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रेडियो और दूरदर्शन के जरिए झारखंड में पढ़ाने का दावा, ETV BHARAT की पड़ताल में जानिए सच

रांची में विभागीय स्तर पर दूरदर्शन(Doordarshan) के साथ-साथ आकाशवाणी के माध्यम से भी अब पढ़ाई कराने की बात कही जा रही है. ये व्यवस्था सोमवार से लागू की गई है. ईटीवी भारत की टीम ने जानने की कोशिश की कि इन बातों और दावों मे कितनी सच्चाई है.

claim to broadcast educational material through radio and television
रेडियो और दूरदर्शन के माध्यम से शैक्षणिक सामग्री के प्रसारण का दावा, ईटीवी भारत की पड़ताल में जानिए सच
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Published : Jun 29, 2021, 1:58 PM IST

रांची: इस कोरोना काल में सबसे ज्यादा प्रभावित शिक्षा व्यवस्था है. सरकारी स्कूलों के बच्चों पर इसका असर अधिक है. राज्य में 17 मार्च 2020 से विद्यालय बंद हैं और स्टडी मैटेरियल विद्यार्थियों तक पहुंचाने की बात कही जा रही है. 42 लाख बच्चों में से 13 लाख बच्चों तक ही ऑनलाइन मैटेरियल(online material) पहुंच रहा है. वहीं विभागीय स्तर पर दूरदर्शन के साथ-साथ आकाशवाणी के माध्यम से भी अब पढ़ाई कराने की बात कही जा रही है.

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सोमवार से लागू व्यवस्था

ये व्यवस्था सोमवार से लागू की गई है. इस पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम(ETV Bharat Team) ने पड़ताल की है. इस दौरान बच्चों ने जो जवाब दिया, वो वाकई चौंकाने वाला था. दरअसल शत-प्रतिशत बच्चों तक ऑनलाइन पठन-पाठन मुहैया कराने में राज्य सरकार का शिक्षा विभाग सफल नहीं हो रहा है. राज्य भर के 42 लाख नामांकित बच्चों में से 13 लाख बच्चों तक ही ऑनलाइन लर्निंग मैटेरियल पहुंच रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं होने से बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं. हालांकि इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए शिक्षा विभाग(education Department) ने एक उपाय ढूंढा है. इसके तहत राज्य के सरकारी स्कूलों के बच्चों को दूरदर्शन और रेडियो के माध्यम से पढ़ाने की बात कही जा रही है. सप्ताह में 5 दिन 3-3 घंटे रेडियो और दूरदर्शन के माध्यम से पाठ्यक्रम से जुड़ी विषय वस्तु प्रसारित की जाएगी, जिसे विद्यार्थी देख और सुनकर अध्ययन करेंगे.

देखें पूरी खबर

रुटीन भी जारी
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद(Jharkhand Education Project Council) की ओर से कक्षा संचालन को लेकर रूटीन भी जारी कर दी गई है. सोमवार सुबह 10 बजे से 10ः30 बजे तक सभी बच्चों के लिए कक्षा का संचालन हो रहा है. 10:30 से 11:30 बजे तक कक्षा एक से पांच तक के विद्यार्थियों के लिए दूरदर्शन और आकाशवाणी के माध्यम से पठन-पाठन की सामग्री प्रसारित की जा रही है. 11:00 से 11:30 तक कक्षा 6 से 8, 11:30 से 12:00 तक कक्षा 9 और 11 वीं के विद्यार्थियों की कक्षा का संचालन किया जा रहा है. इसके बाद दोपहर 1:30 बजे से कक्षा 10 और 1:30 से 2:00 तक कक्षा बारहवीं के विद्यार्थियों का कक्षा संचालन का दावा किया जा रहा है. ये प्रसारण डीडी झारखंड चैनल(DD Jharkhand Channel) पर हो रहा है. सोमवार से शुक्रवार तक कक्षा का संचालन किए जाने की बात है.

पांच आकाशवाणी केंद्रों से कक्षा का संचालन
आकाशवाणी और रेडियो के माध्यम से भी पढ़ाई करने की बात है. विभाग ने 5 आकाशवाणी केंद्र के साथ-साथ भागलपुर आंगनबाड़ी केंद्र से भी रेडियो के माध्यम से कक्षा संचालन की योजना बनाई है. प्रतिदिन 10-10 मिनट दो बार आकाशवाणी के माध्यम से विषय वस्तु और पाठ्यक्रम से जुड़ी सामग्री का प्रसारण हो रहा है.

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ईटीवी भारत की पड़ताल
ईटीवी भारत की टीम ने सरकारी स्कूलों के बच्चों के साथ भी बातचीत की है. उन्होंने मौके पर कहा कि पिछले एक साल से वो ऑनलाइन क्लासेस से वंचित हैं. मोबाइल नहीं होने के कारण वो पठन-पाठन नहीं कर पाते हैं. दूसरी और रेडियो और टीवी के जरिए भी उन्होंने पठन पाठन में असमर्थता जाहिर की है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस योजना के बारे में इन बच्चों को जानकारी है ही नहीं. जब शहर के बच्चों को इसके बारे में जानकारी नहीं है, तो ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे इसका लाभ कैसे ले पाएंगे.

जागरुकता की कमी
शिक्षा विभाग की ओर से जो योजना तैयार की गई है. उस योजना को लेकर जागरुकता की भी भारी कमी है. इस ओर राज्य सरकार को ध्यान देना होगा, तब जाकर सरकारी स्कूलों के बच्चों तक पठन-पाठन से जुड़ी सामग्री पहुंचाई जा सकेगी. नहीं तो यह योजना ढाक के तीन पात साबित होगी.

रांची: इस कोरोना काल में सबसे ज्यादा प्रभावित शिक्षा व्यवस्था है. सरकारी स्कूलों के बच्चों पर इसका असर अधिक है. राज्य में 17 मार्च 2020 से विद्यालय बंद हैं और स्टडी मैटेरियल विद्यार्थियों तक पहुंचाने की बात कही जा रही है. 42 लाख बच्चों में से 13 लाख बच्चों तक ही ऑनलाइन मैटेरियल(online material) पहुंच रहा है. वहीं विभागीय स्तर पर दूरदर्शन के साथ-साथ आकाशवाणी के माध्यम से भी अब पढ़ाई कराने की बात कही जा रही है.

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सोमवार से लागू व्यवस्था

ये व्यवस्था सोमवार से लागू की गई है. इस पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम(ETV Bharat Team) ने पड़ताल की है. इस दौरान बच्चों ने जो जवाब दिया, वो वाकई चौंकाने वाला था. दरअसल शत-प्रतिशत बच्चों तक ऑनलाइन पठन-पाठन मुहैया कराने में राज्य सरकार का शिक्षा विभाग सफल नहीं हो रहा है. राज्य भर के 42 लाख नामांकित बच्चों में से 13 लाख बच्चों तक ही ऑनलाइन लर्निंग मैटेरियल पहुंच रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं होने से बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं. हालांकि इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए शिक्षा विभाग(education Department) ने एक उपाय ढूंढा है. इसके तहत राज्य के सरकारी स्कूलों के बच्चों को दूरदर्शन और रेडियो के माध्यम से पढ़ाने की बात कही जा रही है. सप्ताह में 5 दिन 3-3 घंटे रेडियो और दूरदर्शन के माध्यम से पाठ्यक्रम से जुड़ी विषय वस्तु प्रसारित की जाएगी, जिसे विद्यार्थी देख और सुनकर अध्ययन करेंगे.

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रुटीन भी जारी
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद(Jharkhand Education Project Council) की ओर से कक्षा संचालन को लेकर रूटीन भी जारी कर दी गई है. सोमवार सुबह 10 बजे से 10ः30 बजे तक सभी बच्चों के लिए कक्षा का संचालन हो रहा है. 10:30 से 11:30 बजे तक कक्षा एक से पांच तक के विद्यार्थियों के लिए दूरदर्शन और आकाशवाणी के माध्यम से पठन-पाठन की सामग्री प्रसारित की जा रही है. 11:00 से 11:30 तक कक्षा 6 से 8, 11:30 से 12:00 तक कक्षा 9 और 11 वीं के विद्यार्थियों की कक्षा का संचालन किया जा रहा है. इसके बाद दोपहर 1:30 बजे से कक्षा 10 और 1:30 से 2:00 तक कक्षा बारहवीं के विद्यार्थियों का कक्षा संचालन का दावा किया जा रहा है. ये प्रसारण डीडी झारखंड चैनल(DD Jharkhand Channel) पर हो रहा है. सोमवार से शुक्रवार तक कक्षा का संचालन किए जाने की बात है.

पांच आकाशवाणी केंद्रों से कक्षा का संचालन
आकाशवाणी और रेडियो के माध्यम से भी पढ़ाई करने की बात है. विभाग ने 5 आकाशवाणी केंद्र के साथ-साथ भागलपुर आंगनबाड़ी केंद्र से भी रेडियो के माध्यम से कक्षा संचालन की योजना बनाई है. प्रतिदिन 10-10 मिनट दो बार आकाशवाणी के माध्यम से विषय वस्तु और पाठ्यक्रम से जुड़ी सामग्री का प्रसारण हो रहा है.

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ईटीवी भारत की पड़ताल
ईटीवी भारत की टीम ने सरकारी स्कूलों के बच्चों के साथ भी बातचीत की है. उन्होंने मौके पर कहा कि पिछले एक साल से वो ऑनलाइन क्लासेस से वंचित हैं. मोबाइल नहीं होने के कारण वो पठन-पाठन नहीं कर पाते हैं. दूसरी और रेडियो और टीवी के जरिए भी उन्होंने पठन पाठन में असमर्थता जाहिर की है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस योजना के बारे में इन बच्चों को जानकारी है ही नहीं. जब शहर के बच्चों को इसके बारे में जानकारी नहीं है, तो ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे इसका लाभ कैसे ले पाएंगे.

जागरुकता की कमी
शिक्षा विभाग की ओर से जो योजना तैयार की गई है. उस योजना को लेकर जागरुकता की भी भारी कमी है. इस ओर राज्य सरकार को ध्यान देना होगा, तब जाकर सरकारी स्कूलों के बच्चों तक पठन-पाठन से जुड़ी सामग्री पहुंचाई जा सकेगी. नहीं तो यह योजना ढाक के तीन पात साबित होगी.

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