रांची: राज्य में 2016 में शुरू हुए हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा एक बार फिर विवादों में आ गई है. विवाद की वजह यह है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से बीते 2 अगस्त को सुनाए गए फैसले का जेएसएससी द्वारा पालन नहीं किया गया है. इसके खिलाफ प्रार्थी सोनी कुमारी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कंटेम्प्ट फाइल की गई है. अधिवक्ता ललित कुमार के माध्यम से प्रार्थी सोनी कुमारी द्वारा फाइल किये गये कंटेम्प्ट में झारखंड के मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव, कार्मिक सचिव और जेएसएससी सचिव के खिलाफ याचिका दायर की गई है.
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क्यों दायर की गई याचिका: प्रार्थी सोनी कुमारी के वकील ललित कुमार का मानना है कि जेएसएससी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश अनुसार रिजल्ट प्रकाशित नहीं कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने इस परीक्षा के लिए प्रकाशित अंतिम कट ऑफ को आधार मानते हुए स्टेट लेवल रिजल्ट प्रकाशित कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था लेकिन, जेएसएससी ने इसे नजरअंदाज कर मनमाने ढंग से रिजल्ट जारी करना शुरू किया है.
क्या है मामला: 2016 की नियोजन नीति के तहत झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किया गया था. वहीं, गैर अनुसूचित जिले में बाहरी अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की छूट दी गई थी. इसी नीति के तहत वर्ष 2016 में अनुसूचित जिलों में 8,423 और गैर अनुसूचित जिलों में 9,149 पदों पर हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई थी. 13 अनुसूचित जिले के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किए जाने के विरोध में झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हाई कोर्ट की लार्जर बेंच ने 21 सितंबर 2020 को राज्य सरकार की नियोजन नीति और हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए, नियोजन नीति को असंवैधानिक बताते हुए उसे निरस्त कर दिया था. हाई कोर्ट ने 13 जिलों में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करते हुए गैर अनुसूचित जिलों की नियुक्ति को बरकरार रखा था.
हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती: हाई कोर्ट के लार्जर बेंच के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थी सत्यजीत कुमार और अन्य की ओर से एसएलपी दायर की गई. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार और जेएसएससी को प्रकाशित अंतिम मेधा सूची को आधार मानकर राज्य स्तरीय मेरिट लिस्ट जारी कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को कहा था.
सुप्रीम कोर्ट में कंटेम्प्ट दाखिल: फिर विवाद में हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा, जानिए क्या है वजह
झारखंड में हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा एक बार फिर विवादों में आ गई है. विवाद की वजह सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना है (Contempt of Supreme Court). इसे लेकर झारखंड और जेएसएससी के पदाधिकारियों के खिलाफ कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट के तहत याचिका दायर की गई है.
रांची: राज्य में 2016 में शुरू हुए हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा एक बार फिर विवादों में आ गई है. विवाद की वजह यह है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से बीते 2 अगस्त को सुनाए गए फैसले का जेएसएससी द्वारा पालन नहीं किया गया है. इसके खिलाफ प्रार्थी सोनी कुमारी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कंटेम्प्ट फाइल की गई है. अधिवक्ता ललित कुमार के माध्यम से प्रार्थी सोनी कुमारी द्वारा फाइल किये गये कंटेम्प्ट में झारखंड के मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव, कार्मिक सचिव और जेएसएससी सचिव के खिलाफ याचिका दायर की गई है.
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क्यों दायर की गई याचिका: प्रार्थी सोनी कुमारी के वकील ललित कुमार का मानना है कि जेएसएससी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश अनुसार रिजल्ट प्रकाशित नहीं कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने इस परीक्षा के लिए प्रकाशित अंतिम कट ऑफ को आधार मानते हुए स्टेट लेवल रिजल्ट प्रकाशित कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था लेकिन, जेएसएससी ने इसे नजरअंदाज कर मनमाने ढंग से रिजल्ट जारी करना शुरू किया है.
क्या है मामला: 2016 की नियोजन नीति के तहत झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किया गया था. वहीं, गैर अनुसूचित जिले में बाहरी अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की छूट दी गई थी. इसी नीति के तहत वर्ष 2016 में अनुसूचित जिलों में 8,423 और गैर अनुसूचित जिलों में 9,149 पदों पर हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई थी. 13 अनुसूचित जिले के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किए जाने के विरोध में झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हाई कोर्ट की लार्जर बेंच ने 21 सितंबर 2020 को राज्य सरकार की नियोजन नीति और हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए, नियोजन नीति को असंवैधानिक बताते हुए उसे निरस्त कर दिया था. हाई कोर्ट ने 13 जिलों में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करते हुए गैर अनुसूचित जिलों की नियुक्ति को बरकरार रखा था.
हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती: हाई कोर्ट के लार्जर बेंच के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थी सत्यजीत कुमार और अन्य की ओर से एसएलपी दायर की गई. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार और जेएसएससी को प्रकाशित अंतिम मेधा सूची को आधार मानकर राज्य स्तरीय मेरिट लिस्ट जारी कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को कहा था.