रांची: अपनी समस्याओं की ओर ध्यान खींचने के लिए सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों को अगर एनएच पर बैठने की नौबत आ जाए तो इसका मतलब है कि पानी नाक के ऊपर जा चुका है. मामला बुंडू में संचालित दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल स्तरीय बालिका आवासीय विद्यालय का है. इस आवासीय स्कूल की बच्चियां रांची-टाटा एनएच के एक लेन पर बैठ गईं और नारेबाजी करने लगीं. ये छात्राएं अपने भविष्य को लेकर चिंता जता रही हैं. उनके चेहरे पर व्यवस्था के खिलाफ आक्रोश झलक रहा है.
ये भी पढ़ें: सपनों की उड़ान भर रहीं खूंटी की आदिवासी छात्राएं, जेईई और नीट की परीक्षा में कर रहीं जिला का नाम रोशन
रांची-टाटा एनएच पर बच्चियों का आंदोलन: छात्राओं का कहना है कि उनके स्कूल में सुरक्षा गार्ड नहीं है. टॉयलेट खुद साफ करना पड़ता है. पीने का पानी तक नहीं है. गंदे पानी से खाना बनाया जा रहा है. प्रिंसिपल को कोई मतलब नहीं है. बच्चियों ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे हमलोग अनाथ आश्रम में रह रहे हैं. एसएसटी की सिर्फ एक शिक्षक हैं. पूरे स्कूल में सिर्फ पांच टीचर हैं. एक बच्ची ने बताया कि खुद का पैसा जमाकर बाहर से पानी मंगवाना पड़ रहा है. इस स्कूल में पिछले साल 28 जून को दिवंगत तत्कालीन शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो भी पहुंचे थे. उन्होंने सभी समस्याओं के समाधान का भरोसा दिलाया था. लेकिन व्यवस्था नहीं बदली. बच्चियों का कहना है कि जबतक स्कूल में सुविधा की व्यवस्था नहीं होगी, स्कूल नहीं जाएंगे.
बुंडू के सीओ ने बताई लाचारी: बुंडू के सीओ राजेश डुंगडुंग ने बताया कि स्कूल में जरूरी सुविधाएं नहीं मिलने से बच्चियां परेशान हैं. इसी वजह से एनएच पर बैठ गई हैं. उनकी मांग पूरी नहीं हुई हैं. शिक्षक का अभाव है. इनकी पढ़ाई बाधित हो रही है. सीओ ने बताया कि जिला शिक्षा पदाधिकारी से बात हुई है. वह चान्हों में व्यस्त हैं. उन्होंने कहा कि स्कूल की शिक्षिका के जरिए बच्चों को समझाने की कोशिश की जा रही है.
खास बात है कि बुंडू में संचालित दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल स्तरीय बालिका आवासीय विद्यालय में कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं. बच्चियों का आरोप है कि शिकायत करने पर प्रेक्टिकल परीक्षा में कम नंबर देने की धमकी दी जाती है. इस आवासीय विद्यालय में अलग-अलग जिलों की 60 छात्राएं रहती हैं. सभी दसवीं कक्षा में पढ़ती हैं. उनके मुताबिक कई वर्षों से यहां नामांकन भी बंद है.