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कोरोना महामारी का जमीन और फ्लैट रजिस्ट्री पर पड़ा व्यापक असर, सरकार को रेवेन्यू का भी हो रहा है नुकसान - रांची में फ्लैट रजिस्ट्री में हो रही परेशानी

कोरोना महामारी के कारण जमीन और फ्लैट की रजिस्ट्री पर काफी व्यापक असर देखने को मिल रहा है. इसके तहत सरकार को रेवेन्यू का भी काफी नुकसान हो रहा है. वहीं रजिस्ट्री की संख्या घटाए जाने से आम लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है.

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जमीन और फ्लैट रजिस्ट्री पर कोरोना का असर
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Published : Oct 5, 2020, 1:43 PM IST

रांची: कोरोना महामारी ने तमाम व्यवस्थाओं को बदल कर रख दिया है. पहले जहां हर निबंधन कार्यालय में प्रतिदिन 120 जमीन फ्लैट की रजिस्ट्री करने का लक्ष्य रखा गया था. जिसे कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए घटाकर 40 कर दिया गया है. जिसका खामियाजा झारखंड नवीन दस्तावेज संघ और चल अचल संपत्ति खरीदने और बेचने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है. इसके साथ-साथ सरकार को भी रेवेन्यू का नुकसान हो रहा है.

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कोरोना महामारी का असर जारीकोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए एहतियात के तौर पर राज्य सरकार की तरफ से जमीन, फ्लैट की रजिस्ट्री की संख्या को घटाई गई है. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रांची में चार निबंधन कार्यालय है. इनमें से तीन कार्यालय के कर्मी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. जिससे कामकाज काफी प्रभावित हो रहा है. रजिस्ट्री की संख्या घटाने के बावजूद रेवेन्यू में बढ़ोतरी होने का हवाला जिला अवर निबंधक अविनाश कुमार ने दिया है. महिलाओं की 1 रुपये में हो रही रजिस्ट्री को वर्तमान सरकार ने बंद कर दिया है. लिहाजा रेवेन्यू में बढ़ोतरी हुई है.क्रेता और विक्रेता को हो रही परेशानीवहीं नवीन दस्तावेज संघ की माने तो रजिस्ट्री की संख्या घटाए जाने से जमीन, फ्लैट खरीदने वाले क्रेता और विक्रेता दोनों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. रजिस्ट्री के लिए दस्तावेज की डाटा एंट्री करने में 12 से 15 दिन बाद टोकन मिलता है. जिसकी वजह से क्रेता को हर दिन कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है. कई क्रेता ऐसे भी हैं जो दूसरे राज्य से आते हैं और निराश होकर वापस लौट जाते हैं. कई ऐसे विक्रेता हैं जिन्हें अपने परिवार में किसी के इलाज के लिए, तो किसी को बेटी की शादी के लिए पैसे की जरूरत है. इससे समय पर पैसा नहीं मिल पा रहा है.इसे भी पढे़ं-रांचीः अंग्रेजों से लोहा लेने वाली सेनानी की जमीन पर पुलिसवालों और माफिया का कब्जा, बेटे को पड़ रहा भटकनारजिस्ट्री की घटाई गई संख्या सरकार की तरफ से रजिस्ट्री की संख्या घटाए जाने से जहां एक तरफ आम लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है. तो वहीं दूसरी तरफ सरकार के रेवेन्यू पर भी गहरा असर पड़ रहा है. जरूरी काम पड़ने पर लोग अपने चल अचल संपत्ति को बेचते हैं. लेकिन समय पर टोकन नहीं मिलने की वजह से रजिस्ट्री के काम में समय अधिक लग रहा है.

रांची: कोरोना महामारी ने तमाम व्यवस्थाओं को बदल कर रख दिया है. पहले जहां हर निबंधन कार्यालय में प्रतिदिन 120 जमीन फ्लैट की रजिस्ट्री करने का लक्ष्य रखा गया था. जिसे कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए घटाकर 40 कर दिया गया है. जिसका खामियाजा झारखंड नवीन दस्तावेज संघ और चल अचल संपत्ति खरीदने और बेचने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है. इसके साथ-साथ सरकार को भी रेवेन्यू का नुकसान हो रहा है.

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कोरोना महामारी का असर जारीकोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए एहतियात के तौर पर राज्य सरकार की तरफ से जमीन, फ्लैट की रजिस्ट्री की संख्या को घटाई गई है. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रांची में चार निबंधन कार्यालय है. इनमें से तीन कार्यालय के कर्मी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. जिससे कामकाज काफी प्रभावित हो रहा है. रजिस्ट्री की संख्या घटाने के बावजूद रेवेन्यू में बढ़ोतरी होने का हवाला जिला अवर निबंधक अविनाश कुमार ने दिया है. महिलाओं की 1 रुपये में हो रही रजिस्ट्री को वर्तमान सरकार ने बंद कर दिया है. लिहाजा रेवेन्यू में बढ़ोतरी हुई है.क्रेता और विक्रेता को हो रही परेशानीवहीं नवीन दस्तावेज संघ की माने तो रजिस्ट्री की संख्या घटाए जाने से जमीन, फ्लैट खरीदने वाले क्रेता और विक्रेता दोनों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. रजिस्ट्री के लिए दस्तावेज की डाटा एंट्री करने में 12 से 15 दिन बाद टोकन मिलता है. जिसकी वजह से क्रेता को हर दिन कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है. कई क्रेता ऐसे भी हैं जो दूसरे राज्य से आते हैं और निराश होकर वापस लौट जाते हैं. कई ऐसे विक्रेता हैं जिन्हें अपने परिवार में किसी के इलाज के लिए, तो किसी को बेटी की शादी के लिए पैसे की जरूरत है. इससे समय पर पैसा नहीं मिल पा रहा है.इसे भी पढे़ं-रांचीः अंग्रेजों से लोहा लेने वाली सेनानी की जमीन पर पुलिसवालों और माफिया का कब्जा, बेटे को पड़ रहा भटकनारजिस्ट्री की घटाई गई संख्या सरकार की तरफ से रजिस्ट्री की संख्या घटाए जाने से जहां एक तरफ आम लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है. तो वहीं दूसरी तरफ सरकार के रेवेन्यू पर भी गहरा असर पड़ रहा है. जरूरी काम पड़ने पर लोग अपने चल अचल संपत्ति को बेचते हैं. लेकिन समय पर टोकन नहीं मिलने की वजह से रजिस्ट्री के काम में समय अधिक लग रहा है.
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