रांचीः अपने तीन दिवसीय घेराव कार्यक्रम के दूसरे दिन शुक्रवार को भी राज्य भर के सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के सरकारी आवास का घेराव किया. डोरंडा स्थित स्वास्थ्य मंत्री के सरकारी आवास में अभी स्वास्थ्य मंत्री नहीं हैं. इस दौरान आंदोलनरत सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों ने कहा कि अगर शुक्रवार के घेराव के बाद भी उनकी मांगों पर कोई सकारात्मक फैसला नहीं होता है, तब पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के अनुसार कांके स्थित मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया जाएगा.
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23 फरवरी को नेपाल हाउस सचिवालय का सीएचओ ने किया था घेरावः राज्य भर के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में सेवा देने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों ने 23 फरवरी को नेपाल हाउस सचिवालय का घेराव किया था. घेराव के दौरान स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव के साथ वार्ता भी हुई थी, जो बेनतीजा रही थी. आंदोलनरत सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों ने अपनी मांग पर लिखित और समयबद्ध आश्वासन की मांग कर रहे थे. अपर सचिव, स्वास्थ्य द्वारा लिखित आश्वासन नहीं मिलने से नाराज कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स एसोसिएशन ने आंदोलन वापस लेने से इंकार कर दिया था.
क्या है सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों की मांगः पद सृजन, सेवा नियमितिकरण, मानदेय और प्रोत्साहन राशि का समायोजन, नियमितिकरण होने तक मानदेय में बढ़ोतरी और महिला सीएचओ की सुरक्षा के साथ-साथ ट्रांसफर पॉलिसी लागू करने की मांग है. आंदोलनरत सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों का कहना है कि स्वास्थ्य महकमा ने कार्यों को तय नहीं किया है. ऐसे में स्वास्थ्य सेवा के अन्य कार्यों में उन्हें लगा दिया जाता है और बाद में यह कहा जाता है कि इंसेंटिव के लिए 15 मानकों पर खड़ा नहीं उतरे हैं, इसलिए इंसेंटिव नहीं मिलेगा.
1600 से अधिक सीएचओ हैं आंदोलनरतः राज्य के 1600 से अधिक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में सेवा देने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी लगातार अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के स्टेट प्रोजेक्ट डाइरेक्टर का घेराव, काला बिल्ला लगाकर सेवा देने, ऑनलाइन डेटा कार्य का बहिष्कार के बाद तीन दिन का घेराव कार्यक्रम का आह्वान किया है.
ग्रामीण क्षेत्रों में घूम-घूम कर सीएचओ करते हैं इलाजः गौरतलब हो कि तीन साल के बांड पर बहाल इन सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों को 25000 मानदेय और 15000 इंसेंटिव प्रतिमाह पर नियुक्ति हुई थी. जिन दूर-दराज के इलाकों में डॉक्टर्स नहीं जाते हैं, वहां ये सीएचओ सेवा देते हैं और सामान्य बीमारियों का इलाज भी करते हैं.