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'चुप्पी तोड़ो स्वस्थ रहो' अभियान के दूसरे चरण की हुई शुरुआत, मंत्री ने कहा- माहवारी को लेकर जागरूकता जरूरी

रांची में यूनिसेफ और झारखंड सरकार के अलग-अलग विभागों के संयुक्त तत्वाधान में माहवारी स्वच्छता दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने भी हिस्सा लिया. कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं में होनेवाली माहवारी को लेकर शहरी क्षेत्रों में भी लोगों को जागरूक करने की जरूरत है.

chuppi todo swasthya raho program started in ranchi
चुप्पी तोड़ो स्वस्थ रहो कार्यक्रम की शुरुआत
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Published : May 28, 2020, 7:00 PM IST

रांची: झारखंड के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने गुरुवार को कहा कि महिलाओं में होनेवाली माहवारी को लेकर शहरी क्षेत्रों में भी लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि तकलीफ इस बात की है कि माहवारी एक सामान्य शारीरिक क्रिया है, बावजूद इसके इस दौरान लड़कियों और युवतियों के साथ अजीबोगरीब व्यवहार किया जाता है.

देखें पूरी खबर

मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि जरूरत पीरियड्स के दौरान सैनेटरी पैड के उपयोग करने पर बल देने की है, साथ ही फिर से उपयोग किए गए सैनेटरी पैड को सही तरीके से नष्ट करने की भी जरूरत है. उन्होंने कहा कि इसके लिए स्कूली बच्चियों को जागरूक करने की जरूरत है, ताकि वह अपने घर में जाकर महिलाओं को भी जागरूक कर सकें. दरअसल मंत्री मिथिलेश ठाकुर यूनिसेफ और झारखंड सरकार के अलग-अलग विभागों के संयुक्त तत्वाधान में माहवारी स्वच्छता दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम मे बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि इस विषय पर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है, साथ ही इस पर खुलकर बहस होनी चाहिए.

इसे भी पढ़ें:- निगम इंजीनियर और सुपरवाइजर को इंसिडेंट कमांडर बनाए जाने पर मेयर ने जताई आपत्ति, पत्र लिखकर रोक लगाने का दिया निर्देश

एक महीने तक चलेगा जागरूकता अभियान
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव प्रशांत कुमार ने कहा कि कोविड-19 के दौर में जागरूकता के दूसरे चरण का प्रचार-प्रसार सही तरीके से किया जा सके इसकी कोशिश की जा रही है, लगभग 28 मई से 27 जून 2020 यह अभियान लोगों तक पहुंचाया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए डिजिटल कैंपेनिंग पर जोर दिया जा रहा है, साथ ही राज्य और जिलों में ऑनलाइन ट्रेनिंग भी दी जाएगी. वहीं स्वच्छ भारत मिशन के डायरेक्टर ने कहा कि एक आंकड़े के अनुसार राज्य में सैनेटरी पैड 28% उपयोग के बाद खुले में फेंक दिया जाता है, जबकि 33% को जमीन में दफना दिया जाता है, वहीं 15% लोग इसका उपयोग कर उसे जला देते हैं. उन्होंने कहा कि इसे लेकर जागरूकता की जरूरत है.


राज्य और जिला स्तर के ट्रेनर करेंगे जागरूक
स्वच्छ भारत मिशन के डायरेक्टर ने बताया कि अब तक राज्य स्तर के 60 ट्रेनर तैयार किए जा चुके हैं जबकि जिला स्तर पर उनकी संख्या 650 है. उन्होंने बताया कि राज्य में 197 नैपकिन वेंडिंग मशीन भी अलग-अलग इलाकों में लगी हैं, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार झारखंड में 15 से 49 साल की उम्र की 10 में चार महिलाएं ही पीरियड्स के दौरान सैनेटरी पैड का इस्तेमाल करती हैं.

रांची: झारखंड के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने गुरुवार को कहा कि महिलाओं में होनेवाली माहवारी को लेकर शहरी क्षेत्रों में भी लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि तकलीफ इस बात की है कि माहवारी एक सामान्य शारीरिक क्रिया है, बावजूद इसके इस दौरान लड़कियों और युवतियों के साथ अजीबोगरीब व्यवहार किया जाता है.

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मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि जरूरत पीरियड्स के दौरान सैनेटरी पैड के उपयोग करने पर बल देने की है, साथ ही फिर से उपयोग किए गए सैनेटरी पैड को सही तरीके से नष्ट करने की भी जरूरत है. उन्होंने कहा कि इसके लिए स्कूली बच्चियों को जागरूक करने की जरूरत है, ताकि वह अपने घर में जाकर महिलाओं को भी जागरूक कर सकें. दरअसल मंत्री मिथिलेश ठाकुर यूनिसेफ और झारखंड सरकार के अलग-अलग विभागों के संयुक्त तत्वाधान में माहवारी स्वच्छता दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम मे बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि इस विषय पर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है, साथ ही इस पर खुलकर बहस होनी चाहिए.

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एक महीने तक चलेगा जागरूकता अभियान
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव प्रशांत कुमार ने कहा कि कोविड-19 के दौर में जागरूकता के दूसरे चरण का प्रचार-प्रसार सही तरीके से किया जा सके इसकी कोशिश की जा रही है, लगभग 28 मई से 27 जून 2020 यह अभियान लोगों तक पहुंचाया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए डिजिटल कैंपेनिंग पर जोर दिया जा रहा है, साथ ही राज्य और जिलों में ऑनलाइन ट्रेनिंग भी दी जाएगी. वहीं स्वच्छ भारत मिशन के डायरेक्टर ने कहा कि एक आंकड़े के अनुसार राज्य में सैनेटरी पैड 28% उपयोग के बाद खुले में फेंक दिया जाता है, जबकि 33% को जमीन में दफना दिया जाता है, वहीं 15% लोग इसका उपयोग कर उसे जला देते हैं. उन्होंने कहा कि इसे लेकर जागरूकता की जरूरत है.


राज्य और जिला स्तर के ट्रेनर करेंगे जागरूक
स्वच्छ भारत मिशन के डायरेक्टर ने बताया कि अब तक राज्य स्तर के 60 ट्रेनर तैयार किए जा चुके हैं जबकि जिला स्तर पर उनकी संख्या 650 है. उन्होंने बताया कि राज्य में 197 नैपकिन वेंडिंग मशीन भी अलग-अलग इलाकों में लगी हैं, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार झारखंड में 15 से 49 साल की उम्र की 10 में चार महिलाएं ही पीरियड्स के दौरान सैनेटरी पैड का इस्तेमाल करती हैं.

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