रांची: झारखंड विधानसभा के चल रहे बजट सत्र के दौरान बुधवार को जमकर हंगामा हुआ. दरअसल निर्दलीय विधायक सरयू राय ने पथ निर्माण विभाग में काम कर रही एक एजेंसी की योग्यता को लेकर सवाल उठाया है. इसके तार पूर्ववर्ती सरकार में पथ निर्माण विभाग के मंत्री के साथ भी कथित तौर पर जुड़ गए हैं.
राय ने साफ तौर पर कहा कि एक बड़े राजनेता के बेटे की शादी का रिसेप्शन छत्तीसगढ़ के एक होटल में आयोजित किया गया और उस कंपनी की हिस्सेदारी भी उस होटल में कथित तौर पर रही है.
राय ने इस मामले में सीधे तौर पर एंटी करप्शन ब्यूरो से जांच की मांग की है. राज्य सरकार को खुली चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि आखिर सरकार उस एजेंसी के खिलाफ जांच से क्यों डर रही है.
इस मामले में उन्होंने कहा कि अग्रवाल ग्लोबल इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को मेराल बाना अंबाखोरिया पथ का काम 2019 में आवंटित हुआ था, जिसे अनियमित ठहराते हुए हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था.
उन्होंने कहा की आखिर इस कंपनी के साथ ऐसी क्या खासियत है कि हाई कोर्ट ने जब गलती बताई उसके बावजूद उसे काम दिया गया. वहीं प्रभारी मंत्री बादल ने कहा कि यह मामला प्रोपराइटरशिप से जुड़ा हुआ है.
उन्होंने कोर्ट के डायरेक्शन का हवाला भी दिया. इस मामले में राय ने साफ तौर पर कहा कि छत्तीसगढ़ में बड़े राजनेता के पुत्र की शादी समारोह का आयोजन किया गया. उन्होंने कहा कि पूरा देश जानता है कि ठेकेदारों और अधिकारियों के समूह ने पलामू से छत्तीसगढ़ तक काम किया.
उन्होंने कहा कि आखिर सरकार प्रभावशाली लोगों को क्यों उपकृत कर रही है. वहीं इस मामले में विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि सरयू राय का मामला गंभीर है. राज्य के एक बड़े राजनेता पर बेटे की शादी छत्तीसगढ़ के उस होटल में कराया जाना एक बड़ा आरोप है.
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इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी सामने आना चाहिए, क्योंकि तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री स्वयं मुख्यमंत्री थे. उन्होंने कहा कि इस मामले की सरकार को एसआईटी से जांच करानी चाहिए.
वहीं बंधु तिर्की ने भी कहा कि मामला गंभीर है और उनके ऊपर जब आय से अधिक संपत्ति का मामला सबजुडिस था तब एसीबी में जांच कराई गई थी. ऐसे में इस मामले में भी सरकार को एसीबी से जांच करायी जानी चाहिए.
इस सवाल-जवाब के दौरान विपक्षी भाजपा के सदस्य वेल में भी आए और नारेबाजी की. हालांकि मंत्री ने कहा कि सभी सदस्यों की राय और सुझाव के बाद वह सदन को यह आश्वस्त करते हैं कि बदले की भावना से कोई काम नहीं किया जाएगा. सरकार इस मामले में विधानसभा की एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखती है.