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Omicron in Jharkhand: चिकित्सकों ने माना- झारखंड में ओमीक्रोन का कम्युनिटी स्प्रेड हो चुका है - कोरोना वेरिएंट ओमीक्रोन

कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर चल रही है. झारखंड में ओमीक्रोन की दस्तक हो चुकी है. इसको लेकर प्रदेश के डॉक्टर्स का कहना है कि झारखंड में ओमीक्रोन का कम्युनिटी स्प्रेड हो चुका है, लोग संपर्क में आए बिना भी कोरोना संक्रमित हो रहे हैं.

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कोरोना संक्रमण
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Published : Jan 20, 2022, 10:18 PM IST

Updated : Jan 20, 2022, 11:03 PM IST

रांचीः लोग संपर्क में आए बिना भी कोरोना संक्रमित हो रहे हैं. झारखंड में ओमीक्रोन का कम्युनिटी स्प्रेड हो चुका है. ये कहना है डॉक्टर्स का. भले ही अभी तक जीनोम सिक्वेंसिंग में सिर्फ 12 सैंपल में ओमीक्रोन की पुष्टि हुई हो पर राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स और झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन (झासा) का भी मानना है कि झारखंड में ओमीक्रोन का कम्युनिटी स्प्रेड हो चुका है.

इसे भी पढ़ें- ओमीक्रोन से कोरोना बीमारी की गंभीरता हो सकती है कम

झारखंड में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर चल रही है. लेकिन डॉक्टर्स का मानना है कि झारखंड में ओमीक्रोन का कम्युनिटी स्प्रेड हो चुका है. रिम्स के शिशु रोग विभाग के एचओडी डॉ. अमर वर्मा कहते हैं कि उन्होंने कई मरीजों की केस हिस्ट्री में यह देखा है कि मरीज ना तो किसी संक्रमित के संपर्क में आया और ना ही वह घर से बाहर निकला, फिर भी वो कोरोना के चपेट में आ गया. डॉ. अमर वर्मा कहते हैं कि किसी भी संक्रमण वाली महामारी में ऐसा तभी होता है जब समुदाय में संक्रमण फैल जाए. झासा के प्रदेश सचिव डॉ बिमलेश सिंह भी कहते हैं कि जो ट्रेंड पिछले 15-20 दिनों का रहा है उससे यह लगता है कि कोरोना वेरिएंट ओमीक्रोन का कम्युनिटी स्प्रेड हो गया है.

देखें पूरी खबर
ओमीक्रोन का कम्युनिटी स्प्रेड अच्छा या खराब? आधिकारिक रूप से राज्य में महज 12 ओमीक्रोन के केस मिले हैं. क्योंकि सीमित मात्रा में सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग करायी गयी है. लेकिन राज्य में काफी तेजी से संक्रमितों की संख्या में बढ़ोतरी और इस बार के संक्रमण में जो लक्षण आ रहे हैं, उससे विशेषज्ञ एकमत हैं कि राज्य में संक्रमण की मुख्य वजह ओमीक्रोन ही है. ऐसे में ओमीक्रोन का कम्युनिटी स्प्रेड अच्छा है या खराब. इस सवाल के जवाब में डॉ. अमर वर्मा कहते हैं कि एक नजरिए से देखा जाए तो यह स्थिति काफी अच्छा होता है. क्योंकि ऐसे में अधिक से अधिक लोग वायरस की चपेट में आ जाते हैं और उनमें नेचुरल एंटीबाडी का कवच बन जाता है, जो उन्हें उस वायरस के संक्रमण से भविष्य में बचाता है. दूसरी ओर खतरा यह भी है कि अत्यधिक तेजी से कोरोना वैक्सीन के फैलाव से उसमें म्यूटेंट होने या कोई नया और खतरनाक वैरियंट बनने का खतरा भी बढ़ जाता है. ऐसे में हर वेरिएंट को खतनाक मानकर एहतियात बरतने में ही सावधानी है.राज्य में सिरो सर्वे की जरूरतः झासा के प्रदेश सचिव डॉ. बिमलेश सिंह कहते हैं कि उनका आकलन राज्य में ओमीक्रोन वेरिएंट का कम्युनिटी स्प्रेड हो जाने का है. लेकिन इसके कंफर्मेशन के लिए अब स्वास्थ्य विभाग को राज्य में सिरो सर्वे कराना चाहिए.

रांचीः लोग संपर्क में आए बिना भी कोरोना संक्रमित हो रहे हैं. झारखंड में ओमीक्रोन का कम्युनिटी स्प्रेड हो चुका है. ये कहना है डॉक्टर्स का. भले ही अभी तक जीनोम सिक्वेंसिंग में सिर्फ 12 सैंपल में ओमीक्रोन की पुष्टि हुई हो पर राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स और झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन (झासा) का भी मानना है कि झारखंड में ओमीक्रोन का कम्युनिटी स्प्रेड हो चुका है.

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झारखंड में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर चल रही है. लेकिन डॉक्टर्स का मानना है कि झारखंड में ओमीक्रोन का कम्युनिटी स्प्रेड हो चुका है. रिम्स के शिशु रोग विभाग के एचओडी डॉ. अमर वर्मा कहते हैं कि उन्होंने कई मरीजों की केस हिस्ट्री में यह देखा है कि मरीज ना तो किसी संक्रमित के संपर्क में आया और ना ही वह घर से बाहर निकला, फिर भी वो कोरोना के चपेट में आ गया. डॉ. अमर वर्मा कहते हैं कि किसी भी संक्रमण वाली महामारी में ऐसा तभी होता है जब समुदाय में संक्रमण फैल जाए. झासा के प्रदेश सचिव डॉ बिमलेश सिंह भी कहते हैं कि जो ट्रेंड पिछले 15-20 दिनों का रहा है उससे यह लगता है कि कोरोना वेरिएंट ओमीक्रोन का कम्युनिटी स्प्रेड हो गया है.

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ओमीक्रोन का कम्युनिटी स्प्रेड अच्छा या खराब? आधिकारिक रूप से राज्य में महज 12 ओमीक्रोन के केस मिले हैं. क्योंकि सीमित मात्रा में सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग करायी गयी है. लेकिन राज्य में काफी तेजी से संक्रमितों की संख्या में बढ़ोतरी और इस बार के संक्रमण में जो लक्षण आ रहे हैं, उससे विशेषज्ञ एकमत हैं कि राज्य में संक्रमण की मुख्य वजह ओमीक्रोन ही है. ऐसे में ओमीक्रोन का कम्युनिटी स्प्रेड अच्छा है या खराब. इस सवाल के जवाब में डॉ. अमर वर्मा कहते हैं कि एक नजरिए से देखा जाए तो यह स्थिति काफी अच्छा होता है. क्योंकि ऐसे में अधिक से अधिक लोग वायरस की चपेट में आ जाते हैं और उनमें नेचुरल एंटीबाडी का कवच बन जाता है, जो उन्हें उस वायरस के संक्रमण से भविष्य में बचाता है. दूसरी ओर खतरा यह भी है कि अत्यधिक तेजी से कोरोना वैक्सीन के फैलाव से उसमें म्यूटेंट होने या कोई नया और खतरनाक वैरियंट बनने का खतरा भी बढ़ जाता है. ऐसे में हर वेरिएंट को खतनाक मानकर एहतियात बरतने में ही सावधानी है.राज्य में सिरो सर्वे की जरूरतः झासा के प्रदेश सचिव डॉ. बिमलेश सिंह कहते हैं कि उनका आकलन राज्य में ओमीक्रोन वेरिएंट का कम्युनिटी स्प्रेड हो जाने का है. लेकिन इसके कंफर्मेशन के लिए अब स्वास्थ्य विभाग को राज्य में सिरो सर्वे कराना चाहिए.
Last Updated : Jan 20, 2022, 11:03 PM IST
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