रांची: प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक दलों में कार्यकर्ताओं के बीच टिकट पाने की होड़ लग गई है. सभी नेता अपने-अपने क्षेत्र में अपनी प्रबल दावेदारी पेश कर रहे हैं. टिकट दावेदारी के मामले में बीजेपी नेताओं में भी होड़ मच रखी है. प्रदेश में बीजेपी के पदाधिकारी इस दौड़ में सबसे आगे हैं. दरअसल 32 सदस्यों की प्रदेश कार्यसमिति के मुखिया से लेकर मंत्री, महामंत्री और यहां तक कि प्रवक्ता भी अलग-अलग विधानसभा इलाकों से टिकट की जुगाड़ में लगे हुए हैं.
कौन कहां से लड़ने की जुगत में
- टिकट की जुगत में लगे प्रदेश पदाधिकारियों में सबसे पहला नाम प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा का आता है. पिछले लोकसभा में चाईबासा सीट से हारने के बाद अब गिलुवा विधानसभा में एंट्री मारने के मूड में हैं. पार्टी सूत्रों के अनुसार गिलुवा की निगाह चक्रधरपुर विधानसभा सीट पर है.
- प्रदेश उपाध्यक्ष हेमलाल मुर्मू बरहेट विधानसभा से आस लगाए बैठे हैं.
- दूसरे प्रदेश उपाध्यक्ष और गढ़वा से विधायक सत्येन्द्रनाथ तिवारी अपनी सीटिंग सीट को बचाए रखने में लगे हैं.
- प्रदेश उपाध्यक्ष आदित्य साहू रांची सीट के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं.
- साहू के अलावा प्रदेश उपाध्यक्ष और संथाल परगना के प्रभारी प्रदीप वर्मा भी इलेक्शन लड़ना चाहते हैं.
- पिछले दिनों झाविमो छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रणव कुमार वर्मा गिरिडीह जिले की गांडेय सीट पर नजर गड़ाए बैठे हैं.
- प्रदेश महामंत्री और राजमहल से विधायक अनंत ओझा अपनी सीट बचाये रखना चाहते हैं.
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ये भी हैं दौड़ में
हटिया से विधायक और बीजेपी में प्रदेश मंत्री नवीन जायसवाल भी टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. बीजेपी के दूसरे प्रदेश मंत्री सुबोध सिंह गुड्डू, प्रदेश महामंत्री नूतन तिवारी, प्रदेश प्रशिक्षण प्रमुख गणेश मिश्र, प्रदेश प्रवक्ता जेबी तुबिद क्रमशः हटिया, गोड्डा, निरसा और चाईबासा सीट के लिए कोशिश कर रहे हैं. इन सबके साथ ही प्रदेश प्रवक्ता दीनदयाल बरनवाल, प्रतुल शाहदेव, प्रवीण प्रभाकर, मिस्फिका हसन भी विधानसभा इलेक्शन लड़ने की जुगत में हैं. इन सबके अलावा प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश भी चुनावी रेस में शामिल हैं.
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क्या कह रहे हैं प्रदेश प्रवक्ता दीनदयाल बरनवाल
इस मामले पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता दीनदयाल बरनवाल का कहना है कि यह तो सौभाग्य की बात है कि पार्टी कार्यकर्ताओं को इस तरह का मौका मिल सकता है. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि चुनावों के पहले सब अपनी अपनी दावेदारी रखते हैं लेकिन जैसे ही कैंडिडेट का निर्णय आता है वही लोग जो पहले टिकट पाने की दौड़ में शामिल रहते हैं पार्टी से चयनित कैंडिडेट की जीत के लिए चुनाव में सक्रिय हो जाते हैं.
क्या कह रहे हैं प्रदेश उपाध्यक्ष प्रदीप वर्मा
वहीं दूसरी तरफ प्रदेश उपाध्यक्ष प्रदीप वर्मा के अनुसार यह एक सामान्य प्रक्रिया है. राजनीतिक दल के कार्यकर्ता जनप्रतिनिधि बने उसमें कोई गलत बात नहीं है. हालांकि उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को बस इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि टिकट पाने की महत्वकांक्षा से पार्टी को नुकसान न होने लगे.
बता दें कि टिकट पाने की जुगत में इनमें से ज्यादातर लोग राज्य में एक तरफ संगठन और सरकार में अपनी क्रेडिबिलिटी की दुहाई दे रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ वे दिल्ली दरबार से भी लगातार संपर्क कर रहे हैं.