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वैक्सीनेशन पर कितना खर्च कर रही है मोदी सरकार, हेमंत सोरेन ने केंद्र से पूछा

केन्द्र की मोदी सरकार को घेरने और 2024 में होनेवाले लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनाने के उदेश्य से सोनिया गांधी की अगुवाई में शुक्रवार को विपक्षी पार्टी के नेताओं की बैठक हुई. बैठक में झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष सह राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी शामिल हुए.

CM Hemant Soren statement on PM Modi
CM Hemant Soren statement on PM Modi
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Published : Aug 21, 2021, 1:51 PM IST

रांची: केन्द्र की मोदी सरकार को घेरने और 2024 में होनेवाले लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनाने के उदेश्य से सोनिया गांधी की अगुवाई में शुक्रवार को विपक्षी पार्टी के नेताओं की बैठक हुई. बैठक में झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष सह राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी शामिल हुए. वीडियो कॉफ्रेसिंग के जरिए हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अलावे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती इस बैठक में शामिल हुईं.


ये भी पढ़ें- विपक्षी दलों ने सरकार के सामने रखी 11 सूत्री मांग, 20 से 30 सितंबर के बीच प्रदर्शन


मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बैठक में रखी ये बातें
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बैठक में विचार रखते हुए कहा कि हमें मिलकर और मजबूती के साथ अलोकतांत्रिक नीतियों के खिलाफ संघर्ष करना है. जनता के हित में आक्रामक तरीके से मुद्दों को उठाना है कि कैसे आम लोगों के आय में वृद्धि हो, महंगाई से राहत मिले, बेरोजगारी दूर हो. इसके अलावा किसानों के मसले पर एकजुटता के साथ विरोध दर्ज कराना चाहिए. दूसरी तरफ कोविड-19 मैनेजमेंट पर विशेष रूप से काम करने की आवश्यकता है.

कोरोना वैश्विक महामारी को भारत सरकार नेशनल डिजास्टर घोषित करे. इतनी बड़ी आपदा को केंद्र सरकार अबतक राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं कर रही है यह बात समझ से परे है. हम सभी को कोरोना वैश्विक महामारी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग करनी चाहिए. इस महामारी में जितने लोगों की जानें गई हैं उन्हें मुआवजा केंद्र सरकार दे. जो लोग जीवन बचाने के लिए जमीन-जायदाद, गहने इत्यादि बेचकर इलाज कराएं हैं उनके पास जीवन यापन के लिए 1 रुपए भी नहीं बचा है. उनका आने वाला भविष्य कैसे सुरक्षित हो यह चिंतनीय विषय है.

ये भी पढ़ें- पवार का आह्वान, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता में भरोसा रखने वाले साथ आएं

विपक्षी एकता को और ज्यादा ताकतवर बनाने की जरूरत. देश के अंदर और देश के बाहर कई ऐसे मुद्दे हैं जिससे केंद्र सरकार को मजबूती के साथ घेरा जा सकता है. विपक्ष के पास मुद्दों की कमी नहीं है.बीजेपी ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई ऐसे फैसले लिए हैं जो देश हित में नहीं है. उन्होंने बैठक की बिंदु बहुत अच्छी हैं. इन बिंदुओं में गैर भाजपा शासित राज्यों के अपने-अपने कुछ अन्य महत्वपूर्ण बिंदु हैं जिस पर चर्चा किया जाना चाहिए. देश की सभी संस्थाओं को केंद्र सरकार अपने जेब में करके रखा है.



बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जी के साथ जो घटना घटी वह काफी निंदनीय है. हम सभी लोगों को उनके साथ मजबूती से खड़ा रहने की आवश्यकता है. केंद्र सरकार की हर गलत नीतियों का विरोध हमें संयुक्त रूप से मिलकर करना चाहिए. देश के सभी गैर भाजपा शासित राज्यों के साथ केंद्र सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है. मैं स्वयं सौतेला व्यवहार का भुक्तभोगी हूं. देश में गरीब, मजदूर, किसान एवं अल्पसंख्यक वर्ग विपक्ष की तरफ आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं. ऐसे कमजोर वर्गों को उनका वाजिब हक दिलाना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है. ऐसे वर्गों के लोगों को एकत्रित करके रखना बहुत ही जरूरी है.

ये भी पढ़ें- नारायण राणे ने उद्धव ठाकरे को बताया मजबूर, सोनिया गांधी की बैठक पर कसा तंज


विपक्ष को ज्वलंत मुद्दों के साथ केंद्र सरकार को घेरने की आवश्यकता है. पेगासस मुद्दे से मजदूरों और किसानों को कोई लेना देना नहीं है बल्कि किसानों को किसान नीति, मजदूरों को रोजगार और नौजवानों को नौकरी तथा स्वरोजगार जैसे मुद्दों के साथ विपक्ष को गोलबंद होकर केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है. महंगाई आसमान छू रही है लोगों के हाथों से नौकरियां जा रही हैं. इन मुद्दों को जोरदार तरीके से उठानी चाहिए.

कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर चीजें स्पष्ट नहीं है. केंद्र सरकार को जनता के बीच यह बताने की आवश्यकता है कि केंद्र सरकार वैक्सीनेशन पर कितना खर्च कर रही है. राज्य सरकारों के बीच कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर चीजें ट्रांसपेरेंट नहीं दिख रही हैं. केंद्र सरकार के पास मनरेगा को छोड़कर आर्थिक सशक्तिकरण का कोई वीजन नहीं दिख रहा है. मनरेगा सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित है. रोजगार सृजन के लिए शहरी क्षेत्रों में कोई योजना केंद्र सरकार की नहीं है.



मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोनिया गांधी को धन्यवाद दिया. हेमंत सोरेन ने कहा कि विपक्ष की बैठक निरंतर होनी चाहिए. विपक्षी दलों की बातचीत लगातार होती रहेगी तभी हम एकजुट होकर केंद्र सरकार की गलत नीतियों के साथ लड़ सकेंगे.


बैठक में कांग्रेस के अलावा 18 पार्टियों के नेता शामिल हुए

सोनिया गांधी देश के सामने खड़े प्रमुख मुद्दों पर विपक्षी दलों को साथ लेकर सरकार को घेरने की कोशिश में हैं और इसी प्रयास के तहत यह बैठक बुलाई गई जिसमें कांग्रेस के अलावे 18 दलों के नेता शामिल हुए. बैठक में शामिल सभी नेताओं ने एकजुटता का परिचय देते हुए केन्द्र सरकार के विरुद्ध एकजुट होकर आंदोलन करने का निर्णय लिया है.

रांची: केन्द्र की मोदी सरकार को घेरने और 2024 में होनेवाले लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनाने के उदेश्य से सोनिया गांधी की अगुवाई में शुक्रवार को विपक्षी पार्टी के नेताओं की बैठक हुई. बैठक में झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष सह राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी शामिल हुए. वीडियो कॉफ्रेसिंग के जरिए हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अलावे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती इस बैठक में शामिल हुईं.


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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बैठक में रखी ये बातें
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बैठक में विचार रखते हुए कहा कि हमें मिलकर और मजबूती के साथ अलोकतांत्रिक नीतियों के खिलाफ संघर्ष करना है. जनता के हित में आक्रामक तरीके से मुद्दों को उठाना है कि कैसे आम लोगों के आय में वृद्धि हो, महंगाई से राहत मिले, बेरोजगारी दूर हो. इसके अलावा किसानों के मसले पर एकजुटता के साथ विरोध दर्ज कराना चाहिए. दूसरी तरफ कोविड-19 मैनेजमेंट पर विशेष रूप से काम करने की आवश्यकता है.

कोरोना वैश्विक महामारी को भारत सरकार नेशनल डिजास्टर घोषित करे. इतनी बड़ी आपदा को केंद्र सरकार अबतक राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं कर रही है यह बात समझ से परे है. हम सभी को कोरोना वैश्विक महामारी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग करनी चाहिए. इस महामारी में जितने लोगों की जानें गई हैं उन्हें मुआवजा केंद्र सरकार दे. जो लोग जीवन बचाने के लिए जमीन-जायदाद, गहने इत्यादि बेचकर इलाज कराएं हैं उनके पास जीवन यापन के लिए 1 रुपए भी नहीं बचा है. उनका आने वाला भविष्य कैसे सुरक्षित हो यह चिंतनीय विषय है.

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विपक्षी एकता को और ज्यादा ताकतवर बनाने की जरूरत. देश के अंदर और देश के बाहर कई ऐसे मुद्दे हैं जिससे केंद्र सरकार को मजबूती के साथ घेरा जा सकता है. विपक्ष के पास मुद्दों की कमी नहीं है.बीजेपी ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई ऐसे फैसले लिए हैं जो देश हित में नहीं है. उन्होंने बैठक की बिंदु बहुत अच्छी हैं. इन बिंदुओं में गैर भाजपा शासित राज्यों के अपने-अपने कुछ अन्य महत्वपूर्ण बिंदु हैं जिस पर चर्चा किया जाना चाहिए. देश की सभी संस्थाओं को केंद्र सरकार अपने जेब में करके रखा है.



बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जी के साथ जो घटना घटी वह काफी निंदनीय है. हम सभी लोगों को उनके साथ मजबूती से खड़ा रहने की आवश्यकता है. केंद्र सरकार की हर गलत नीतियों का विरोध हमें संयुक्त रूप से मिलकर करना चाहिए. देश के सभी गैर भाजपा शासित राज्यों के साथ केंद्र सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है. मैं स्वयं सौतेला व्यवहार का भुक्तभोगी हूं. देश में गरीब, मजदूर, किसान एवं अल्पसंख्यक वर्ग विपक्ष की तरफ आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं. ऐसे कमजोर वर्गों को उनका वाजिब हक दिलाना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है. ऐसे वर्गों के लोगों को एकत्रित करके रखना बहुत ही जरूरी है.

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विपक्ष को ज्वलंत मुद्दों के साथ केंद्र सरकार को घेरने की आवश्यकता है. पेगासस मुद्दे से मजदूरों और किसानों को कोई लेना देना नहीं है बल्कि किसानों को किसान नीति, मजदूरों को रोजगार और नौजवानों को नौकरी तथा स्वरोजगार जैसे मुद्दों के साथ विपक्ष को गोलबंद होकर केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है. महंगाई आसमान छू रही है लोगों के हाथों से नौकरियां जा रही हैं. इन मुद्दों को जोरदार तरीके से उठानी चाहिए.

कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर चीजें स्पष्ट नहीं है. केंद्र सरकार को जनता के बीच यह बताने की आवश्यकता है कि केंद्र सरकार वैक्सीनेशन पर कितना खर्च कर रही है. राज्य सरकारों के बीच कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर चीजें ट्रांसपेरेंट नहीं दिख रही हैं. केंद्र सरकार के पास मनरेगा को छोड़कर आर्थिक सशक्तिकरण का कोई वीजन नहीं दिख रहा है. मनरेगा सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित है. रोजगार सृजन के लिए शहरी क्षेत्रों में कोई योजना केंद्र सरकार की नहीं है.



मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोनिया गांधी को धन्यवाद दिया. हेमंत सोरेन ने कहा कि विपक्ष की बैठक निरंतर होनी चाहिए. विपक्षी दलों की बातचीत लगातार होती रहेगी तभी हम एकजुट होकर केंद्र सरकार की गलत नीतियों के साथ लड़ सकेंगे.


बैठक में कांग्रेस के अलावा 18 पार्टियों के नेता शामिल हुए

सोनिया गांधी देश के सामने खड़े प्रमुख मुद्दों पर विपक्षी दलों को साथ लेकर सरकार को घेरने की कोशिश में हैं और इसी प्रयास के तहत यह बैठक बुलाई गई जिसमें कांग्रेस के अलावे 18 दलों के नेता शामिल हुए. बैठक में शामिल सभी नेताओं ने एकजुटता का परिचय देते हुए केन्द्र सरकार के विरुद्ध एकजुट होकर आंदोलन करने का निर्णय लिया है.

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