रांची: मानसून शुरू होते ही हर जगह सांपों का खतरा मंडराने लगता है. ग्रामीण क्षेत्रों से सर्प दंश से मौत की ज्यादातर घटनाएं सामने आती है. इसके पीछे एक वजह है अंधविश्वास और दूसरी वजह है लोगों को सांपों के बारे में जानकारी नहीं होना. लोगों को यह पता नहीं चल पाता है कि व्यक्ति को किस सांप ने डंसा है. सभी सांपों के काटने का निशान थोड़ा अलग होता है और इसका असर भी शरीर के अलग-अलग अंगों पर पड़ता है. सांपों का रेस्क्यू करने वाले रमेश कुमार बताते हैं कि वैसे तो झारखंड में करीब 30 प्रकार के सांप पाए जाते हैं, लेकिन इसमें तीन सांप ही सबसे ज्यादा जहरीला होता है. कोबरा(गेहुअन), रसल वाइपर और करैत. तीनों सांपों के काटने के बाद अगर तुरंत इलाज नहीं मिला तो व्यक्ति की जान जा सकती है.
सूडो बाइट भी करता है कोबरा
जहरीले सांपों में सबसे पहले बात कोबरा की. कोबरा के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि यह सबसे ज्यादा एक्टिव सांप होता है. कोबरा किसी व्यक्ति को काटता है तो अपने दांतों का निशान उस जगह पर छोड़ देता है. कोबरा कभी-कभी सूडो बाइट(pseudo bite) भी करता है. यह जरूरी नहीं कोबरा पहले ही हमले में शिकार के शरीर में जहर छोड़े. यह चेताने के लिए कई बार पहले हमला तो करता है लेकिन अपने विष डंक शरीर में नहीं गड़ाता. इसे ही सूडो बाइट कहते हैं.
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कई बार शरीर में ज्यादा जहर छोड़ देता है कोबरा, नहीं मिलता बचाने का ज्यादा वक्त
कोबरा यानि गेहुअन के काटते ही उस स्थान पर त्वतचा का रंग बदलने लगता है और आसपास सूजन होने लगती है. धीरे-धीरे शरीर में कमजोरी होने लगती है और शरीर शिथिल पड़ने लगता है. सांप काटे हुए व्यक्ति की आंखों झपकने लगती है और मुंह से लार गिरना शुरू हो जाता है. शरीर से पसीना निकलने लगता है और सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है. जान जोखिम में पाकर कोबरा कई बार शिकार के शरीर में काफी अधिक मात्रा में जहर छोड़ता है. यही कारण है कि कुछ मामलों में कोबरा के शिकार की जान बचाने के लिए ज्यादा वक्त नहीं मिलता.
नर्वस सिस्टम पर असर डालता है कोबराटॉक्सिन
हर सांप में अलग-अलग जहर पाया जाता है. कोबरा में जो जहर होता है उसे कोबराटॉक्सिन(Cobratoxin) कहते हैं. यह न्यूरोटॉक्सिन का ही एक प्रकार है. यह जहर शरीर के नर्वस सिस्टम पर हमला करता है. कोबरा का जहर शरीर में प्रवेश करते ही नर्वस सिस्टम बिगड़ने लगता है और शरीर पैरालाइज्ड हो जाता है. कोबरा के मामले विशेषज्ञों का कहना है कि यह अपनी क्षमता के अनुसार जहर छोड़ता है. शरीर में जहर की मात्रा कम गई है तो व्यक्ति को समय रहते बचाया जा सकता है.
दुनिया के सबसे जहरीले सांपों में से एक है करैत
करैत भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के टॉप-10 जहरीले सांपों में शामिल है. करैत की भी कई प्रजाति है. सर्प विशेषज्ञों का कहना है कि करैत स्वभाव से काफी शांत होता है लेकिन यह सबसे ज्यादा खतरनाक सापों में से एक है. दिन के समय यह छिपा रहता है और मुख्यतः रात के समय ही शिकार पर निकलता है. करैत ठंडे खून वाला सांप है और गर्मी पाने के लिए कई बार यह घरों में घुस जाता है.
...नींद में ही हो जाती है मौत
करैत की सबसे खास बात यह है कि इसका विष दंत सूई की तरह बेहद पतला और छोटा होता है. करैत के डंसने पर कोबरा या रसल वाइपर की तरह व्यक्ति को तेज दर्द नहीं होता. कोई व्यक्ति अगर करैत को काटते हुए न देख पाए तो उसे यह बिल्कुल पता नहीं चलता कि सांप ने डंसा है. कई बार करैत के शिकार व्यक्ति की नींद नहीं खुलती और सोने के दौरान ही उसकी मौत हो जाती है.
न्यूरोट्रांसमीटर ब्रेक कर देता है करैत का जहर
करैत में जो जहर पाया जाता है उसे न्यूरोटॉक्सिन(Neurotoxins) कहते हैं. करैत का जहर इंसानों में इंजेक्ट होते ही नर्वस सिस्टम पर असर डालता है. न्यूरोटॉक्सिन शरीर के न्यूरोट्रांसमीटर को ब्रेक कर देता है. न्यूरोट्रांसमीटर ब्रेक करने का मतलब यह कि शरीर को काम करने का सिग्नल नहीं मिलता है. शरीर कोई काम नहीं करेगा तो स्वभाविक है कि इंसान की मौत हो जाएगी.
आकार में काफी बड़ा होता है रसल वाइपर
करैत की तरह रसल वाइपर भी दुनिया के सबसे जहरीले सांपों में से एक है. रसेल वाइपर आकार में बड़ा होता है और इसके शरीर की बनावट कुछ इस तरह होती है कि लोग इसे अजगर समझ लेते हैं. यह सांप अधिकतर खुले मैदानों या खेतों में पाया जाता है. जमीन पर मौजूद पेड़ के सूखे पत्तों, घास और झाड़ियों में यह छिपने इस कदर माहिर होता है कि लोग इसे देख नहीं पाते.
रात में ज्यादा एक्टिव होता है रसल वाइपर
रसल वाइपर के बारे में विशेषज्ञ यह बताते हैं कि ये रात में एक्टिव होता है. इस सांप के शिकार ज्यादातर वैसे लोग होते हैं जो रात में बाहर निकलते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून के दौरान रात में बाहर निकलते हैं तो टॉर्च या लाइट साथ में लेकर निकलें. रसल वाइपर का हमला बहुत तीव्र और घातक होता है. इसके जबड़े दूसरे सांपों की तुलना में सबसे ज्यादा शक्तिशाली होते हैं. इसके काटने के बाद भयंकर दर्द होता है. पेट में दर्द के साथ शरीर में तेजी के साथ जहर फैलने लगता है. पेशाब के रास्ते खून आने लगता है.
हेमोटॉक्सिन से होती है इंटरनल ब्लीडिंग
रसल वाइपर का जहर हेमोटॉक्सिन (Hemotoxins) होता है. इस सांप का जहर शरीर के अंदर प्रवेश करते ही नसें फटने लगती है. शरीर के अंदर ही रक्त श्राव शुरू हो जाता है और धीरे-धीरे शरीर के अंग काम करना बंद कर देते हैं. शरीर में खून के थक्के बनते हैं और हार्ट अटैक से व्यक्ति की मौत हो जाती है.
क्यों डंसता है सांप ?
जितना हम इंसान सांपों से डरते हैं उतना ही सांप भी हमसे डरते हैं. सांप अपने जहर का इस्तेमाल दुश्मनों से सुरक्षा के लिए करता है. यही कारण है कि जब सांप को लगता है कि उसकी जान खतरे में है तो वह हमला कर देता है. सांप मुख्य रूप से अपने जहर का इस्तेमाल शिकार के लिए करते हैं. भोजन की तलाश में निकला सांप शिकार के शरीर पर दांत गड़ा देता है और उसके शरीर में जहर डाल देता है. जहर के कारण शिकार थोड़ी दूर जाकर बेहोश हो जाता है और सांप अपने जहर को सूंघता हुआ उसके पास पहुंच जाता है.