रांची: लैंड स्कैम मामले में ईडी के समन को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी है. उनकी ओर से 23 सितंबर को रिट पिटीशन दायर किया गया है. इस बीच प्रदेश भाजपा ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री ने जानबूझकर पिटीशन में डिफेक्ट छोड़ दिया है. इसको जानबूझकर किया गया है. यह मामले को लटकाने की साजिश है.
भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने हाईकोर्ट की वेबसाइट से निकाले गये दस्तावेज का हवाला देते हुए कहा है कि इसमें पांच डिफेक्ट हैं. यह चतुराई और धूर्तता का उदाहरण है ताकि ईडी के समन पर और ज्यादा वक्त तक उलझाकर रखा जा सके. उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री के पास महंगे वकीलों की टीम है. क्या उन्हें नहीं पता कि एक्सट्रा कॉपी दी जाती है. जाहिर है कि जबतक डिफेक्ट को ठीक नहीं किया जाएगा, तबतक याचिका सूचिबद्ध नहीं होगी. यह सिर्फ और सिर्फ मामले को लटकाने की नीयत से किया गया है. उनका कहना है कि अगर सीएम को कोर्ट से राहत की जरूरत होती तो तत्परता के साथ याचिका को सूचिबद्ध कराया जाता.
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री ये हथकंडा पहली बार अपनाया है. इससे पहले झारखंड के राज्यपाल के खिलाफ नवंबर, 2022 में मुकदमा दाखिल किया था. वह आज तक इसलिए सूचीबद्ध नहीं हुआ है क्योंकि उसमें भी अभी तक डिफेक्ट है. प्रतुल शाहदेव ने कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री ने खूब प्रचार किया था कि राज्यपाल के खिलाफ उच्च न्यायालय गए हैं. लेकिन अब समझ में आने लगा है कि जानबूझकर इन मुकदमों में डिफेक्ट छोड़ दिया जाता है, जिससे मामला उच्च न्यायालय में फाइल तो हो जाए लेकिन सूचीबद्ध न हो सके. उन्होंने सीएम से पूछा कि वह मामला उच्च न्यायालय में 11 महीने से डिफेक्ट के कारण क्यों लंबित है.
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री को पता है कि कानून के लंबे हाथ उन तक पहुंच गए हैं. इसलिए वह मामले को ज्यादा से ज्यादा टालने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन बहुत दिनों तक यह चाल कामयाब नहीं होगी. यह कतई नहीं माना जा सकता कि मुख्यमंत्री ने लाखों रुपए फीस वाले जिन वकीलों को हायर किया है, उनको डिफेक्ट को दूर करने में कोई परेशानी होगी.