तक बच्चों को कोरोना काल के दौरान मात्र दो से तीन बार ही मिड डे मील का चावल मिला है, साथ ही कुकिंग कॉस्ट के पैसे भी उन्हें अब तक नहीं मिला है. स्कूल के शिक्षकों की ओर से कहा जाता है कि बैंक अकाउंट में रुपए भेजे जा रहे हैं, लेकिन जब अकाउंट चेक किए जाते हैं तो अकाउंट खाली मिलता है. यह मामला सिर्फ रांची जिले का नहीं है, बल्कि राज्य के विभिन्न जिलों में मिड डे मील को लेकर गड़बड़ियां हुई हैं. रांची से 25 किलोमीटर दूर उत्क्रमित उच्च और कई मध्य विद्यालयों के अधिकतर बच्चों को कोरोना काल में चावल दिए ही नहीं गए हैं. उन्हें कुकिंग कॉस्ट के रुपये भी नहीं मिले हैं. रांची के अनगड़ा, चन्हो, बुंडू और तमाड़ क्षेत्र से भी ऐसी ही शिकायतें मिली है.

ये भी पढ़ें-सरकारी राशन की कालाबाजारी की आशंका में ताबड़तोड़ छापामारी, स्टॉक का दस्तावेजों से मिलान न होने पर दुकान-गोदाम सील

4 फेज में दी गई है कुकिंग कॉस्ट की राशि

बताते दें कि सरकारी स्कूलों को 4 फेज में राशि भेजी गई है. पहले फेज में 17 मार्च से 14 अप्रैल में सर्वाधिक गड़बड़ियों की शिकायतें मिली है. पहले से पांचवीं तक के बच्चों को 2 किलो चावल और 113. 7 पैसे कुकिंग कॉस्ट देने है, जबकि छठी से आठवीं तक के बच्चों को 3 किलो चावल और 158 .20 पैसे देने हैं. पहली से पांचवी तक के बच्चों के लिए रोज 4.48 पैसे कुकिंग कॉस्ट देना है, जबकि छठी से आठवीं तक के बच्चों को 6 .71 पैसे इन्हें देने है, लेकिन बच्चों के अकाउंट पर ना तो कुकिंग कॉस्ट के पैसे पहुंचे हैं और ना ही नियमित रूप से उन्हें चावल मध्यान भोजन में दिए जाने वाले खाद्यान्न ही मुहैया कराया जा रहा है.

Disturbances in mid-day meal distribution and cooking cost
मिड डे मील के लिए थाली लेकर खड़े बच्चे

योजना का लाभ

ईटीवी भारत की पड़ताल में यह पता चला कि वाकई में मिड डे मील में भारी गड़बड़ियां हैं, लेकिन कार्रवाई तो क्या इस ओर विभाग का ध्यान ही नहीं है. विभाग के अधिकारी भी मामले को लेकर अनभिज्ञ है, जबकि ग्राउंड लेवल पर अभिभावक और बच्चों को इस योजना का लाभ मिला ही नहीं है.

Disturbances in mid-day meal distribution and cooking cost
मिड डे मील खाते बच्चे

रांची: कोरना काल के दौरान मिड डे मील वितरण और दी जाने वाली राशि को लेकर लगातार गड़बड़ी का मामला सामने आ रहा है. मिड डे मील वितरण करने वाले शिक्षकों पर आरोप लगाए जा रहे हैं. इन मामलों की पड़ताल करने ईटीवी भारत की टीम रांची के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंची. इस दौरान हमारी टीम ने लाभुकों से खुलकर बातचीत की है. इस दौरान जो तथ्य उजागर हुए हैं, वह वाकई चौंकाने वाला है.

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40 फीसदी बच्चों नहीं मिले कुकिंग कॉस्ट के पैसे

कोरोना काल में राज्य के सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना में कई गड़बड़ियां सामने आ रही हैं. स्कूल बंद होने के कारण पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के घर जाकर चावल और कुकिंग कॉस्ट के पैसे देने हैं. हालांकि, राज्य भर में लगभग 40 फीसदी बच्चों को कुकिंग कॉस्ट के पैसे अब तक मिले ही नहीं हैं. मध्याहन भोजन प्राधिकरण को इसकी शिकायतें भी मिली है. इसके बावजूद ग्राउंड लेवल पर किसी भी अधिकारी ने इसकी निगरानी नहीं रखी है. मामले में दक्षिणी छोटानागपुर के शिक्षा उप निदेशक अरविंद विजय बिलुंग ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में आया ही नहीं है. ये अधिकारी ना तो क्षेत्र का भ्रमण करते हैं और ना ही अपने कनीय अधिकारियों को इसे लेकर कोई निर्देश ही देते हैं. ऐसे में इन को इतने बड़े गोलमाल के बारे में कैसे जानकारी होगी.

Disturbances in mid-day meal distribution and cooking cost
खेलते बच्चे

लोगों को दिया जा रहा धोखा

ग्रामीण क्षेत्रों में जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो पड़ताल के दौरान पता चला कि अब तक बच्चों को कोरोना काल के दौरान मात्र दो से तीन बार ही मिड डे मील का चावल मिला है, साथ ही कुकिंग कॉस्ट के पैसे भी उन्हें अब तक नहीं मिला है. स्कूल के शिक्षकों की ओर से कहा जाता है कि बैंक अकाउंट में रुपए भेजे जा रहे हैं, लेकिन जब अकाउंट चेक किए जाते हैं तो अकाउंट खाली मिलता है. यह मामला सिर्फ रांची जिले का नहीं है, बल्कि राज्य के विभिन्न जिलों में मिड डे मील को लेकर गड़बड़ियां हुई हैं. रांची से 25 किलोमीटर दूर उत्क्रमित उच्च और कई मध्य विद्यालयों के अधिकतर बच्चों को कोरोना काल में चावल दिए ही नहीं गए हैं. उन्हें कुकिंग कॉस्ट के रुपये भी नहीं मिले हैं. रांची के अनगड़ा, चन्हो, बुंडू और तमाड़ क्षेत्र से भी ऐसी ही शिकायतें मिली है.

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4 फेज में दी गई है कुकिंग कॉस्ट की राशि

बताते दें कि सरकारी स्कूलों को 4 फेज में राशि भेजी गई है. पहले फेज में 17 मार्च से 14 अप्रैल में सर्वाधिक गड़बड़ियों की शिकायतें मिली है. पहले से पांचवीं तक के बच्चों को 2 किलो चावल और 113. 7 पैसे कुकिंग कॉस्ट देने है, जबकि छठी से आठवीं तक के बच्चों को 3 किलो चावल और 158 .20 पैसे देने हैं. पहली से पांचवी तक के बच्चों के लिए रोज 4.48 पैसे कुकिंग कॉस्ट देना है, जबकि छठी से आठवीं तक के बच्चों को 6 .71 पैसे इन्हें देने है, लेकिन बच्चों के अकाउंट पर ना तो कुकिंग कॉस्ट के पैसे पहुंचे हैं और ना ही नियमित रूप से उन्हें चावल मध्यान भोजन में दिए जाने वाले खाद्यान्न ही मुहैया कराया जा रहा है.

Disturbances in mid-day meal distribution and cooking cost
मिड डे मील के लिए थाली लेकर खड़े बच्चे

योजना का लाभ

ईटीवी भारत की पड़ताल में यह पता चला कि वाकई में मिड डे मील में भारी गड़बड़ियां हैं, लेकिन कार्रवाई तो क्या इस ओर विभाग का ध्यान ही नहीं है. विभाग के अधिकारी भी मामले को लेकर अनभिज्ञ है, जबकि ग्राउंड लेवल पर अभिभावक और बच्चों को इस योजना का लाभ मिला ही नहीं है.

Disturbances in mid-day meal distribution and cooking cost
मिड डे मील खाते बच्चे
Last Updated : Feb 24, 2021, 6:11 PM IST

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