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ग्रामीण इलाकों में अफीम तस्करों की चहलकदमी बढ़ी, पुलिस हुई अलर्ट, जेल से बाहर निकले अफीम तस्करों पर नजर - जाड़े का सीजन अफीम की खेती के लिए बेहद माकूल

Movement of opium smugglers increased in Ranchi.अफीम की खेती रोकने के लिए झारखंड पुलिस ने स्पेशल प्लान तैयार किया है. पुलिस को सूचना मिली है कि यूपी और पंजाब के तस्कर इलाकों में घूम-घूमकर अफीम की खेती के लिए जमीन की तलाश कर रहे हैं. अफीम तस्करों से निपटने के लिए पुलिस पदाधिकारियों को विशेष निर्देश दिए गए हैं.

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Movement Of Opium Smugglers Increased In Ranchi
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 26, 2023, 9:46 PM IST

रांची और आसपास के इलाके में अफीम की खेती रोकने के लिए पुलिस की योजना की जानकारी देते डीआईजी अनूप बिरथरे.

रांचीः जाड़े का मौसम आते ही झारखंड के वैसे जंगली इलाके जहां हर साल बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की जाती है वहां अफीम तस्करों ने अपनी चहलकदमी बढ़ा दी है. अफीम तस्कर बड़े पैमाने पर ग्रामीणों की सहायता से अफीम की खेती की तैयारी में जुटे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ पुलिस और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो अफीम तस्करों की योजना को विफल करने जुट गया है.

बड़े पैमाने पर होती है अफीम की खेतीः जाड़े का सीजन शुरू होते हैं अफीम तस्कर अफीम की खेती के लिए सक्रिय हो चुके हैं. सूचना है कि खूंटी और रांची के वैसे इलाके जहां हर साल बड़े पैमाने पर अफीम की खेती होती है उन इलाकों में अफीम तस्करों के द्वारा बीहड़ों और जंगलों में जमीन चिन्हित की जा रही है. गौरतलब है कि जाड़े का सीजन अफीम की खेती के लिए बेहद माकूल समय होता है. ऐसे में यूपी और पंजाब के तस्करों की चहलकदमी रांची और खूंटी में बढ़ गई है.

सूचना के बाद अलर्ट हुई पुलिसः मामले की जानकारी मिलने के बाद पुलिस भी अलर्ट हो गई है. इस संबंध में रांची रेंज के डीआईजी अनूप बिरथरे ने बताया कि अक्टूबर और नवंबर महीने में अफीम की खेती होती है. दिसंबर माह में फसल तैयार हो जाती है. फसल तैयार होने के बाद ही उसमें चीरा लगा कर अफीम और फिर डोडा निकाला जाता है. अफीम तस्करों की साजिश पर ब्रेक लगाने के लिए पुलिस की टीम ने तस्करों पर कार्रवाई करने का स्पेशल प्लान बनाया है. यह सभी जानते हैं कि झारखंड के खूंटी जिले में अफीम की सबसे अधिक खेती होती है. रांची के बुंडू, तमाड़, दशम, नामकुम और पिठोरिया इलाके में भी अफीम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. फसल तैयार होने के बाद झारखंड समेत दूसरे राज्यों में अफीम की तस्करी की जाती है.

पुलिस से लेकर चौकीदार तक हुए एक्टिवः ग्रामीण इलाकों में अफीम तस्करों की चहलकदमी को लेकर पुलिस से लेकर ग्रामीण इलाकों में तैनात चौकीदारों तक को अलर्ट किया गया है. सभी को यह पता लगाने का निर्देश दिया गया कि अफीम के बीज का वितरण कौन कर रहा है. पुलिस को निर्देश दिया गया है कि ऐसे लोगों को चिहिन्त कर उन पर कार्रवाई करें.

अफीम तस्करी के आरोप में जेल गए तस्करों पर नजरः रांची रेंज के डीआईजी अनूप बिरथरे ने बताया कि जमानत पर जेल से छूटे तस्करों से अब पुलिस थाना हाजिरी लगवाएगी. पुलिस की ओर से इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है. सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने डीआईजी अनूप बिरथरे के अलावा रांची, गुमला, सिमडेगा, खूंटी और लोहरदगा एसपी के साथ हुई बैठक में निर्देश दिया है कि 15 दिनों के भीतर अफीम तस्करों और उसकी खेती करने वाले की अगल-अलग सूची तैयार करें. निर्देश यह भी दिया गया है कि जेल से छूटे तस्करों की गतिविधि पर नजर रखें. यह पता लगाएं कि जेल से जमानत पर छूटे तस्कर कहां रह रहे हैं और क्या कर रहे हैं. कहीं वह फिर से अफीम की तस्करी में शामिल तो नहीं हैं. अगर उसकी संलिप्तता सामने आती है तो ऐसे तस्करों को चिहिन्त कर ना सिर्फ जेल भेजें, बल्कि उन पर सीसीए के तहत कार्रवाई करें.

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रांची और आसपास के इलाके में अफीम की खेती रोकने के लिए पुलिस की योजना की जानकारी देते डीआईजी अनूप बिरथरे.

रांचीः जाड़े का मौसम आते ही झारखंड के वैसे जंगली इलाके जहां हर साल बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की जाती है वहां अफीम तस्करों ने अपनी चहलकदमी बढ़ा दी है. अफीम तस्कर बड़े पैमाने पर ग्रामीणों की सहायता से अफीम की खेती की तैयारी में जुटे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ पुलिस और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो अफीम तस्करों की योजना को विफल करने जुट गया है.

बड़े पैमाने पर होती है अफीम की खेतीः जाड़े का सीजन शुरू होते हैं अफीम तस्कर अफीम की खेती के लिए सक्रिय हो चुके हैं. सूचना है कि खूंटी और रांची के वैसे इलाके जहां हर साल बड़े पैमाने पर अफीम की खेती होती है उन इलाकों में अफीम तस्करों के द्वारा बीहड़ों और जंगलों में जमीन चिन्हित की जा रही है. गौरतलब है कि जाड़े का सीजन अफीम की खेती के लिए बेहद माकूल समय होता है. ऐसे में यूपी और पंजाब के तस्करों की चहलकदमी रांची और खूंटी में बढ़ गई है.

सूचना के बाद अलर्ट हुई पुलिसः मामले की जानकारी मिलने के बाद पुलिस भी अलर्ट हो गई है. इस संबंध में रांची रेंज के डीआईजी अनूप बिरथरे ने बताया कि अक्टूबर और नवंबर महीने में अफीम की खेती होती है. दिसंबर माह में फसल तैयार हो जाती है. फसल तैयार होने के बाद ही उसमें चीरा लगा कर अफीम और फिर डोडा निकाला जाता है. अफीम तस्करों की साजिश पर ब्रेक लगाने के लिए पुलिस की टीम ने तस्करों पर कार्रवाई करने का स्पेशल प्लान बनाया है. यह सभी जानते हैं कि झारखंड के खूंटी जिले में अफीम की सबसे अधिक खेती होती है. रांची के बुंडू, तमाड़, दशम, नामकुम और पिठोरिया इलाके में भी अफीम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. फसल तैयार होने के बाद झारखंड समेत दूसरे राज्यों में अफीम की तस्करी की जाती है.

पुलिस से लेकर चौकीदार तक हुए एक्टिवः ग्रामीण इलाकों में अफीम तस्करों की चहलकदमी को लेकर पुलिस से लेकर ग्रामीण इलाकों में तैनात चौकीदारों तक को अलर्ट किया गया है. सभी को यह पता लगाने का निर्देश दिया गया कि अफीम के बीज का वितरण कौन कर रहा है. पुलिस को निर्देश दिया गया है कि ऐसे लोगों को चिहिन्त कर उन पर कार्रवाई करें.

अफीम तस्करी के आरोप में जेल गए तस्करों पर नजरः रांची रेंज के डीआईजी अनूप बिरथरे ने बताया कि जमानत पर जेल से छूटे तस्करों से अब पुलिस थाना हाजिरी लगवाएगी. पुलिस की ओर से इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है. सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने डीआईजी अनूप बिरथरे के अलावा रांची, गुमला, सिमडेगा, खूंटी और लोहरदगा एसपी के साथ हुई बैठक में निर्देश दिया है कि 15 दिनों के भीतर अफीम तस्करों और उसकी खेती करने वाले की अगल-अलग सूची तैयार करें. निर्देश यह भी दिया गया है कि जेल से छूटे तस्करों की गतिविधि पर नजर रखें. यह पता लगाएं कि जेल से जमानत पर छूटे तस्कर कहां रह रहे हैं और क्या कर रहे हैं. कहीं वह फिर से अफीम की तस्करी में शामिल तो नहीं हैं. अगर उसकी संलिप्तता सामने आती है तो ऐसे तस्करों को चिहिन्त कर ना सिर्फ जेल भेजें, बल्कि उन पर सीसीए के तहत कार्रवाई करें.

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