रांची: झारखंड के आदिवासी और मूलवासियों की जमीन को सुरक्षित रखने के लिए सीएनटी (छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम) और एसपीटी (संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम) जैसे दो एक्ट हैं. फिर भी दखल दिहानी के मामले लटके पड़े हैं. इसको लेकर राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग आए दिन सवालों के घेरे में आता है. कांग्रेस विधायक नेहा शिल्पी तिर्की के एक सवाल के जवाब में प्रभारी मंत्री जोबा मांझी ने बताया कि 1 मार्च 2023 तक एसएआर कोर्ट में कुल 4,227 मामले हैं. इनमें से 901 मामले निष्पादित हो चुके हैं. इसमें 279 दखल दिहानी की संख्या है. इसके अलावा 1068 लोगों का पहला नोटिस भेजा गया है जबकि 524 मामलों में दूसरा नोटिस गया है.
जोबा मांझी के इस जवाब पर नेहा शिल्पी ने अपनी ही सरकार पर गलत रिपोर्ट देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यही सवाल उनके सहयोगी विधायक राजेश कच्छप ने साल 2021 में पूछा था. उस वक्त भी यही जवाब आया था. यह कैसे हो सकता है. उन्होंने कहा कि 10 हजार से ज्यादा मामले में अकेले रांची में लंबित पड़े हुए हैं. यह ऐसी बात थी जिसका जवाब देना प्रभारी मंत्री के लिए मुश्किल हो रहा था.
क्या है पूरा मामला: मांडर से कांग्रेस विधायक नेहा शिल्पी तिर्की ने सरकार से पूछा कि क्या सीएनटी के तहत मूल रैयतो को उनकी जमीन वापस देने के लिए दखल दिहानी का प्रावधान है. राजस्व विभाग ने जवाब में कहा कि 5वीं अनुसूची क्षेत्र में सीएनटी की धारा 71ए और एसपीटी की धारा 20(5) के तहत एसटी की भूमि की वापसी का प्रावधान है. यही नहीं गैर पांचवी अनुसूची क्षेत्र में सीएनटी की धारा 46ए के तहत एसटी की जमीन की वापसी का प्रावधान है.