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एफजेसीसीआई ने शेयर किया दर्द, कहा- हर मामले में है सरकार '0' कैसे काम करे व्यवसायी

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Published : Aug 21, 2019, 9:41 PM IST

चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया, जसमें उन्होंने सरकार पर कई आरोप लगाए. व्यवसायियों ने कहा कि राज्य में जारी पावर कट एक बड़ी समस्या है, जिसके बारे में सरकार को अवगत कराया गया, लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गई.

जानकारी देते व्यवसायी

रांची: चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने सरकार की इज ऑफ डूइंग बिजनेस की पोल खोलकर रख दी है. बुधवार को चेंबर भवन में व्यवसायियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया, जिसमें उन्होंने अपने दर्द को शेयर करते हुए झारखंड सरकार पर कई आरोप लगाए.

जानकारी देते व्यवसायी

व्यवसायियों ने राज्य में जारी पावर कट की समस्या के साथ ही अंचल कार्यालय, भू राजस्व, परिवहन, सिंगल विंडो सिस्टम, नगर विकास, नगर निगम द्वारा जारी अनियमितता, सेवाओं में राइट टू सर्विस एक्ट का अनुपालन नहीं होने के अलावे सभी विभागों में निचले स्तर पर जारी भ्रष्टाचार पर सरकार की उदासीनता पर चिंता जाहिर की. इस दौरान जिला चेंबर के सहयोग से व्यवसायियों ने राज्य स्तर पर सरकार के खिलाफ मुहिम शुरू करने का निर्णय लिया. इसके तहत राजधानी रांची में आठ मुख्य जगहों पर बैनर भी लगाए गए हैं, जिसके जरिए व्यवसायियों ने अपनी बातों को रखने का प्रयास किया है.

इसे भी पढ़ें:- रांचीः झाविमो सुप्रीमो ने रघुवर सरकार से कितने नए उद्योग लगे और कितने बंद हुए, इसकी जानकारी मांगी

सरकार व्यवसायियों की ओर नहीं दे रही ध्यान
झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष दीपक कुमार मारू ने कहा कि अधिकारी, मंत्री, मुख्यमंत्री और सेंट्रल में झारखंड के व्यवसायियों की समस्या को लेकर पत्राचार किया गया, लेकिन रिजल्ट ढाक के तीन पात रहा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा अधिकारियों को व्यवसायियों की समस्या को संज्ञान लेते हुए उसके निदान करने को कहा गया था, लेकिन अधिकारियों द्वारा कोई सुद नहीं ली गई.

व्यवसायियों के राजस्व से ही चलती है व्यवस्था
दीपक कुमार मारू ने कहा कि राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार व्यवसायियों के राजस्व से ही व्यवस्था चलती है. व्यवसायी समय पर सही टैक्स का पेमेंट भी करते हैं, फिर भी उनकी समस्याओं का निदान नहीं हो सका है. उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि व्यवसायियों की समस्या का समाधान अबतक क्यों नहीं हो सका.

इसे भी पढ़ें:- बीजेपी का कांग्रेस पर आरोप, राजीव गांधी की श्रद्धांजलि सभा का कांग्रेस ने किया राजनीतिकरण

प्रधानमंत्री के कथनी और करनी में अंतर
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि व्यवसायी हमारे अभिन्न अंग है, लेकिन उनके अधिकारियों को यह बात समझ में नहीं आ रही है या फिर उनकी कथनी और करनी में अंतर है. उन्होंने कहा कि सरकार के पास व्यवसायियों और उद्योगों को बढ़ाने के लिए ना ही कोई विजन है, ना ही उनकी सुनने की कोई मंशा है. दीपक मारू ने कहा कि अगर मेक इन झारखंड की बात किया जाए तो राज्य में जितना डेवलपमेंट का काम हो रहा है उस काम का 5% का भी हिस्सा लोकल व्यवसायियों को नहीं मिल रहा है.

परिवहन विभाग पर अनियमितता का आरोप
वहीं, परिवहन विभाग की अनियमितता को लेकर चेंबर के सदस्य अनूप कुमार बुधिया ने सवाल उठाए. उनका कहना है कि परिवहन मंत्री को जब भी कोई समस्या से अवगत कराया जाता है बस वो कार्वाई करने की बात करते हैं, लेकिन कार्रवाई होती नहीं है.

रांची: चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने सरकार की इज ऑफ डूइंग बिजनेस की पोल खोलकर रख दी है. बुधवार को चेंबर भवन में व्यवसायियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया, जिसमें उन्होंने अपने दर्द को शेयर करते हुए झारखंड सरकार पर कई आरोप लगाए.

जानकारी देते व्यवसायी

व्यवसायियों ने राज्य में जारी पावर कट की समस्या के साथ ही अंचल कार्यालय, भू राजस्व, परिवहन, सिंगल विंडो सिस्टम, नगर विकास, नगर निगम द्वारा जारी अनियमितता, सेवाओं में राइट टू सर्विस एक्ट का अनुपालन नहीं होने के अलावे सभी विभागों में निचले स्तर पर जारी भ्रष्टाचार पर सरकार की उदासीनता पर चिंता जाहिर की. इस दौरान जिला चेंबर के सहयोग से व्यवसायियों ने राज्य स्तर पर सरकार के खिलाफ मुहिम शुरू करने का निर्णय लिया. इसके तहत राजधानी रांची में आठ मुख्य जगहों पर बैनर भी लगाए गए हैं, जिसके जरिए व्यवसायियों ने अपनी बातों को रखने का प्रयास किया है.

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सरकार व्यवसायियों की ओर नहीं दे रही ध्यान
झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष दीपक कुमार मारू ने कहा कि अधिकारी, मंत्री, मुख्यमंत्री और सेंट्रल में झारखंड के व्यवसायियों की समस्या को लेकर पत्राचार किया गया, लेकिन रिजल्ट ढाक के तीन पात रहा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा अधिकारियों को व्यवसायियों की समस्या को संज्ञान लेते हुए उसके निदान करने को कहा गया था, लेकिन अधिकारियों द्वारा कोई सुद नहीं ली गई.

व्यवसायियों के राजस्व से ही चलती है व्यवस्था
दीपक कुमार मारू ने कहा कि राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार व्यवसायियों के राजस्व से ही व्यवस्था चलती है. व्यवसायी समय पर सही टैक्स का पेमेंट भी करते हैं, फिर भी उनकी समस्याओं का निदान नहीं हो सका है. उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि व्यवसायियों की समस्या का समाधान अबतक क्यों नहीं हो सका.

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प्रधानमंत्री के कथनी और करनी में अंतर
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि व्यवसायी हमारे अभिन्न अंग है, लेकिन उनके अधिकारियों को यह बात समझ में नहीं आ रही है या फिर उनकी कथनी और करनी में अंतर है. उन्होंने कहा कि सरकार के पास व्यवसायियों और उद्योगों को बढ़ाने के लिए ना ही कोई विजन है, ना ही उनकी सुनने की कोई मंशा है. दीपक मारू ने कहा कि अगर मेक इन झारखंड की बात किया जाए तो राज्य में जितना डेवलपमेंट का काम हो रहा है उस काम का 5% का भी हिस्सा लोकल व्यवसायियों को नहीं मिल रहा है.

परिवहन विभाग पर अनियमितता का आरोप
वहीं, परिवहन विभाग की अनियमितता को लेकर चेंबर के सदस्य अनूप कुमार बुधिया ने सवाल उठाए. उनका कहना है कि परिवहन मंत्री को जब भी कोई समस्या से अवगत कराया जाता है बस वो कार्वाई करने की बात करते हैं, लेकिन कार्रवाई होती नहीं है.

Intro:
नोट- लाइव यू से विजुअल बाइट गई है

रांची.फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने सरकार की इज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस की पोल खोलकर रख दी है।व्यवसायियों ने अपने दर्द को शेयर करते हुए बुधवार को चेंबर भवन में प्रेस को संबोधित किया।जिसमें झारखंड में जारी पावर कट की समस्या के साथ ही अंचल कार्यालय,भू राजस्व,परिवहन,सिंगल विंडो सिस्टम, नगर विकास,नगर निगम द्वारा जारी अनियमितता, सेवाओं में राइट टू सर्विस एक्ट का अनुपालन नहीं होने के अलावे सभी विभागों में निचले स्तर पर जारी भ्रष्टाचार पर सरकार की उदासीनता पर चिंता जाहिर करते हुए सभी जिला चेंबर के सहयोग से राज्य स्तर पर मुहिम आरंभ करने की जानकारी दी गई है। इसके तहत राजधानी रांची में आठ मुख्य जग्गू पर बैनर भी लगाए गए हैं।जिसके जरिए व्यवसायियों ने अपनी बातों को रखने का प्रयास किया है।


Body:झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष दीपक कुमार मारू ने कहा कि अधिकारी, मंत्री, मुख्यमंत्री और सेंट्रल में झारखंड के व्यवसायियों की समस्या को लेकर पत्राचार किया गया। लेकिन रिजल्ट हमेशा शून्य मिला और हमेशा उनकी बातों का टालमटोल किया गया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा अधिकारियों को व्यवसायियों की समस्या को संज्ञान लेते हुए उसके निदान के लिए कहा भी गया। लेकिन फिर भी अधिकारियों द्वारा कोई सुद नहीं ली गई ।उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार व्यवसायियों के राजस्व से ही व्यवस्था चलती और जनकल्याणकारी योजनाएं चलती है। व्यवसाई समय पर सही टैक्स का पेमेंट भी करते हैं। फिर भी उनकी समस्याओं को संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। आखिर अधिकारी कार्य क्यों नहीं करना चाहते। यह जांच का विषय है। सरकार को बताना चाहिए आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने यह कहा है कि व्यवसायी हमारे अभिन्न अंग है। लेकिन उनके अधिकारियों को यह बात समझ में नहीं आ रही है या फिर यह हो सकता है कि उनकी कथनी और करनी में अंतर हो। उन्होंने कहा कि सरकार के पास व्यवसायियों और उद्योगों को बढ़ाने के लिए ना ही कोई विजन है, ना ही उनकी सुनने की कोई मंशा है। ऐसा लगता है कि सरकार ने उनसे वार्ता नहीं करने की कसम खाई है। अगर मेक इन झारखंड की बात करें तो राज्य में जितना डेवलपमेंट का काम हो रहा है। उस काम का 5% का भी हिस्सा लोकल व्यवसायियों को नहीं मिल रहा है। ऐसे कई एग्जांपल है। चाहे वह स्मार्ट सिटी की बात करें या फिर इलेक्ट्रिसिटी की बात करें या पेयजल की व्यवस्था के लिए सोलर लगाने के हजारों करोड़ों के कॉन्ट्रैक्ट की बात करें। सभी बाहरी कांट्रेक्टर को काम लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि फेडरेशन सरकार नहीं है, लेकिन अगर दिखाना है तो हम सरकार से भी कम नहीं है।


Conclusion:वही परिवहन विभाग की अनियमितता को लेकर चेंबर के सदस्य अनूप कुमार बुधिया ने ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि परिवहन मंत्री से जब भी कोई समस्या से अवगत कराया जाता है। तो उनका एक ही जवाब होता है कि आयुक्त विधि सम्मत कार्रवाई करें और आखिर में सभी चिट्ठी को डंप कर दिया जाता है। अगर बस ओनर परमिट पर आपत्ति करना चाहे तो उसे एक हजार रुपये शुल्क जमा करना पड़ता है। जबकि देश में किसी राज्य में यह व्यवस्था नहीं है।वहीं चेंबर सदस्य पवन शर्मा ने राज्य सरकार को वर्तमान व्यवस्था की आईना दिखाने के लिए व्यवसायियों द्वारा बनाए गए कई स्लोगन को सामने रखा गया।
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