रांची: प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार की इमेज बिल्डिंग के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा झारखंड में हुआ, वहीं, दूसरी तरफ पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह भी झारखंड आए. इतना ही नहीं केंद्रीय स्तर के मंत्री और नेताओं का आना-जाना लगा हुआ है. इसके बावजूद मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रदेश में 'ओवरऑल एक्सेप्टेंस' को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.
सोशल मीडिया पर यह सवाल अलग-अलग प्लेटफार्म पर आम लोग उठा रहे हैं. ये वो लोग हैं जो बराबर उन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सरकार के खिलाफ विरोधाभासी कमेंट कर रहे हैं. ठीक इसके विपरीत राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चाहे बाबूलाल मरांडी की बात करें या हेमंत सोरेन या फिर अर्जुन मुंडा की चर्चा करें इनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोगों के पॉजिटिव रिमार्क्स देखने को मिल रहे हैं.
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पूर्व मुख्यमंत्रियों की तुलना में रघुवर दास का फॉलोअर्स अधिक
इसकी बानगी मुख्यमंत्री रघुवर दास के ऑफिशियल फेसबुक पर देखी जा सकती है. एक तरफ जहां उनके फेसबुक पेज पर वीडियो और स्टेटस अपलोड होते हैं. वही, 'एडवर्स' कमेंट की बौछार शुरू हो जाती है. लोग सीधे तौर पर स्थानीय नीति और नियोजन नीति को लेकर हमला बोलते नजर आते हैं. इतना ही नहीं उन कमेंट्स का मुआयना करें तो राज्य में शीर्ष नेतृत्व के परिवर्तन की भी वकालत साफ तौर पर देखने को मिलती है. हालांकि, मुख्यमंत्री के फेसबुक फॉलोअर्स अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों की तुलना में अधिक हैं.
आंकड़ों के हिसाब से फेसबुक पेज पर मुख्यमंत्री के 4.26 लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं. वहीं, दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री अर्जुन मुंडा की बात करें तो उनके महज 1 लाख 15 हजार से अधिक फॉलोअर हैं और लोग उन्हें अपना नेता मानते हैं. कमेंट करने वालों का साफ कहना है कि मुंडा की कनेक्टिविटी लोगों से सीधी है.
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झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष और झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन का भी बड़ी संख्या में फॉलोअर्स हैं, लेकिन नेगेटिव कमेंट करने वाले कम नजर आते हैं. सोरेन फिलहाल राज्य के अलग-अलग प्रमंडलों में बदलाव यात्रा कर रहे हैं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनका गर्मजोशी से स्वागत भी हो रहा है. यहां तक कि कमेंट्स पर नजर डालें तो लोग उन्हें आज की आवाज बता रहे हैं. वहीं, बाबूलाल मरांडी को लेकर भी सोशल मीडिया में फॉलोअर्स और अन्य काफी सकारात्मक रूप से नजर आते हैं. हालांकि, उनमें से कुछ उनकी आलोचना भी करते हैं, लेकिन राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री मरांडी के कार्यकाल की चर्चा भी होती है.
कुछ ऐसे आ रहे हैं कमेंट
अगर मुख्यमंत्री के फेसबुक पेज के कमेंट पर नजर डालें तो एक तरफ जहां कुछ लोग मुख्यमंत्री के समर्थन में नजर आते हैं वहीं, दूसरी तरफ कुछ कमेंट में उनकी जमकर आलोचना होती है. उनमें से एक स्वामीक बनर्जी कहते हैं कि सरकार गलतफहमी में है और सही मायने में झारखंड का कंडीशन जानना है तो यहां की जनता से पूछना होगा. जबकि, दूसरे फॉलोवर विष्णु कांत कुशवाहा ने मुख्यमंत्री को बिजली सप्लाई को लेकर उनका वादा याद दिलाया है. वहीं, बीजेपी नेता सुनील कुमार निषाद ने कहा कि बिहारियों को नौकरी नहीं देने का ऐलान मुख्यमंत्री ने किया इससे झारखंड में रह रहे बिहारियों को में गुस्सा है. उन्होंने कहा कि सभी भारतवासी हैं. जबकि, सोमेन कुमार मंडल ने कहा कि पंचायत स्वयं सेवकों को एक निश्चित और सम्मानजनक मानदेय लागू करें अन्यथा वे सभी भूख हड़ताल पर बैठेंगे.
क्या कहते हैं विपक्षी दलों के नेता
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव की मानें तो सोशल मीडिया में लोगों के विचार किसी व्यक्ति विशेष के विचार नहीं है. यह वही लोग हैं जो राज्य के मतदाताओं का हिस्सा हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरीके से सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर सरकार को लेकर टिप्पणियां की जा रही है इससे साफ होता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी की मिट्टी पलीद होने जा रही है. वहीं, झामुमो के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता विनोद पांडे कहते हैं कि पिछले 5 साल में मुख्यमंत्री का जिस तरह का आचरण रहा है उससे लोगों में एक तरह की नाराजगी है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का एक बड़ा प्लेटफार्म है और यह एक तरीके से मुख्यमंत्री को सीधा जवाब दे रहे हैं.