रांची: झारखंड में भाषा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. हालात यह है कि सड़क पर चल रहे भाषा विवाद की आंच अब सदन तक पहुंच गई है. झारखंड विधानसभा बजट सत्र के तीसरे दिन सदन के बाहर उर्दू को क्षेत्रीय भाषा में शामिल करने के मुद्दे के खिलाफ विपक्ष का प्रदर्शन हुआ. झारखंड में उर्दू को हर जिले में मान्यता देने के खिलाफ भाजपा ने बुधवार को सत्र शुरू होने से पहले विधानसभा परिसर में जमकर नारेबाजी की. भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने सरकार पर उर्दू को हर जिले में मान्यता दिए जाने पर नाराजगी जताते हुए सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया.
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बीजेपी विधायक अनंत ओझा ने हेमंत सरकार पर हिंदी और संस्कृत की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए संथाल में कुरमाली जैसी भाषाओं को झारखंड की क्षेत्रीय भाषा से हटाकर उर्दू को शामिल किए जाने पर नाराजगी जताई. जिसपर सत्तारूढ़ जेएमएम ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा है की झारखंड में उर्दू को मान्यता बाबूलाल मरांडी के शासनकाल में भाजपा के द्वारा ही दी गई थी. जेएमएम विधायक सुदीप्तो सोनू ने भाजपा पर राजनीति करने का आरोप लगाया है.
स्थानीय नियोजन नीति की मांग
सदन के बाहर 1932 के आधार पर स्थानीय नियोजन नीति बनाने और पिछड़ा वर्ग आयोग के द्वारा की गई 2014 में अनुशंसा के आधार पर आरक्षण की मांग को लेकर आज विधायक लंबोदर महतो ने सदन के बाहर प्रोटेस्ट किया. उन्होंने कहा कि राज्य को बने आज 21 साल हो गए हैं, लेकिन दुर्भाग्य है कि यहां पर स्थानीय नियोजन नीति को परिभाषित नहीं किया गया है. सरकार में शामिल कांग्रेस की विधायक का दीपिका सिंह पांडे ने कहा कि स्थानीय नियोजन नीति को लेकर सरकार का सदन के अंदर जवाब आया है कि जल्द से जल्द इस पर विचार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि तमाम मुद्दों को लेकर सरकार विचार कर रही है. जल्दी राज्य की जनता को इसकी सौगात मिलेगी.