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Jharkhand News: सूखे से जूझ रहे किसानों को राहत पहुंचाने की रणनीति पर होगी चर्चा, अब तक सिर्फ 40 से 50 प्रतिशत फीसद ही धान की खेती - Sahibganj News

झारखंड को मानसून ने लगातार दूसरे साल दगा दिया है. राज्य में बारिश की स्थिति को लेकर 15 अगस्त तक सभी जिलों को रिपोर्ट मुख्यालय में सौंपना था. इसी के आधार पर अब किसानों के राहत पहुंचाने पर चर्चा की जाएगी.

Jharkhand Farmers
किसानों को राहत पहुंचाने की रणनीति पर होगी चर्चा
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Published : Aug 16, 2023, 10:26 AM IST

रांची: झारखंड में सूखे को लेकर बुधवार (16 अगस्त) तक सभी जिलों से रिपोर्ट मुख्यालय को भेजनी थी. इसमें इस बात की समीक्षा भी हो जाएगी कि राज्य में कितनी बारिश हुई है और कितने खेतों में धान की फसल लगाई गई है. झारखंड में इस साल भी औसत से बहुत कम बारिश हुई है. कई जिलों में 30 से 40 फीसदी तक भी बारिश नहीं हुई है.

ये भी पढ़ें: झारखंड में लगातार दूसरे साल सूखे की आहट, खेत की जगह किसानों की आंखों में भरा पानी

भरपाई की बनेगी रणनीति: बारिश के आकलन को लेकर सरकार ने 15 अगस्त तक की डेट लाइन तय की थी. उसमें यह तय किया गया था कि स्वतंत्रता दिवस तक इस बात को देखा जाएगा कि राज्य में कितनी बारिश होती है. कहा गया था कि इस आधार पर आगे की रणनीति बनाई जाएगी. इसके लिए सभी जिले के जिला पदाधिकारियों को पहले ही निर्देश दे दिए गए थे. उन्हें जिले में सूखे की स्थिति का आकलन करने को कहा गया था. इसकी रिपोर्ट 15 अगस्त तक सरकार को भेजने का आदेश दिया गया था. सभी जिलों से रिपोर्ट कृषि विभाग को मिलने के बाद सरकार सूखे को लेकर अपनी रणनीति तैयार करेगी.

40 से 50% ही धान की रोपनी: सूखे को लेकर होने वाली समीक्षा बैठक में किसानों को राहत देने संबंधित बातें की जा सकती हैं. बैठक में बारिश नहीं होने की स्थिति में जिन खेतों में धान की फसल नहीं लग पाई है वहां किसानों को किस तरीके से राहत दी जा सकती इस पर चर्चा की जाएगी. झारखंड में कुल 18 लाख हेक्टेयर में धान की फसल लगाई जाती है. उसमें भी अभी तक जो जानकारी मिली है उसके अनुसार से लगभग 40 से 50% ही धान की रोपनी इस साल हो पाई है. जिस 18 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है, वह खेत पूरे तौर पर वर्षा जल पर निर्भर रहते हैं. अब वहां पर वैकल्पिक खेती के लिए सरकार किसानों को क्या सहायता देती है, यह भी बुधवार की समीक्षा में रखी जाएगी.

रांची: झारखंड में सूखे को लेकर बुधवार (16 अगस्त) तक सभी जिलों से रिपोर्ट मुख्यालय को भेजनी थी. इसमें इस बात की समीक्षा भी हो जाएगी कि राज्य में कितनी बारिश हुई है और कितने खेतों में धान की फसल लगाई गई है. झारखंड में इस साल भी औसत से बहुत कम बारिश हुई है. कई जिलों में 30 से 40 फीसदी तक भी बारिश नहीं हुई है.

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भरपाई की बनेगी रणनीति: बारिश के आकलन को लेकर सरकार ने 15 अगस्त तक की डेट लाइन तय की थी. उसमें यह तय किया गया था कि स्वतंत्रता दिवस तक इस बात को देखा जाएगा कि राज्य में कितनी बारिश होती है. कहा गया था कि इस आधार पर आगे की रणनीति बनाई जाएगी. इसके लिए सभी जिले के जिला पदाधिकारियों को पहले ही निर्देश दे दिए गए थे. उन्हें जिले में सूखे की स्थिति का आकलन करने को कहा गया था. इसकी रिपोर्ट 15 अगस्त तक सरकार को भेजने का आदेश दिया गया था. सभी जिलों से रिपोर्ट कृषि विभाग को मिलने के बाद सरकार सूखे को लेकर अपनी रणनीति तैयार करेगी.

40 से 50% ही धान की रोपनी: सूखे को लेकर होने वाली समीक्षा बैठक में किसानों को राहत देने संबंधित बातें की जा सकती हैं. बैठक में बारिश नहीं होने की स्थिति में जिन खेतों में धान की फसल नहीं लग पाई है वहां किसानों को किस तरीके से राहत दी जा सकती इस पर चर्चा की जाएगी. झारखंड में कुल 18 लाख हेक्टेयर में धान की फसल लगाई जाती है. उसमें भी अभी तक जो जानकारी मिली है उसके अनुसार से लगभग 40 से 50% ही धान की रोपनी इस साल हो पाई है. जिस 18 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है, वह खेत पूरे तौर पर वर्षा जल पर निर्भर रहते हैं. अब वहां पर वैकल्पिक खेती के लिए सरकार किसानों को क्या सहायता देती है, यह भी बुधवार की समीक्षा में रखी जाएगी.

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