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रांची विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्ट्रार को कोर्ट ने गलत जानकारी देने पर लगाई फटकार, मांगी माफी

हाई कोर्ट में गलत जानकारी देने के कारण रांची विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्टर को अदालत ने कड़ी फटकार लगाई. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में हुई.

court scolded the VC and Registrar of Ranchi University
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Jan 29, 2020, 11:44 PM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एस.एन प्रसाद की खंडपीठ ने गलत जानकारी देने पर रांची विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्ट्रार को फटकार लगाई. अदालत ने सुनवाई के दौरान दोनों अधिकारियों से पूछा कि अदालत को क्यों गलत जानकारी दी.

देखें पूरी खबर

कुलपति (वाइस चांसलर) और रजिस्ट्रार ने अदालत से माफी मांग ली, जिसके बाद अदालत ने उन्हें माफ करते हुए श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय को प्रतिवादी बनाते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. दरअसल, डॉ. कुमरेश कुमार ने प्रतिनियुक्ति पर दूसरे विश्वविद्यालय में योगदान दिया था. प्रतिनियुक्ति समाप्त होने के बाद वे वापस आए और रांची विश्वविद्यालय में अपने पद पर योगदान दिया, लेकिन विश्वविद्यालय ने उनके योगदान को स्वीकार नहीं किया. इसके बाद डॉ. कुमरेश कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की.

सुनवाई के बाद एकलपीठ ने विश्वविद्यालय को उनका योगदान स्वीकृत करने का आदेश दिया. रांची विश्वविद्यालय ने एकलपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए खंडपीठ में याचिका दाखिल की. पिछली सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय ने बताया था कि उस पद पर नियुक्ति हो गई है. इसके बाद अदालत ने नियुक्ति का पूरा ब्यौरा मांगा. इसके बाद पता चला कि विश्वविद्यालय की ओर से गलत जानकारी दी गई है. अदालत ने उन्हें सशरीर हाजिर होने का आदेश दिया था, इसी के तहत दोनों पदाधिकारी अदालत में हाजिर हुए थे.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एस.एन प्रसाद की खंडपीठ ने गलत जानकारी देने पर रांची विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्ट्रार को फटकार लगाई. अदालत ने सुनवाई के दौरान दोनों अधिकारियों से पूछा कि अदालत को क्यों गलत जानकारी दी.

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कुलपति (वाइस चांसलर) और रजिस्ट्रार ने अदालत से माफी मांग ली, जिसके बाद अदालत ने उन्हें माफ करते हुए श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय को प्रतिवादी बनाते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. दरअसल, डॉ. कुमरेश कुमार ने प्रतिनियुक्ति पर दूसरे विश्वविद्यालय में योगदान दिया था. प्रतिनियुक्ति समाप्त होने के बाद वे वापस आए और रांची विश्वविद्यालय में अपने पद पर योगदान दिया, लेकिन विश्वविद्यालय ने उनके योगदान को स्वीकार नहीं किया. इसके बाद डॉ. कुमरेश कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की.

सुनवाई के बाद एकलपीठ ने विश्वविद्यालय को उनका योगदान स्वीकृत करने का आदेश दिया. रांची विश्वविद्यालय ने एकलपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए खंडपीठ में याचिका दाखिल की. पिछली सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय ने बताया था कि उस पद पर नियुक्ति हो गई है. इसके बाद अदालत ने नियुक्ति का पूरा ब्यौरा मांगा. इसके बाद पता चला कि विश्वविद्यालय की ओर से गलत जानकारी दी गई है. अदालत ने उन्हें सशरीर हाजिर होने का आदेश दिया था, इसी के तहत दोनों पदाधिकारी अदालत में हाजिर हुए थे.

Intro:रांची विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्ट्रार को झारखंड हाई कोर्ट ने लगाई फटकार, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को प्रतिवादी बनाते हुए मांगा जवाब

रांची


हाई कोर्ट में गलत जानकारी देने के कारण रांची विश्वविद्यालय के कुलपति (वाइस चांसलर) और रजिस्टर को अदालत ने कड़ी फटकार लगाई। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में हुई। अदालत ने सुनवाई के दौरान दोनों अधिकारियों से पूछा है कि अदालत को क्यों गलत जानकारी दी। उन्होंने अदालत से माफी मांगी जिस पर अदालत ने माफ कर दिया। साथ ही अदालत ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय को प्रतिवादी बनाते हुए नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का आदेश दिया।

डॉक्टर कुमरेश कुमार ने प्रतिनियुक्ति पर दूसरे विश्वविद्यालय में योगदान दिया था प्रतिनियुक्ति समाप्त होने के बाद वह वापस आ गया और रांची विश्वविद्यालय में अपने पद पर योगदान दिया लेकिन रांची विश्वविद्यालय में उनके योगदान को स्वीकार नहीं किया इसके बाद डॉ कुमरेश कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया । याचिका पर एकल पीठ ने विश्वविद्यालय को उनका योगदान स्वीकृत करने का आदेश दिया।




Body:उसी एकल पीठ के आदेश के विरोध में रांची विश्वविद्यालय ने झारखंड हाईकोर्ट के खंडपीठ में याचिका दाखिल किया पिछली सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय ने बताया था कि उस पद पर नियुक्ति हो गई है इसके बाद अदालत ने नियुक्ति का ब्यौरा मांगा तब पता चला कि विश्वविद्यालय जोर से गलत जानकारी अदालत को दी गई इसके बाद अदालत ने उन्हें सासरे हाजिर होने का आदेश दिया था इसी मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पदाधिकारियों अदालत ने कड़ी फटकार लगाई


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