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JPSC के कट ऑफ मार्क्स में बदलाव, रिजल्ट के बाद विवादों में घिरा आयोग - JPSC engulfed in controversy

छठी जेपीएससी शुरू से ही विवादों में रहा है. रिजल्ट जारी होने के बाद एक बार और यह मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा. दरअसल सिविल सेवा परीक्षा के कट ऑफ मार्क्स में संशोधन किया गया है. अनारक्षित श्रेणी में चयनित हुए अभ्यर्थियों को प्राथमिकता सेवा न देकर दूसरी सेवा में भेज दिया गया है. इसे लेकर कई अभ्यर्थियों ने विरोध दर्ज करवाया है.

Change in cut off marks of jpsc
विवादों में घिरा जेपीएससी
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Published : May 3, 2020, 8:02 AM IST

रांचीः जेपीएससी द्वारा सिविल सेवा परीक्षा के कट ऑफ मार्क्स में संशोधन किया गया है. पहले ईसीबी वन का कट ऑफ मार्क्स 594 निर्धारित किया गया था जोकि घटाकर 593 कर दिया गया है. गौरतलब है कि जेपीएससी द्वारा अपने वेबसाइट पर तमाम परीक्षार्थियों के अंक डालने के बाद कई अभ्यर्थियों ने गड़बड़ी की शिकायत की थी, इसके बाद जेपीएससी ने यह निर्णय लिया है.

छठी जीपीएससी शुरू से ही विवादों के घेरे में है और जेपीएससी का नाता ही मानो विवादों के साथ है. लगभग 4 वर्षों से लगातार छठी जेपीएससी की परीक्षा को लेकर आंदोलन होता रहा है. इसकी रद्द करने की मांग उठती रही. जैसे ही छठी जेपीएससी का रिजल्ट घोषित किया गया एक बार फिर विवाद गहरा गया.

छठी जेपीएससी ने 326 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया है, लेकिन फाइनल रिजल्ट जारी होते ही गड़बड़ियां धीरे-धीरे सामने आनी शुरू हो गईं हैं. आरक्षित कोटा के फाइनल मेरिट लिस्ट में 600 से अधिक अंक प्राप्त करने वाले अनारक्षित श्रेणी में चयनित हुए अभ्यर्थियों को प्राथमिकता सेवा नहीं देकर दूसरी सेवा में भेज दिया गया है. इसे लेकर कई अभ्यर्थियों ने विरोध दर्ज करवाया है. कट ऑफ मार्क्स को लेकर भी एक विवाद गहराया है.

ये भी पढ़ें- बाबनगरी में मिले दो और कोरोना के पॉजिटिव मरीज, राज्य में कुल संक्रमित मरीजों की संख्या हुई 115

अंक वेबसाइट पर जारी करने के बाद मामला हुआ गर्म
तमाम अभ्यर्थियों के अंक वेबसाइट पर जारी करने के बाद इसे लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज करवाई गई थी. हालांकि परीक्षा नियंत्रक द्वारा यह कहा गया था कि मिस प्रिंटिंग के कारण एक भूल हो गई है, जिसे सुधारा जा रहा है. आयोग ने ईसीबी वन का कटऑफ मार्क्स 594 से घटाकर अब 593 कर दिया है. गौरतलब है कि पहले ईसीबी वन का अंक 594 निर्धारित किया गया था, जोकि एक उम्मीदवार महेंद्र कुमार को 593 अंक आने के बाद भी रिजल्ट में इसे चयनित दिखाया गया. इसके बाद आयोग ने संबंधित संशोधन कर 594 की जगह 593 इसे कर दिया है.

सिलेबस के अनुसार ही ली गईं परीक्षाएं

परीक्षा नियंत्रक ने कहा है कि हिंदी और अंग्रेजी में क्वालीफाई रहने के बाद ही मुख्य परीक्षा में अंक में जोड़ने का आरोप निराधार है. सिलेबस के अनुसार ही तमाम परीक्षाएं ली गईं और साक्षात्कार में बैठने की अनुमति अभ्यर्थियों को मिली.

सरकार ने अपनी नियमावली में सिर्फ हिंदी और अंग्रेजी में क्वालीफाई मार्क्स 30 रखे, लेकिन इसे अनिवार्य विषय में शामिल करते हुए सभी 6 पत्र के अंक को शामिल करने की बात कही गई थी. इसी के अनुसार परीक्षा आयोजित हुई. छठी सिविल सेवा परीक्षा और परिणाम में कोई गड़बड़ी नहीं है, बेवजह मामले को लेकर तूल दिया जा रहा है.

रांचीः जेपीएससी द्वारा सिविल सेवा परीक्षा के कट ऑफ मार्क्स में संशोधन किया गया है. पहले ईसीबी वन का कट ऑफ मार्क्स 594 निर्धारित किया गया था जोकि घटाकर 593 कर दिया गया है. गौरतलब है कि जेपीएससी द्वारा अपने वेबसाइट पर तमाम परीक्षार्थियों के अंक डालने के बाद कई अभ्यर्थियों ने गड़बड़ी की शिकायत की थी, इसके बाद जेपीएससी ने यह निर्णय लिया है.

छठी जीपीएससी शुरू से ही विवादों के घेरे में है और जेपीएससी का नाता ही मानो विवादों के साथ है. लगभग 4 वर्षों से लगातार छठी जेपीएससी की परीक्षा को लेकर आंदोलन होता रहा है. इसकी रद्द करने की मांग उठती रही. जैसे ही छठी जेपीएससी का रिजल्ट घोषित किया गया एक बार फिर विवाद गहरा गया.

छठी जेपीएससी ने 326 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया है, लेकिन फाइनल रिजल्ट जारी होते ही गड़बड़ियां धीरे-धीरे सामने आनी शुरू हो गईं हैं. आरक्षित कोटा के फाइनल मेरिट लिस्ट में 600 से अधिक अंक प्राप्त करने वाले अनारक्षित श्रेणी में चयनित हुए अभ्यर्थियों को प्राथमिकता सेवा नहीं देकर दूसरी सेवा में भेज दिया गया है. इसे लेकर कई अभ्यर्थियों ने विरोध दर्ज करवाया है. कट ऑफ मार्क्स को लेकर भी एक विवाद गहराया है.

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अंक वेबसाइट पर जारी करने के बाद मामला हुआ गर्म
तमाम अभ्यर्थियों के अंक वेबसाइट पर जारी करने के बाद इसे लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज करवाई गई थी. हालांकि परीक्षा नियंत्रक द्वारा यह कहा गया था कि मिस प्रिंटिंग के कारण एक भूल हो गई है, जिसे सुधारा जा रहा है. आयोग ने ईसीबी वन का कटऑफ मार्क्स 594 से घटाकर अब 593 कर दिया है. गौरतलब है कि पहले ईसीबी वन का अंक 594 निर्धारित किया गया था, जोकि एक उम्मीदवार महेंद्र कुमार को 593 अंक आने के बाद भी रिजल्ट में इसे चयनित दिखाया गया. इसके बाद आयोग ने संबंधित संशोधन कर 594 की जगह 593 इसे कर दिया है.

सिलेबस के अनुसार ही ली गईं परीक्षाएं

परीक्षा नियंत्रक ने कहा है कि हिंदी और अंग्रेजी में क्वालीफाई रहने के बाद ही मुख्य परीक्षा में अंक में जोड़ने का आरोप निराधार है. सिलेबस के अनुसार ही तमाम परीक्षाएं ली गईं और साक्षात्कार में बैठने की अनुमति अभ्यर्थियों को मिली.

सरकार ने अपनी नियमावली में सिर्फ हिंदी और अंग्रेजी में क्वालीफाई मार्क्स 30 रखे, लेकिन इसे अनिवार्य विषय में शामिल करते हुए सभी 6 पत्र के अंक को शामिल करने की बात कही गई थी. इसी के अनुसार परीक्षा आयोजित हुई. छठी सिविल सेवा परीक्षा और परिणाम में कोई गड़बड़ी नहीं है, बेवजह मामले को लेकर तूल दिया जा रहा है.

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