रांची: बाजार से गायब होने वाला है गुलाबी नोट. आम लोगों की जेब से तो काफी पहले से ही दूरी बना चुका था. काफी समय से एटीएम में भी नजर नहीं आता था. कई बार तो गाहे-बगाहे आ भी गया तो खरीददारी के वक्त दुकानदार उसे देखकर सूरज की रौशनी में उसके तार खोजने लगते थे. लगता था मानो नकली हो. लेकिन वो भी क्या दिन थे जब 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के बाद साल 2017 में यह बाजार में आया था. दुकान वाले तो गल्ले पर शीशे की शीट के नीचे डिस्प्ले में लगाते थे. पर्स में रहता था तो एक अलग कॉंफिडेंस देता था. इसके आने के साथ कई कहानियां भी आईं. कोई कहता था कि इसमें चिप लगा है. कोई कहता था कि यह मोदी जी के भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा हथियार है. कुछ लोग यह भी कहते थे कि यह नोट बाजार में ज्यादा दिन नहीं टिकेगा. हुआ भी वही. आरबीआई ने दो हजार के गुलाबी नोट को वापस लेने का फैसले ले लिया है.
23 मई से लोग बैंकों में इसको बदल सकेंगे. 30 सितंबर के बाद यह रद्दी का टुकड़ा बन जाएगा. आरबीआई के मुताबिक वर्तमान में 2000 रुपए वैल्यू का कुल 3.62 लाख करोड़ बाजार में है. यह नोट के कुल वैल्यू का महज 10 प्रतिशत का आसपास है. आरबीआई के इस फैसले पर आम लोगों की मिली जुली प्रतिक्रिया है. कोई कहता है कि इस फैसले से रुपए दबाकर बैठे लोगों की कमर टूटेगी. कोई कहता है, कोई फर्क नहीं पड़ेगा. कोई कहता है कि आगामी तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव पर इसका जबरदस्त असर होगा. वैसे विपक्ष इसपर सवाल भी खड़े कर रहा है. अगर चंद वर्षों में बाजार से इसको हटाना ही था तो फिर लाया ही क्यों गया.
झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के चेयरमैन मंत्री किशोर ने कहा कि इस फैसले से बाजार खुश है. वैसे भी बाजार में यह नोट नहीं के बराबर था. कोई लेनदेन पर फर्क नहीं पड़ेगा. अब ज्यादातर काम ऑनलाइन हो रहा है. सरकार ने अच्छा खासा समय भी दे रखा है. जिनके पास यह नोट है, वो बदल सकते हैं. यह निर्णय जरूर देशहित में ही लिया गया होगा. इसका असर किसपर पड़ेगा, इसका जवाब मोदी जी ही दे सकते हैं. लेकिन यह कहा जा सकता है कि इसका असर सिर्फ कालाबाजारी करने वालों पर पड़ेगा. इसको लेकर आम लोगों और कारोबारियों को पैनिक होने की जरूरत नहीं है. अफवाह नहीं फैलाना है. घबराना भी नहीं है. उन्होंने कहा कि खुलकर कारोबार करें.
अब सवाल है कि नोट की चाल समझने वाला व्यवसायी वर्ग इसको किस रूप में देख रहा है. झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव डॉ अभिषेक रामधीन का कहना है कि इससे आम लोगों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. यह कवायद पहले से ही चल रही थी. किसी भी बैंक ने 2018 के बाद यह नोट किसी को नहीं दिया. इससे कालाबाजारी बढ़ रही थी. यूपी में गुटखा किंग के यहां से 2000 के ही नोट मिले थे. इसका असर उन्हीं लोगों पर पड़ेगा. अगर आम लोगों के पास दो-चार लाख है भी तो वह बैंक में जमा कर सकते हैं. जिन लोगों ने सैंकड़ों करोड़ दबा रखा है, उन्हें परेशानी झेलनी पड़ेगी. आम लोगों के पास ऑप्शन है. व्यवसायी वर्ग पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. अभी एक भ्रम फैला है कि एक आदमी सिर्फ 20 हजार ही बदल सकता है . यह सिर्फ बदलने की बात है. अगर किसी के पास लीगल रूप से 2000 के नोट हैं तो उसे बैंक में जमा करने में कोई दिक्कत नहीं है. आरबीआई के इस फैसले से इकोनॉमी बूस्ट होगी. लिक्विडिटी बढ़ेगी.
बाजार में कम हुआ है रुपये का चलन: दरअसल, नोटबंदी के बाद भारत में डिजीटल पेमेंट का चलन बढ़ा है. दस रुपए का ट्रांजेक्शन भी लोग यूपीआई, पेटीएम, गूगल से कर रहे हैं. आम लोगों की जेब में पैसे की जरूरत ही खत्म हो गई है. मोबाइल से स्कैन कर लोग अपनी रोजमर्रा की चीजें खरीद रहे हैं.
फिर याद आया नोटबंदी वाला दौर: नोटबंदी का दौर शायद ही कोई भूला हो. नवंबर 2016 की शाम पीएम मोदी ने पांच सौ और एक हजार के नोट को चलन से बाहर करने का एलान किया था. बैंकों के सामने लंबी-लंबी कतारें लगती थी. पांच सौ और एक हजार के नोट को बदलने के लिए लोगों को न जाने कितनी तकलीफें उठानी पड़ी थी. उस समय बैंक कर्मियों का क्या जलवा हुआ करता था. लोग रिश्तेदारी निकाला करते थे. तब कहा गया था कि ब्लैक मनी खत्म हो जाएगी. इसबार आरबीआई चर्चा में है.