ETV Bharat / state

Health Tourism In Jharkhand: केरल की तरह झारखंड में भी विकसित की जा रही पंचकर्म चिकित्सा पद्धति, हेल्थ टूरिज्म बढ़ाना चाहते हैं सीएम - पंचकर्म एवं शिरोधारा

आयुर्वेदित तरीके से इलाज करने के लिए केरल काफी मशहूर है. वहां देश के कई हिस्सों यहां तक कि विदेशों से भी लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं. झारखंड में भी उसी तर्ज पर पंचकर्म चिकित्सा पद्धति को विकसित करने की योजना बन रही है.

Health Tourism In Jharkhand
Health Tourism In Jharkhand
author img

By

Published : Mar 9, 2023, 3:17 PM IST

Updated : Mar 9, 2023, 3:42 PM IST

रांची: प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण, जंगल झाड़, पठार और पहाड़ से गिरने वाले कई विहंगम जलप्रपात वाले प्रदेश झारखंड को अब पंचकर्म चिकित्सा पद्धति में केरल के तर्ज पर विकसित करने की योजना बन रही है. सरकार की योजना पर्यटन केंद्रों पर पंचकर्म चिकित्सा केंद्र खोलने की है ताकि हेल्थ टूरिज्म के क्षेत्र में झारखंड पर्यटकों के लिए बेस्ट डेस्टिनेशन हो. मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों में अत्याधुनिक पंचकर्म चिकित्सा केंद्र खोलने की इच्छा जताई है.

ये भी पढ़ें: Health System in Hazaribag: खाट पर स्वास्थ्य व्यवस्था, भगवान भरोसे मरीज

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की सोच के अनुरूप पर्यटक केंद्रों पर आयुर्वेद की एक विधा 'पंचकर्म' का केंद्र खोलने के लिए पर्यटन विभाग और स्वास्थ्य विभाग की टीम मिलकर काम करेगी. इसकी शुरुआत मनोरम नेतरहाट से हो सकती है. आयुष निदेशालय में बतौर कार्यकारी निदेशक सेवा दे रहे डॉ फजलुस समी ईटीवी भारत से फोन पर कहते हैं कि अभी हाल ही में आयुष निदेशालय और पर्यटन विभाग के अधिकारियों की टीम ने नेतरहाट का दौरा किया था. वहां नेतरहाट से कुछ ही दूरी पर स्वास्थ्य विभाग के एक भवन का चयन भी कर लिया गया है, जहां पंचकर्म चिकित्सा केंद्र खोला जाएगा. उन्होंने बताया कि अगले 03 महीने के अंदर नेतरहाट में पंचकर्म चिकित्सा केंद्र खुल जायेगा ऐसी उम्मीद है.

इन पर्यटन स्थल पर पंचकर्म चिकित्सा केंद्र खोलने की है योजना: राज्य योग सेंटर के प्रभारी और मेडिसीनल प्लांट बोर्ड के नोडल अधिकारी डॉ मुकुल दीक्षित कहते हैं कि राज्य में जितने भी बड़े पर्यटक स्थल (Tourist place) हैं वहां पंचकर्म चिकित्सा पद्धति केंद्र खोलने की तैयारी की जा है, इसमें केरल की लोकप्रिय इलाज पद्धति शिरोधारा को भी शामिल किया जाएगा. उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में नेतरहाट, तिलैया डैम, पतरातू डैम, चांडिल डैम और बासुकीनाथ में पंचकर्म चिकित्सा केंद्र खोलने की इच्छा मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने जताई है. मुख्यमंत्री की इच्छा के अनुरूप आयुष निदेशालय ने काम भी करना शुरू कर दिया है.

इन 10 जिलों में भी खुलेगा पंचकर्म चिकित्सा केंद्र: रांची, रामगढ़, हजारीबाग, गोड्डा, गिरिडीह, पलामू, देवघर, बोकारो, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम में भी पहले चरण में पंचकर्म केंद्र खोला जाएगा. इसके लिए इन 10 जिलों में पंचकर्म भवन के लिए प्रति भवन लगभग 55.5 लाख रुपये भी जारी कर दिए गए हैं. 255 स्क्वायर मीटर क्षेत्र में दो बनने वाले दो मंजिला पंचकर्म भवन में रोगियों का इलाज पंचकर्म और शिरोधारा पद्धति से होगा. रामगढ़ में पंचकर्म भवन का निर्माण कार्य भी शुरू हो गया है जो समाहरणालय के बगल वाले सर्किट हाउस परिसर में है. रांची में भी मोरहाबादी के पास पंचकर्म भवन के लिए जगह चयनित कर लिया गया है.

केरल के पंचकर्म विशेषज्ञ दे रहे हैं झारखंड के आयुर्वेद चिकित्सकों को ट्रेनिंग: झारखंड में स्वास्थ्य विभाग की ओर से खुलने वाले पंचकर्म केंद्रों में प्रारंभिक स्तर पर दो दो विशेषज्ञ डॉक्टर रहेंगे. इसके लिए राज्य के 30 आयुर्वेद चिकित्सकों को केरल आयुर्वेदा के पंचकर्म एवं शिरोधारा विशेषज्ञ चिकित्सक 15-15 दिन का आवासीय प्रशिक्षण दे रहे हैं. 15 चिकित्सकों के पहले बैच को प्रशिक्षण दिया जा चुका है जबकि दूसरा बैच 10 मार्च से शुरू होगा.

पंचकर्म एवं शिरोधारा से स्वास्थ्य को क्या क्या मिलता है लाभ: आयुर्वेद की इलाज पद्धतियों में पंचकर्म एवं शिरोधारा इन दिनों विश्वभर में बहुत लोकप्रिय हो रहा है. भारत में दक्षिण भारत के प्रदेशों में तो यह खासा प्रचलित है तो केरल राज्य इस दिशा में एक ब्रांड ही बन गया है. मूल रूप से शरीर की गंदगी (Toxin) को बाहर निकाल कर स्वस्थ जीवन जीने की पद्धति पंचकर्म एवं शिरोधारा है. विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में किसी भी बीमारी की वजह वात, कफ और पित्त की गड़बड़ी को माना गया है. इसलिए आयुर्वेद यह कहता है कि अगर वात, पित्त और कफ के दोष की खत्म कर दिया जाए तो बीमार व्यक्ति निरोग हो जाता है. पंचकर्म विधि से इन तीनों के दोषों को शोधन विधि से दूर किया जाता है. व

मन, विरेचन, अनुवासन, आस्थापन और नस्य विधि ये पांच विधि की वजह से इसे पंचकर्म कहा जाता है. पंचकर्म चिकित्सा जहां कई असाध्य श्रेणी की बीमारियों में लाभप्रद होता है. वहीं इससे शरीर स्वस्थ होता है. ऐसा माना जाता है कि पंचकर्म चिकित्सा पद्धति और शिरोधारा से स्पोंडिलाइटिस, साइटिका, अर्थराइटिस ,एक्जिमा ,सफेद दाग, माइग्रेन, मोटापा, पीसीओडी, साइनस, सिरोसिस, स्किन डिजीज, पैरालिसिस और डिस्क प्रोलेप्स सहित कई जटिल बीमारियों की परेशानियों को कम करने या समाप्त करने में कारगर भूमिका निभाता है.

राज्य में पंचकर्म और शिरोधारा चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देकर झारखंड सरकार जहां आम जनता को एक हानि रहित चिकित्सा पद्धति का विकल्प देना चाहती है. वहीं उसकी इच्छा हेल्थ टूरिज्म को भी बढ़ावा देने की है. सरकार की सोच है कि जो लोग पर्यटन के साथ साथ केरल जैसे प्रदेश में जाकर पंचकर्म या शिरोधारा चिकित्सा पद्धति का लाभ उठाते है, उनके लिए झारखंड भी एक बेहतरीन विकल्प हो. इससे यहां के लोगों के लिए रोजगार के विकल्प भी खुलेंगे तथा अन्य पर्यटन केंद्रों का भी विकास होगा.

रांची: प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण, जंगल झाड़, पठार और पहाड़ से गिरने वाले कई विहंगम जलप्रपात वाले प्रदेश झारखंड को अब पंचकर्म चिकित्सा पद्धति में केरल के तर्ज पर विकसित करने की योजना बन रही है. सरकार की योजना पर्यटन केंद्रों पर पंचकर्म चिकित्सा केंद्र खोलने की है ताकि हेल्थ टूरिज्म के क्षेत्र में झारखंड पर्यटकों के लिए बेस्ट डेस्टिनेशन हो. मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों में अत्याधुनिक पंचकर्म चिकित्सा केंद्र खोलने की इच्छा जताई है.

ये भी पढ़ें: Health System in Hazaribag: खाट पर स्वास्थ्य व्यवस्था, भगवान भरोसे मरीज

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की सोच के अनुरूप पर्यटक केंद्रों पर आयुर्वेद की एक विधा 'पंचकर्म' का केंद्र खोलने के लिए पर्यटन विभाग और स्वास्थ्य विभाग की टीम मिलकर काम करेगी. इसकी शुरुआत मनोरम नेतरहाट से हो सकती है. आयुष निदेशालय में बतौर कार्यकारी निदेशक सेवा दे रहे डॉ फजलुस समी ईटीवी भारत से फोन पर कहते हैं कि अभी हाल ही में आयुष निदेशालय और पर्यटन विभाग के अधिकारियों की टीम ने नेतरहाट का दौरा किया था. वहां नेतरहाट से कुछ ही दूरी पर स्वास्थ्य विभाग के एक भवन का चयन भी कर लिया गया है, जहां पंचकर्म चिकित्सा केंद्र खोला जाएगा. उन्होंने बताया कि अगले 03 महीने के अंदर नेतरहाट में पंचकर्म चिकित्सा केंद्र खुल जायेगा ऐसी उम्मीद है.

इन पर्यटन स्थल पर पंचकर्म चिकित्सा केंद्र खोलने की है योजना: राज्य योग सेंटर के प्रभारी और मेडिसीनल प्लांट बोर्ड के नोडल अधिकारी डॉ मुकुल दीक्षित कहते हैं कि राज्य में जितने भी बड़े पर्यटक स्थल (Tourist place) हैं वहां पंचकर्म चिकित्सा पद्धति केंद्र खोलने की तैयारी की जा है, इसमें केरल की लोकप्रिय इलाज पद्धति शिरोधारा को भी शामिल किया जाएगा. उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में नेतरहाट, तिलैया डैम, पतरातू डैम, चांडिल डैम और बासुकीनाथ में पंचकर्म चिकित्सा केंद्र खोलने की इच्छा मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने जताई है. मुख्यमंत्री की इच्छा के अनुरूप आयुष निदेशालय ने काम भी करना शुरू कर दिया है.

इन 10 जिलों में भी खुलेगा पंचकर्म चिकित्सा केंद्र: रांची, रामगढ़, हजारीबाग, गोड्डा, गिरिडीह, पलामू, देवघर, बोकारो, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम में भी पहले चरण में पंचकर्म केंद्र खोला जाएगा. इसके लिए इन 10 जिलों में पंचकर्म भवन के लिए प्रति भवन लगभग 55.5 लाख रुपये भी जारी कर दिए गए हैं. 255 स्क्वायर मीटर क्षेत्र में दो बनने वाले दो मंजिला पंचकर्म भवन में रोगियों का इलाज पंचकर्म और शिरोधारा पद्धति से होगा. रामगढ़ में पंचकर्म भवन का निर्माण कार्य भी शुरू हो गया है जो समाहरणालय के बगल वाले सर्किट हाउस परिसर में है. रांची में भी मोरहाबादी के पास पंचकर्म भवन के लिए जगह चयनित कर लिया गया है.

केरल के पंचकर्म विशेषज्ञ दे रहे हैं झारखंड के आयुर्वेद चिकित्सकों को ट्रेनिंग: झारखंड में स्वास्थ्य विभाग की ओर से खुलने वाले पंचकर्म केंद्रों में प्रारंभिक स्तर पर दो दो विशेषज्ञ डॉक्टर रहेंगे. इसके लिए राज्य के 30 आयुर्वेद चिकित्सकों को केरल आयुर्वेदा के पंचकर्म एवं शिरोधारा विशेषज्ञ चिकित्सक 15-15 दिन का आवासीय प्रशिक्षण दे रहे हैं. 15 चिकित्सकों के पहले बैच को प्रशिक्षण दिया जा चुका है जबकि दूसरा बैच 10 मार्च से शुरू होगा.

पंचकर्म एवं शिरोधारा से स्वास्थ्य को क्या क्या मिलता है लाभ: आयुर्वेद की इलाज पद्धतियों में पंचकर्म एवं शिरोधारा इन दिनों विश्वभर में बहुत लोकप्रिय हो रहा है. भारत में दक्षिण भारत के प्रदेशों में तो यह खासा प्रचलित है तो केरल राज्य इस दिशा में एक ब्रांड ही बन गया है. मूल रूप से शरीर की गंदगी (Toxin) को बाहर निकाल कर स्वस्थ जीवन जीने की पद्धति पंचकर्म एवं शिरोधारा है. विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में किसी भी बीमारी की वजह वात, कफ और पित्त की गड़बड़ी को माना गया है. इसलिए आयुर्वेद यह कहता है कि अगर वात, पित्त और कफ के दोष की खत्म कर दिया जाए तो बीमार व्यक्ति निरोग हो जाता है. पंचकर्म विधि से इन तीनों के दोषों को शोधन विधि से दूर किया जाता है. व

मन, विरेचन, अनुवासन, आस्थापन और नस्य विधि ये पांच विधि की वजह से इसे पंचकर्म कहा जाता है. पंचकर्म चिकित्सा जहां कई असाध्य श्रेणी की बीमारियों में लाभप्रद होता है. वहीं इससे शरीर स्वस्थ होता है. ऐसा माना जाता है कि पंचकर्म चिकित्सा पद्धति और शिरोधारा से स्पोंडिलाइटिस, साइटिका, अर्थराइटिस ,एक्जिमा ,सफेद दाग, माइग्रेन, मोटापा, पीसीओडी, साइनस, सिरोसिस, स्किन डिजीज, पैरालिसिस और डिस्क प्रोलेप्स सहित कई जटिल बीमारियों की परेशानियों को कम करने या समाप्त करने में कारगर भूमिका निभाता है.

राज्य में पंचकर्म और शिरोधारा चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देकर झारखंड सरकार जहां आम जनता को एक हानि रहित चिकित्सा पद्धति का विकल्प देना चाहती है. वहीं उसकी इच्छा हेल्थ टूरिज्म को भी बढ़ावा देने की है. सरकार की सोच है कि जो लोग पर्यटन के साथ साथ केरल जैसे प्रदेश में जाकर पंचकर्म या शिरोधारा चिकित्सा पद्धति का लाभ उठाते है, उनके लिए झारखंड भी एक बेहतरीन विकल्प हो. इससे यहां के लोगों के लिए रोजगार के विकल्प भी खुलेंगे तथा अन्य पर्यटन केंद्रों का भी विकास होगा.

Last Updated : Mar 9, 2023, 3:42 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.