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झारखंड के सात जिलों के ओबीसी को EWS मानकर आरक्षण देने की मांग, संसदीय कार्य मंत्री ने कही ये बात

झारखंड के सात जिलों में ओबीसी की संख्या को कम बताते हुए जिलावार आरक्षण रोस्टर में उनका रिजर्वेशन शून्य कर दिया गया. जिसके बाद कांग्रेस विधायक अब उन्हें EWS के तहत आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं.

Demand for giving reservation to OBC
Demand for giving reservation to OBC
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Published : Jul 29, 2023, 4:13 PM IST

कांग्रेस नेताओं का बयान

रांची: झारखंड में ओबीसी को सरकारी नौकरियों में 27 फीसदी आरक्षण देने का मुद्दा अभी भी राजनीति के केंद्र में है. इसके अलावा अब राज्य के सात जिलों में ओबासी को EWS (Economically Weaker Section) मानकर आरक्षण देने की मांग कांग्रेस विधायकों ने शुरू कर दी है.

ये भी पढ़ें: Lohardaga News: पिछड़ी जाति के लोगों का आंदोलन, आरक्षण की मांग को लेकर सात जिलों में बंदी की घोषणा

कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद ने कहा कि राज्य बनने के बाद से ही लोहरदगा, लातेहार, सिमडेगा, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम, खूंटी और दुमका में जिला स्तर की नौकरियों के लिए बनाए गए आरक्षण रोस्टर में ओबीसी को शून्य दिखाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष कार्मिक विभाग ने फिर इसकी जानकारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी थी. अंबा प्रसाद ने कहा कि राज्य में ओबीसी आबादी की हकमारी भाजपा के शासनकाल में ही हुई थी. लेकिन जब आर्थिक रूप से कमजोर लोगों (EWS) के तहत आरक्षण देने का प्रावधान केंद्र और राज्य की सरकार ने किया है. तब जिन सात जिलों के ओबीसी समुदाय के लोगों को आरक्षण नहीं मिल रहा है. उन्हें EWS मानकर सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ दिया जाए. उन्होंने कहा कि ग्रेड 3 और ग्रेड 4 की ज्यादातर सरकारी नियुक्तियां जिला आधारित होती हैं. ऐसे में उन सात जिलों में ओबीसी समाज के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता.

कांग्रेस विधायकों द्वारा राज्य के सात अनुसूचित जनजाति शेड्यूल जिलों में ओबीसी को EWS मानकर आरक्षण बहाल करने की मांग का संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने समर्थन किया. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात की है. मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि वर्ष 2002 में ही भाजपा के शासनकाल में राज्य के सात जिलों में अन्य पिछड़ी जातियों (OBCs) की संख्या कम बताकर वहां के जिला स्तरीय नौकरियों में उनका आरक्षण रोस्टर में शून्य कर दिया गया था.

संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि जब केंद्र की सरकार ने आरक्षण के लाभ से वंचित वर्गों के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10% आरक्षण देने का निर्णय लिया और राज्य में भी EWS को आरक्षण का लाभ मिलने लगा. ऐसे में ओबीसी को जिला स्तर की नौकरियों में आरक्षण से वंचित करना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस मुद्दे पर सरकार कोई फैसला लेगी, ताकि अन्य पिछड़ी जातियों के लोगों को न्याय मिल सके.

गौरतलब है कि जिन जिलों में ओबीसी की संख्या कम बताकर, जिलावार आरक्षण रोस्टर में उनका आरक्षण शून्य किया गया था. वहां भी बड़ी संख्या में पिछड़ी जाति के लोग निवास करते हैं. ऐसे में इन जिलों के पिछड़ी जाति के लोगों की भी मांग है कि जब EWS को आरक्षण मिल रहा है तो उन्हें क्यों नहीं.

कांग्रेस नेताओं का बयान

रांची: झारखंड में ओबीसी को सरकारी नौकरियों में 27 फीसदी आरक्षण देने का मुद्दा अभी भी राजनीति के केंद्र में है. इसके अलावा अब राज्य के सात जिलों में ओबासी को EWS (Economically Weaker Section) मानकर आरक्षण देने की मांग कांग्रेस विधायकों ने शुरू कर दी है.

ये भी पढ़ें: Lohardaga News: पिछड़ी जाति के लोगों का आंदोलन, आरक्षण की मांग को लेकर सात जिलों में बंदी की घोषणा

कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद ने कहा कि राज्य बनने के बाद से ही लोहरदगा, लातेहार, सिमडेगा, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम, खूंटी और दुमका में जिला स्तर की नौकरियों के लिए बनाए गए आरक्षण रोस्टर में ओबीसी को शून्य दिखाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष कार्मिक विभाग ने फिर इसकी जानकारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी थी. अंबा प्रसाद ने कहा कि राज्य में ओबीसी आबादी की हकमारी भाजपा के शासनकाल में ही हुई थी. लेकिन जब आर्थिक रूप से कमजोर लोगों (EWS) के तहत आरक्षण देने का प्रावधान केंद्र और राज्य की सरकार ने किया है. तब जिन सात जिलों के ओबीसी समुदाय के लोगों को आरक्षण नहीं मिल रहा है. उन्हें EWS मानकर सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ दिया जाए. उन्होंने कहा कि ग्रेड 3 और ग्रेड 4 की ज्यादातर सरकारी नियुक्तियां जिला आधारित होती हैं. ऐसे में उन सात जिलों में ओबीसी समाज के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता.

कांग्रेस विधायकों द्वारा राज्य के सात अनुसूचित जनजाति शेड्यूल जिलों में ओबीसी को EWS मानकर आरक्षण बहाल करने की मांग का संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने समर्थन किया. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात की है. मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि वर्ष 2002 में ही भाजपा के शासनकाल में राज्य के सात जिलों में अन्य पिछड़ी जातियों (OBCs) की संख्या कम बताकर वहां के जिला स्तरीय नौकरियों में उनका आरक्षण रोस्टर में शून्य कर दिया गया था.

संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि जब केंद्र की सरकार ने आरक्षण के लाभ से वंचित वर्गों के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10% आरक्षण देने का निर्णय लिया और राज्य में भी EWS को आरक्षण का लाभ मिलने लगा. ऐसे में ओबीसी को जिला स्तर की नौकरियों में आरक्षण से वंचित करना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस मुद्दे पर सरकार कोई फैसला लेगी, ताकि अन्य पिछड़ी जातियों के लोगों को न्याय मिल सके.

गौरतलब है कि जिन जिलों में ओबीसी की संख्या कम बताकर, जिलावार आरक्षण रोस्टर में उनका आरक्षण शून्य किया गया था. वहां भी बड़ी संख्या में पिछड़ी जाति के लोग निवास करते हैं. ऐसे में इन जिलों के पिछड़ी जाति के लोगों की भी मांग है कि जब EWS को आरक्षण मिल रहा है तो उन्हें क्यों नहीं.

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