रांची: पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के सलाहकार सुनील तिवारी की मुश्किलें बढ़ गई है. अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया. जमानत याचिका पर सुनवाई एजेसी-7 विशाल श्रीवास्तव की अदालत में हुई.
गिरफ्तारी से बचने के लिए दायर की थी अग्रिम जमानत याचिका
सुनील तिवारी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताते हुए अधिवक्ता के माध्यम से अग्रिम जमानत की मांग की. सुनील तिवारी की ओर से झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता जसविंदर मजूमदार ने पक्ष रखा. वहीं, सरकार की ओर से लोक अभियोजक प्रदीप चौरसिया ने पक्ष रखा. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमानत याचिका को खारिज कर दिया. अब जमानत के लिए आरोपी सुनील तिवारी को झारखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा. लगातार बढ़ रहे पुलिस की दबिश और गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत याचिका दायर की गई थी. लेकिन, जमानत याचिका खारिज होने के बाद मुश्किलें अब और भी बढ़ गई है.
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बता दें कि बीते 21 अगस्त को ही रांची व्यवहार न्यायालय के अपर आयुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत से सुनील तिवारी के खिलाफ वारंट जारी हुआ है. इसके बाद रांची पुलिस उनकी गिरफ्तारी को लेकर लगातार दबिश बनाई हुई है.
यौन शोषण के आरोपों से घिरे है सुनील तिवारी के ऊपर लगे आरोपों की जांच कर रहे पदाधिकारी ने इस मामले में जांच की रफ्तार तेज कर दी है. इस मामले में जांच अधिकारी के द्वारा कोर्ट से वारंट प्राप्त कर लिया गया है. अदालत के द्वारा सुनील तिवारी के खिलाफ वारंट जारी कर दिया गया है. सुनील तिवारी के खिलाफ रांची के अरगोड़ा थाने में 16 अगस्त को ही केस दर्ज कर लिया गया था.
सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बयानबाजी
इस मामले में पुलिस ने बेड़ो डीएसपी को केस का अनुसंधानक बनाया है. पूरा केस अरगोड़ा थाने का है. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पीड़िता का बयान भी दर्ज हो चुका है. आए दिन इस प्रकरण में नए मोड़ सामने आ रहे हैं. युवती के परिजनों के द्वारा इस मामले में झारखंड हाई कोर्ट में हेवियस कॉर्पस भी दायर की गई है. इतना ही नहीं इस प्रकरण के सामने आने के बाद भाजपा के कई नेताओं ने राज्यपाल से मुलाकात की और सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कई तरह की बयानबाजी भी हुई है.