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कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने की सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात, 250 करोड़ का सौंपा चेक

केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी अपने कैबिनेट सहयोगी और खूंटी से सांसद अर्जुन मुंडा के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलने प्रोजेक्ट बिल्डिंग पहुंचे. इस दौरान लगभग डेढ़ घंटे तक तीनों नेताओं के बीच बातचीत हुई. साथ ही कोल इंडिया लिमिटेड ने ढाई सौ करोड़ रुपये का एक चेक भी मुख्यमंत्री को हैंड ओवर किया.

Coal Minister Prahlad Joshi met CM Hemant Soren
कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने की सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात
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Published : Jul 30, 2020, 10:34 PM IST

Updated : Jul 31, 2020, 12:22 AM IST

रांची: केंद्र सरकार के उपक्रम कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा झारखंड की जमीनों पर खनन के बदले राज्य सरकार ने केंद्रीय कोयला मंत्री के समक्ष 8000 करोड़ के मुआवजे का दावा ठोंका है. वहीं, इस मद में गुरुवार को पहली बार केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी की मौजूदगी में झारखंड सरकार को 250 करोड़ रुपये सौंपे गए. इस बाबत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कभी इसके एवज में कोई मुआवजा राज्य सरकार को नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि गुरुवार को केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी से उनकी बात हुई है और उन्होंने सकारात्मक आश्वासन भी दिया है.

जानकारी देते सीएम हेमंत

सीएम ने कहा कि 250 करोड़ की राशि के रूप में पहली बार झारखंड सरकार ने कोल इंडिया से अपने हिस्से का एक टुकड़ा हासिल किया है. उन्होंने कहा कि 2009 से लेकर 2019 तक लगभग 10 साल के कार्यकाल में सरकारी जमीन पर कोयला निकलना और उसके बदले राज्य सरकार को रेवेन्यू नहीं मिलना अजीब बात है. सीएम सोरेन ने कहा कि अलग राज्य होने के बाद से अब तक इस राज्य में कई मंत्री बने मुख्यमंत्री भी बने, लेकिन कोई यह हिस्सा हासिल नहीं कर पाया. उन्होंने कहा कि पहली बार लगातार छह महीने से प्रयास करने के बाद यह मार्ग प्रशस्त हुआ. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से लगभग 8,000 करोड़ के मुआवजे का दावा किया गया है.

ये भी पढ़ें: रांची: कोविड-19 के दिशा निर्देशों का उल्लंघन, 4 दुकानों के खिलाफ जारी की गई नोटिस


कमर्शियल माइनिंग को लेकर उन्होंने कहा कि अगर ऑक्शन करने से पहले उनसे बात की गई होती तो शायद स्टैंड कुछ और होता. उन्होंने कहा कि पहली बार माइनिंग के नेशनलाइजेशन के बाद कोल इंडिया ने झारखंड सरकार को पैसा देना शुरू किया जो इस राज्य का हक था. उन्होंने कहा कि बड़ी मात्रा में रेल से कोयला झारखंड से बाहर ट्रेन के रैक में जाता है लेकिन उसका कोई हिसाब किताब नहीं होता है. किस प्रकार का और कितना कोयला झारखंड से बाहर जा रहा है इसका कोई आंकड़ा नहीं होता. ऐसे में राज्य सरकार को राजस्व की हानि होती थी. इस पर भी केंद्र सरकार से बात हुई है. इस संदर्भ में रेलवे के साथ झारखंड सरकार के पोर्टल को संबंधित पोर्टल को सिंक्रोनाइज करने की भी बात कही गई है.

गिनाए कोयला खनन के फायदे

बता दें कि एक दिवसीय रांची दौरे पर आए कोयला, खान मंत्री प्रह्लाद जोशी व्यावसायिक कोयला खनन के फायदे गिना गए. झारखंड के 9 प्रस्तावित कोयला खदानों के व्यवसायीकरण समेत अन्य मुद्दों को लेकर कोयला मंत्री की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ लंबी बैठक चली. वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए उन्होंने कहा कि 9 कोयला खदानों के आवंटन से राज्य को प्रति वर्ष 3,200 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व प्राप्त होगा. साथ ही राज्य के लोगों के लिए 50,000 से अधिक रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. इसके अलावा डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन मद में भी हर साल 17 करोड़ रुपए मिलेंगे. झारखंड में आवंटन के लिए प्रस्तावित लगभग सभी खदानों में 5 से 10 आवेदक आवंटन के लिए आगे आए हैं. इससे राज्य को कई मायनों में लाभ पहुंचेगा और राज्य की प्रगति का नया अध्याय लिखा जाएगा.

रांची: केंद्र सरकार के उपक्रम कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा झारखंड की जमीनों पर खनन के बदले राज्य सरकार ने केंद्रीय कोयला मंत्री के समक्ष 8000 करोड़ के मुआवजे का दावा ठोंका है. वहीं, इस मद में गुरुवार को पहली बार केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी की मौजूदगी में झारखंड सरकार को 250 करोड़ रुपये सौंपे गए. इस बाबत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कभी इसके एवज में कोई मुआवजा राज्य सरकार को नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि गुरुवार को केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी से उनकी बात हुई है और उन्होंने सकारात्मक आश्वासन भी दिया है.

जानकारी देते सीएम हेमंत

सीएम ने कहा कि 250 करोड़ की राशि के रूप में पहली बार झारखंड सरकार ने कोल इंडिया से अपने हिस्से का एक टुकड़ा हासिल किया है. उन्होंने कहा कि 2009 से लेकर 2019 तक लगभग 10 साल के कार्यकाल में सरकारी जमीन पर कोयला निकलना और उसके बदले राज्य सरकार को रेवेन्यू नहीं मिलना अजीब बात है. सीएम सोरेन ने कहा कि अलग राज्य होने के बाद से अब तक इस राज्य में कई मंत्री बने मुख्यमंत्री भी बने, लेकिन कोई यह हिस्सा हासिल नहीं कर पाया. उन्होंने कहा कि पहली बार लगातार छह महीने से प्रयास करने के बाद यह मार्ग प्रशस्त हुआ. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से लगभग 8,000 करोड़ के मुआवजे का दावा किया गया है.

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कमर्शियल माइनिंग को लेकर उन्होंने कहा कि अगर ऑक्शन करने से पहले उनसे बात की गई होती तो शायद स्टैंड कुछ और होता. उन्होंने कहा कि पहली बार माइनिंग के नेशनलाइजेशन के बाद कोल इंडिया ने झारखंड सरकार को पैसा देना शुरू किया जो इस राज्य का हक था. उन्होंने कहा कि बड़ी मात्रा में रेल से कोयला झारखंड से बाहर ट्रेन के रैक में जाता है लेकिन उसका कोई हिसाब किताब नहीं होता है. किस प्रकार का और कितना कोयला झारखंड से बाहर जा रहा है इसका कोई आंकड़ा नहीं होता. ऐसे में राज्य सरकार को राजस्व की हानि होती थी. इस पर भी केंद्र सरकार से बात हुई है. इस संदर्भ में रेलवे के साथ झारखंड सरकार के पोर्टल को संबंधित पोर्टल को सिंक्रोनाइज करने की भी बात कही गई है.

गिनाए कोयला खनन के फायदे

बता दें कि एक दिवसीय रांची दौरे पर आए कोयला, खान मंत्री प्रह्लाद जोशी व्यावसायिक कोयला खनन के फायदे गिना गए. झारखंड के 9 प्रस्तावित कोयला खदानों के व्यवसायीकरण समेत अन्य मुद्दों को लेकर कोयला मंत्री की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ लंबी बैठक चली. वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए उन्होंने कहा कि 9 कोयला खदानों के आवंटन से राज्य को प्रति वर्ष 3,200 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व प्राप्त होगा. साथ ही राज्य के लोगों के लिए 50,000 से अधिक रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. इसके अलावा डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन मद में भी हर साल 17 करोड़ रुपए मिलेंगे. झारखंड में आवंटन के लिए प्रस्तावित लगभग सभी खदानों में 5 से 10 आवेदक आवंटन के लिए आगे आए हैं. इससे राज्य को कई मायनों में लाभ पहुंचेगा और राज्य की प्रगति का नया अध्याय लिखा जाएगा.

Last Updated : Jul 31, 2020, 12:22 AM IST

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