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कांग्रेस ने जारी किया धरोहर श्रृंखला का 30वां वीडियो, मंत्री रामेश्वर उरांंव ने सोशल मीडिया पर किया पोस्ट

रांची में झारखंड कांग्रेस कमेटी ने धरोहर श्रृंखला का 30वां वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया. वीडियो जारी कर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि 1929 में लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में 26 जनवरी 1930 को प्रथम स्वाधीनता दिवस मनाने के संदेश ने पूरे देश को क्रांति की भावना से किया.

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कांग्रेस ने जारी किया धरोहर श्रृंखला का 30वां वीडियो
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Published : Dec 13, 2020, 3:43 PM IST

रांची: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने रविवार को धरोहर श्रृंखला का 30वां वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव ने अपने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर कहा कि 1929 में लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में 26 जनवरी 1930 को प्रथम स्वाधीनता दिवस मनाने के संदेश ने पूरे देश को क्रांति की भावना से ओतप्रोत कर दिया, यहीं से अंग्रेजी हुकूमत के पतन की शुरुआत हुई, 30वां धरोहर देशवासियों को स्वतंत्रता संग्राम की उसी गाथा से रूबरू कराता है.

कांग्रेस अधिवेशन से निकली स्वराज की मांग

रामेश्वर उरांव ने कहा कि 1905 के बंगाल विभाजन के बाद 1906 में कोलकाता के कांग्रेस अधिवेशन से निकली स्वराज की मांग, जालियांवाला बाग नरसंहार के बाद भारतीय जनमानस में जोर पकड़ने लग गई थी, असहयोग आंदोलन ने स्वराज की इस मांग को मजबूती दी और पंडित नेहरू, सुभाष चंद्र बोस जैसे युवा क्रांतिकारी नेताओं से स्वराज को ताकत मिलने लगी. उन्होंने कहा कि साल 1929 में लाहौर में रावी नदी का तट में अपने अध्यक्षीय भाषण में ही पंडित नेहरू ने देश को विदेशी शासन से मुक्त कराने का आह्वान कर दिया, पंडित नेहरू ने पूर्ण स्वराज से कम पर कोई समझौता नहीं करने के अपने संकल्प को मजबूती देने के लिए आधी रात को रावी नदी के तट पर भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक तिरंगा झंडा फहरा दिया, लाहौर के इस अधिवेशन से 26 जनवरी 1930 को प्रथम स्वाधीनता दिवस के रूप में देशभर में तिरंगा झंडा फहराया जाने का संकल्प निकला, साथ ही गोल में सम्मेलन के बहिष्कार का निर्णय लेते हुए पूर्ण स्वराज को कांग्रेस ने अपना मुख्य लक्ष्य घोषित करके प्रस्ताव पारित कर दिया.


इसे भी पढे़ं: जमशेदपुरः विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं को लेकर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने की बैठक, निकाय पदाधिकारियों को दिए निर्देश


कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि धरोहर में दर्शाया गया कि बापू सहित सभी दिग्गज कांग्रेसी नेताओं ने पूर्ण स्वराज की मांग के समर्थन में देशव्यापी सविनय अवज्ञा आंदोलन छेड़ने का निर्णय लिया, आजादी के लिए भी बलिदान देने को तैयार जनता का भारी संख्या में हिस्सा लेना लाहौर अधिवेशन की बहुत बड़ी विशेषता रही, इससे उत्साहित पंडित नेहरू ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया था, हमारा लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ स्वाधीनता प्राप्त करना है, हमारे लिए स्वाधीनता पूर्ण स्वतंत्रता है. वहीं झारखंड सरकार में मंत्री बादल पत्रलेख और बन्ना गुप्ता ने कहा कि 1929 के लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में ली गई पूर्ण स्वराज की शपथ लगभग 17 साल बाद 15 अगस्त 1947 को पूरी हुई, लेकिन पूर्ण स्वराज की इस यात्रा में हमारे पूर्वजों ने अनगिनत बलिदान दिए, अंग्रेजों के अत्याचार सहे, जुल्मो सितम से कई परिवारों को अपना सब कुछ गंवाना पड़ा, लेकिन स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है यह साबित कर दिया.

रांची: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने रविवार को धरोहर श्रृंखला का 30वां वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव ने अपने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर कहा कि 1929 में लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में 26 जनवरी 1930 को प्रथम स्वाधीनता दिवस मनाने के संदेश ने पूरे देश को क्रांति की भावना से ओतप्रोत कर दिया, यहीं से अंग्रेजी हुकूमत के पतन की शुरुआत हुई, 30वां धरोहर देशवासियों को स्वतंत्रता संग्राम की उसी गाथा से रूबरू कराता है.

कांग्रेस अधिवेशन से निकली स्वराज की मांग

रामेश्वर उरांव ने कहा कि 1905 के बंगाल विभाजन के बाद 1906 में कोलकाता के कांग्रेस अधिवेशन से निकली स्वराज की मांग, जालियांवाला बाग नरसंहार के बाद भारतीय जनमानस में जोर पकड़ने लग गई थी, असहयोग आंदोलन ने स्वराज की इस मांग को मजबूती दी और पंडित नेहरू, सुभाष चंद्र बोस जैसे युवा क्रांतिकारी नेताओं से स्वराज को ताकत मिलने लगी. उन्होंने कहा कि साल 1929 में लाहौर में रावी नदी का तट में अपने अध्यक्षीय भाषण में ही पंडित नेहरू ने देश को विदेशी शासन से मुक्त कराने का आह्वान कर दिया, पंडित नेहरू ने पूर्ण स्वराज से कम पर कोई समझौता नहीं करने के अपने संकल्प को मजबूती देने के लिए आधी रात को रावी नदी के तट पर भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक तिरंगा झंडा फहरा दिया, लाहौर के इस अधिवेशन से 26 जनवरी 1930 को प्रथम स्वाधीनता दिवस के रूप में देशभर में तिरंगा झंडा फहराया जाने का संकल्प निकला, साथ ही गोल में सम्मेलन के बहिष्कार का निर्णय लेते हुए पूर्ण स्वराज को कांग्रेस ने अपना मुख्य लक्ष्य घोषित करके प्रस्ताव पारित कर दिया.


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कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि धरोहर में दर्शाया गया कि बापू सहित सभी दिग्गज कांग्रेसी नेताओं ने पूर्ण स्वराज की मांग के समर्थन में देशव्यापी सविनय अवज्ञा आंदोलन छेड़ने का निर्णय लिया, आजादी के लिए भी बलिदान देने को तैयार जनता का भारी संख्या में हिस्सा लेना लाहौर अधिवेशन की बहुत बड़ी विशेषता रही, इससे उत्साहित पंडित नेहरू ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया था, हमारा लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ स्वाधीनता प्राप्त करना है, हमारे लिए स्वाधीनता पूर्ण स्वतंत्रता है. वहीं झारखंड सरकार में मंत्री बादल पत्रलेख और बन्ना गुप्ता ने कहा कि 1929 के लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में ली गई पूर्ण स्वराज की शपथ लगभग 17 साल बाद 15 अगस्त 1947 को पूरी हुई, लेकिन पूर्ण स्वराज की इस यात्रा में हमारे पूर्वजों ने अनगिनत बलिदान दिए, अंग्रेजों के अत्याचार सहे, जुल्मो सितम से कई परिवारों को अपना सब कुछ गंवाना पड़ा, लेकिन स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है यह साबित कर दिया.

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