रांची: कोरोना ने कई घर उजाड़ डाले. कई बच्चे बेसहारा हो गए. झारखंड में कुल 1473 बच्चे हैं जिन पर कोरोना कहर बनकर टूटा है. हालांकि इन अनाथ बच्चों को केंद्र और राज्य सरकार मदद पहुंचा रही है. लेकिन वो नाकाफी है. क्योंकि इस मदद में भी काफी पेंच है. वहीं इस मदद से कई बच्चे महरूम भी हैं. जरूरत है कि सरकार कोरोना के सताये हुए इन बच्चों के लिए ठोस पहल करे, जिससे कि इनका भविष्य संवर सके.
कल्याण विभाग की तरफ से मिले आंकड़े के अनुसार पूरे राज्य में कुल 1473 ऐसे बच्चे हैं जिन पर कोरोना ने कहर बरपाया है. इनमें 49 ऐसे बच्चे हैं जिनके माता-पिता दोनों ही कोरोना की वजह से दुनिया छोड़ कर चले गए हैं. कोरोना की वजह से जिन बच्चों के माता-पिता दोनों ही दुनिया छोड़कर चले गए हैं उनको केंद्र सरकार और जिनके माता-पिता में से किसी एक की मौत हुई है उन्हें राज्य सरकार मदद पहुंचा रही है.
इस दुख की घड़ी में भी सरकारी सुविधा को बांट दिया गया है जो कि निश्चित रूप से दुखद है. जिन बच्चों को बुनियादी सुविधा देने के लिए सरकारी स्तर पर दो हजार रुपए प्रति महीना मुहैया कराया जा रहा है. वो सिर्फ राज्य सरकार की तरफ से आवंटित हो पा रहा है. जो कि तीन वर्षों के लिए दिया जा रहा है. बच्चों की संख्या ज्यादा होने की वजह से राज्य सरकार पर बोझ बढ़ रहा है. वहीं जिन बच्चों को केंद्र सरकार की तरफ से सुविधाएं मिल रही हैं वैसे बच्चों की संख्या काफी कम है.
कल्याण विभाग के पदाधिकारी राजीव पांडे बताते हैं कि जिन बच्चों के माता-पिता दोनों का निधन हो गया है, उन्हें तो पीएम केयर्स फंड की तरफ से राहत मिल रही है. वैसे बच्चों को नियमानुसार 18 से 23 साल की उम्र में दस लाख तक की राशि से मदद की जाएगी. वही कल्याण विभाग के पदाधिकारी ने कहा कि जिन बच्चों के माता या पिता दोनों में से एक का निधन हुआ है उन्हें केंद्र सरकार की तरफ से कोई मुआवजा नहीं मिल रहा है. वैसे बच्चों के लिए राज्य सरकार अपने स्तर से आर्थिक मदद का प्रयास कर रही है जो कि फिलहाल पर्याप्त नहीं है.
उन्होंने बताया कि मुख्य सचिव स्तर पर इसको लेकर सभी जिले के अधिकारियों को दिशा निर्देश दिये गये हैं ताकि एक प्रस्ताव बनाकर उन बच्चों को भी बेहतर भविष्य दिया जा सके. जिनके माता या पिता दोनों में से एक गुजरे हो. उन्होंने बताया कि राज्य में ज्यादातर ऐसे बच्चे हैं जिनके अभिभावक में सिर्फ एक शख्स की मौत हुई है. वैसे बच्चों की भविष्य के लिए भी राज्य सरकार प्रयासरत है.
गौरतलब है कि कोरोना काल में जिन बच्चों ने अपने अभिभावक खोये हैं. वे बच्चे शोषण या बाल तस्करी का शिकार ना हो उन्हें बचाने के लिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन की तरफ से चाइल्ड केयर हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है ताकि कोई भी व्यक्ति उन बच्चों के बारे में जानकारी दे सकता है, जो कोरोना काल में अपने अभिभावकों को खो चुके हैं. सभी जिलों में ऐसे मामले को देखने और तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए एक टीम का गठन किया है. जिनकी जिला कल्याण पदाधिकारी के जरिए निगरानी की जा रही है.
इसके अलावा डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी DALSA के द्वारा भी वैसे बच्चों पर नजर रखी जा रही है जो कोरोना काल में अपने अभिभावकों को खो चुके हैं. डालसा की रांची सेक्रेट्री कमला कुमारी बताती हैं कि रांची जिले में फिलहाल 181 बच्चों को चिन्हित किया गया है. इसमें 14 बच्चे ऐसे हैं जिनके माता और पिता दोनों ही कोरोना की वजह से गुजर गए हैं.
झारखंड लीगल सर्विस अथॉरिटी JHALSA की तरफ से भी ऐसे बच्चों की देखरेख की जा रही है. झालसा की तरफ से प्रोजेक्ट शिशु भी लॉन्च किया गया है ताकि वैसे बच्चे को चिन्हित कर जिला प्रशासन की नजर में लाया जा सके और राज्य सरकार उनके जीवन यापन, पढ़ाई, चिकित्सा आदि की व्यवस्था कर सके. गौरतलब है कि सरकार की पहल के बाद निश्चित रूप से कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को लाभ देने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन अभी भी कई ऐसे बच्चे हैं जिन्हें सरकारी लाभ नहीं मिल पा रहा है और वह दर बदर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.
हालांकि कल्याण विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार यह भी बताया गया है कि अब वैसे भी बच्चों को केंद्र सरकार से लाभ मिलेगा जिनके अभिभावक में से सिर्फ एक व्यक्ति की मौत हुई है. लेकिन यह देखने वाली बात होगी कि केंद्र सरकार की यह योजना कब बच्चों तक पहुंच पाती है. जरूरत है कि सरकार और भी मजबूती के साथ ऐसे बच्चों को चिन्हित करें ताकि एक भी वैसा बच्चा जो कोरोना में अपने परिजनों को खो चुका है वो सरकारी लाभ से वंचित ना हो सके.