रांची: प्रकृति पर्व सरहुल को लेकर पूरे राज्य में उत्साह चरम पर है. इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने राज्यवासियों को बधाई देते हुए पेड़ लगाने की अपील की है. हर बार चैत्र महीने के तीसरे दिन यानी चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि को मनाया जाना वाला सरहुल पर्व आदिवासियों का विशिष्ट पर्व है. सरहुल का शाब्दिक अर्थ है साल की पूजा जो धरती माता को समर्पित है. यही वजह है कि आज के दिन लोग बड़े ही उत्साह के साथ झूमते नाचते गाते हुए प्रकृति की पूजा करते हैं.
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समय के साथ भले ही लोगों के जीवन शैली बदल रहे है मगर परंपरा आज भी जीवित है. जिसका प्रमाण इस साल भी सरहुल के मौके पर देखने को मिला. इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राजधानी रांची के आदिवासी हॉस्टल और सिरम टोली स्थित सरना स्थल पर ना केवल पूजा अर्चना की बल्कि मांदर बजाकर लोगों को सरहुल की बधाई दी. यहां सीएम अपने दोनों बेटों के साथ पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने लोगों के साथ पारंपरिक रूप से नृत्य भी किया.
इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासी हॉस्टल का कायाकल्प सरकार के द्वारा किया जाएगा. जिसके लिए सरकार के द्वारा स्वीकृति प्रदान कर दी गई है. योजना के तहत 500 छात्र छात्राओं के लिए भव्य छात्रावास बनाए जाएंगे. इसके लिए स्वीकृति मिल चुकी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला कॉलेज के लिए भी कार्य योजना बनाने को कहा गया है. रांची के अलावा जिन शहरों में महिला कॉलेज हैं वहां इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत किया जाएगा. बहुत जल्द रांची के महिला कॉलेज के साइंस और आर्ट्स ब्लॉक को भव्य रूप देने के लिए काम किया जाएगा.
सीएम की अपील हर कोई लगाए एक पेड़: आदिवासी हॉस्टल के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सिरमटोली सरना स्थल पहुंचे. यहां उन्होंने कहा कि आज के समय में सबसे बड़ी चुनौती प्रकृत को संरक्षित करने का है. हमारी परंपरा जल जंगल और जमीन को बचाने से जुड़ी हुई है, लेकिन समय के साथ इन बुनियादी चीजों में कमी होती जा रही है, जो बेहद ही चिंताजनक है. सरहुल का यही संदेश है कि सभी लोग प्राकृतिक चीजों को संरक्षित करने के लिए प्रयास करें. इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लोगों से एक पेड़ जरूर लगाने की अपील की जिससे पर्यावरण को हम संरक्षित कर सकें.