रांचीः मुख्यमंत्री ने भले ही महागठबंधन दलों की बैठक सुखाड़ को लेकर बुलाई हो और संभव है कि सुखाड़ पर चर्चा भी हुई हो लेकिन शनिवार की बैठक में लिए गए दो अहम फैसले बताते हैं कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कुर्सी के कील कांटे दुरुस्त कर रहे थे.
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी विधायकों को एकजुट रखने और उनकी बात सुनने के लिए विशेष मोबाइल नम्बर जारी करने तथा कैबिनेट की बैठक से पहले सत्ताधारी दलों के विधायकों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिग के माध्यम से बैठक करने की बात कहकर नाराजगी दूर करने की कोशिश की है. इससे पहले विधायक यह कहते नजर आते थे कि उनकी सरकार में ही उनकी सुनवाई नहीं होती. जब तक मुख्य विपक्षी दल भाजपा भी सत्तारूढ़ दल के विधायकों के बहाने सरकार की कमजोर नस दबाती रहती थी.
इस तरह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास पर बुलाई गई यूपीए विधायकों की बैठक में राजनीतिक परिस्थिति पर गंभीर चर्चा हुई और भाजपा की ओर से लगातार किए जा रहे राजनीतिक हमले से निपटने की रणनीति बनी. कई विधायकों ने कहा कि शनिवार की बैठक में इस बात पर चर्चा हुई है कि कैसे भाजपा को मुंहतोड़ जवाब दिया जाए.
बैठक के बाद मुख्यमंत्री आवास से बाहर आए सभी विधायक भले ही इसकी जानकारी देने से बचते रहे परंतु कुछ विधायकों ने कहा कि भाजपा की हर राजनीतिक चाल का जवाब दिया जाएगा. विधायक अनूप सिंह, मिथिलेश ठाकुर, सुदिव्य कुमार सोनू, नलिन सोरेन सहित सभी विधायक और मंत्रियों ने कहा कि बैठक सकारात्मक रही है और भाजपा के लिए गाक्षे कटहल ओठे तेल वाली कहावत चरितार्थ होगी और हेमंत सोरेन सरकार न सिर्फ अपना कार्यकाल पूरा करेगी बल्कि 2029 तक उनके नेतृत्व में सरकार जनता की सेवा करेगी.
चार विधायक बैठक में नहीं शामिल हुएः कांग्रेस के चार विधायक भूषण बाड़ा, ममता देवी, पूर्णिमा नीरज सिंह और झामुमो के चमरा लिंडा, सरफराज, बसंत सोरेन व्यक्तिगत कारणों से बैठक में शामिल नहीं हो सके, पार्टी की ओर से कहा गया कि इसकी सूचना उन्होंने पहले दे दी थी, जबकि बीमार होने के बावजूद सोनाराम सिंकू बैठक में शामिल हुए.