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गांव वालों के लिए कब्रगाह बन रही उनकी अपनी जमीन, बारूदी सुरंग के जाल में फंसकर गंवा रहे जान! - NAXALITES IN JHARKHAND

झारखंड के कोल्हान क्षेत्र में ग्रामीण अपनी ही जमीन पर बेमौत मारे जा रहे हैं. वे लगातार नक्सलियों का चारा बन रहे हैं.

Innocent villagers killed by IED bombs planted by Naxalites in Kolhan region of Jharkhand
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 11, 2025, 4:31 AM IST

रांचीः ये जंगल नहीं एक जाल है, यहां पगडंगी और कच्ची सड़कें सीधे मौत के सफर पर ले जाती है. इस चक्रव्यूह में फंसकर यहां के वाशिंदे बेमौत मारे जा रहे हैं. एक तरफ पेट की भूख और दूसरी तरफ जान का डर आखिर इन गांव में रहने वाले आखिर करे तो क्या करे. यही कुछ हाल है झारखंड के कोल्हान का, यहां कई इलाकों में मौत का जाल बिछा हुआ है.

झारखंड के चाईबासा के जराईकेला की रहने वाली सात साल की मासूम सनिका अब इस दुनिया में नहीं रही. सनिका को उसी जंगल में बेहद दर्दनाक मौत मिली जो उसका घर था, लेकिन अपने आपको गरीबों का मसीहा कहने वाले तथाकथित लाल आतंकियों के द्वारा बिछाए आईईडी ब्लास्ट ने सनिका की निश्छल चहलकदमी को हमेशा के लिए खामोश कर दिया.

जानकारी देते झारखंड डीजीपी (ETV Bharat)

अपने ही घर, जंगल और खलिहान में दर्दनाक मौत पाने वाली सनिका कोई पहली शख्स नहीं है. केवल कोल्हान में ही 20 से ज्यादा ग्रामीण और दर्जन भर जानवर केवल नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईईडी ब्लास्ट में अपनी जान गंवा चुके हैं. क्योंकि नक्सलियों द्वारा खुद को बचाने के लिए बिछाए गये आईईडी के जाल में मासूम ग्रामीण फंस रहे हैं.

अपने ही घर में बेमौत मारे जा रहे ग्रामीण

झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता कहते हैं कि कोल्हान से अगले 3 महीने के भीतर नक्सलवाद का सफाया कर दिया जाएगा. लेकिन यह 3 महीने कोल्हान के उन ग्रामीणों के लिए 30 वर्ष से कम नहीं हैं जो हर दिन अपने खेत, खलिहान और जंगल में ही हर पल मौत का सामना कर रहे हैं. 7 जनवरी 2025 को मासूम सनिका गांव की एक महिला के साथ अपने गांव के पास वाले जंगल में साल पत्ता तोड़ने के लिए गई थी.

Innocent villagers killed by IED planted by Naxalites in Kolhan region of Jharkhand
आईईडी निकलते सुरक्षा बल के जवान (ETV Bharat)

लेकिन इसी बीच मासूम सनिका का पांव एक प्रेशर आईईडी पर पड़ा और ब्लास्ट में मासूम सनिका की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई, जबकि उसके साथ गई महिला गंभीर रूप से घायल हो गई. दरअसल, बारूदी सुरंग विस्फोट में अपनी जान गंवाना कोल्हान के कुछ थाना क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों की नियति बन गई है. केवल ग्रामीणों की जान ही नहीं जा रही है बल्कि उनके पालतू गाय, बकरी और बैल भी मारे जा रहे हैं.

इस मकड़जाल से बेबस हैं ग्रामीण

कोल्हान में नक्सली अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं. इस लड़ाई में वह किसी की भी बलि लेने से परहेज नहीं कर रहे हैं. वर्तमान समय में नक्सलियों का एकमात्र मकसद है कि किसी भी तरह से अपने ठिकानों तक पुलिस को न पहुंचने दे. पुलिस से बचने के लिए कोल्हान के कुछ इलाकों में नक्सलियों ने आईईडी बमों का एक ऐसा चक्रव्यूह बनाया है जिसे भेद पाने में झारखंड पुलिस अब तक कामयाब नहीं हो पाई है.

इसका नतीजा यह है कि कोल्हान में लगातार आईईडी बमों की चपेट में आने से ग्रामीणों की जान जा रही है, उनके पशु भी विस्फोट में मारे जा रहे हैं. ग्रामीणों की मौत का आंकड़ा रुकने के बजाय हर दिन बढ़ता ही जा रहा है. जीविका के लिए जंगल जाना ग्रामीणों के लिए मजबूरी है तो वहीं नक्सलियों के खात्मे के लिए सुरक्षाबलों के लिए भी जंगलों में उतरना बेहद जरूरी. ऐसे में ग्रामीणों और सुरक्षा बलों दोनों का ही सामना आईईडी से हो रहा है.

Innocent villagers killed by IED planted by Naxalites in Kolhan region of Jharkhand
घायल को ले जाते सुरक्षा बल के जवान (ETV Bharat)

इसको लेकर आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं. नवंबर 2023 से लेकर अब तक झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों के 22 जवान नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईईडी बमों में विस्फोट की वजह से घायल हुए हैं. लेकिन उससे बुरी स्थिति ग्रामीणों की है नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईईडी के विस्फोट से अब तक 22 ग्रामीण अपनी जान गंवा चुके हैं जबकि आधा दर्जन अंगभंग के शिकार हो चुके हैं. पिछले 2 साल में ग्रामीणों के दो दर्जन से ज्यादा बैल, गाय और बकरी जैसे मवेशी भी ब्लास्ट की चपेट में आकर मौत की आगोश में समा चुके हैं.

रोजी-रोटी के चक्कर में गंवा रहे जान

दरअसल, झारखंड के कोल्हान आज भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जो पहाड़ों और जंगलों से घिरे पड़े हैं. इन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों के लिए आजीविका का सबसे बड़ा साधन जंगल है. जंगल से लकड़ी और कई तरह के जंगली उत्पाद ग्रामीणों को मिलते हैं जिन्हें बेचकर वे अपनी जीविका चलाते हैं. लेकिन इन्ही जंगलों में नक्सलियों ने भी डेरा डाल रखा है. पुलिस से बचाव के लिए नक्सलियों ने जंगल के बड़े क्षेत्र में जमीन के भीतर आईईडी बम बिछा दिया है.

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कोल्हान इलाके में ग्रामीणों की मौत का आंकड़ा (ETV Bharat)

नतीजा अब इन्हीं बमों का शिकार ग्रामीण भी लगातार हो रहे हैं. इसी साल 7 जनवरी को हुए हुए धमाके में एक 7 वर्षीय बच्ची की मौत हो गयी. जिसके बाद कोल्हान के वैसे इलाके जो घोर नक्सल प्रभावित हैं और नक्सलियों ने वहां जमीन में बम लगा दिए हैं. अब उस ओर जाने से ग्रामीण खौफ खा रहे हैं, ऐसे में उन्हें रोजी-रोटी की भी चिंता सता रही है.

ये इलाके हैं बेहद खतरनाक

कोल्हान के जराइकेला, रेंगरा, टोंटो, सोनुआ, जेटेया, गुदड़ी और टुम्बाहाता ऐसे इलाके हैं जहां के जंगलों में कदम-कदम पर जमीन के नीचे नक्सलियों ने मौत का सामान बिछा रखा है. इन जंगली इलाकों में विस्फोट की वजह से पिछले डेढ़ साल में 22 ग्रामीण अपनी जान गंवा चुके हैं. स्थिति यह है कि बाइक से जंगल में अभियान पर निकले जवान आईईडी के शिकार हो रहे हैं.

Innocent villagers killed by IED planted by Naxalites in Kolhan region of Jharkhand
झाड़ी में लगाया गया बारूदी सुरंग (ETV Bharat)

नवंबर 2023 से अब तक 22 ग्रामीण मारे गए

कोल्हान में सबसे ज्यादा नुकसान ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है. नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी से अब तक 22 ग्रामीण अपनी जान गवां चुके हैं, जबकि 10 गंभीर रूप से घायल हुए. 07 जनवरी 2025 को जराईकेला की रहने वाली सात साल की मासूम सनिका आईईडी विस्फोट में मारी गई. इसी तरह साल 2024 के फरवरी और अक्टूबर के महीने में हुए हादसे में दो ग्रामीण की जान गयी.

साल 2023 में कोल्हान में सबसे ज्यादा हादसे हुए. जनवरी माह से लेकर मई तक महीने में करीब दो बार ऐसी खबरें जरूर सामने आई. जिसमें आईईडी ब्लास्ट से ग्रामीण मारे गये हों. जनवरी में एक 13 साल का बच्चा घायल हुआ. वहीं फरवरी में एक ग्रामीण की जान गयी तो एक बुजुर्ग महिला घायल हुई. मार्च महीने में चाईबासा में दो महिला के साथ एक बुजुर्ग की जान गयी तो एक महिला जख्मी हुई.

अप्रैल 2023 में पश्चिमी सिंहभूम के टोंटो थाना क्षेत्र में एक के बाद एक तीन हादसे हुए. 9 अप्रैल और 14 अप्रैल 2023 को जंगलों में आईईडी विस्फोट हुआ. एक 6 साल के बालक और एक बुजुर्ग जख्मी हो गए. वहीं एक और विस्फोट में 35 वर्षीय जेना कोड़ा की मौत हो गई. मई महीने में एक 10 के लड़के और एक 50 साल के व्यक्ति की जान चली गयी.

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कोल्हान इलाके में ग्रामीणों की मौत का आंकड़ा (ETV Bharat)

वहीं साल 2022 में चाईबासा के टोंटो और गोइलकेरा में आईईडी विस्फोट हुआ. 20 नवंबर को लैंडमाइंस विस्फोट में ग्रामीण चेतन कोड़ा की मौत हो गई. 28 दिसंबर को गोइलकेरा में हुए लैंडमाइंस विस्फोट में 23 वर्षीय सिंगराय पूर्ति की मौत हो गई.

नक्सली अपनी जान बचाने के लिए ग्रामीणों को बना रहे निशाना

झारखंड के नक्सल इतिहास में नक्सली संगठन हमेशा से ग्रामीणों को अपना निशाना बनाते रहे हैं, कभी मुखबिर के नाम पर तो कभी पनाह नहीं देने के नाम पर उनका लगातार शोषण किया गया. लेकिन पुलिस के जोरदार अभियान के बाद परिस्थितियां बिल्कुल बदल गई हैं. झारखंड के अधिकांश नक्सल होल्ड से माओवादियों को खदेड़ दिया गया है. लेकिन कोल्हान में कुछ ऐसे भी क्षेत्र है जहां नक्सली अभी-भी अपने आपको बचाने में कामयाब हुए हैं लेकिन यह कामयाबी ग्रामीणों के खून से तैयार की गई है.

घनघोर बीहड़ों में नक्सलियों ने खुद को बचाने के लिए पूरे जंगल में ही लैंडमाइंस बिछा दिया है. लैंडमाइंस ऐसे जंगलों में बिछाए गए हैं जहां ग्रामीणों का रोज का आना जाना होता है. इस कारण से ग्रामीण लगातार इस आईईडी की चपेट में आकर अपनी जान गंवा रहे हैं.

सुरक्षा बल भी टारगेट पर

झारखंड के कोल्हान इलाके में पुलिस और नक्सलियों के बीच निर्णायक लड़ाई लड़ी जा रही है. पुलिस कोल्हान की जंग कब के जीत भी गई होती लेकिन नक्सलियों द्वारा जंगली इलाकों में लगाए गए आईईडी बम इस जंग को जीतने में अब तक बाधक बने हुए है. नवंबर 2022 से लेकर अब तक 19 सुरक्षा बल कोल्हान में आईईडी बमों के विस्फोट की वजह से घायल हुए हैं.

जिनमें 209 कोबरा बटालियन के इंस्पेक्टर प्रभाकर साहनी, हवलदार अलख दास, मुकेश कुमार सिंह, अजय लिंडा, भरत सिंह राय, फारुकी शाहरुख खान, वीरपाल सिंह, प्रिंस सिंह, अमरेश सिंह, सौरभ कुमार, संतोष और चिरंजीव पात्रे विस्फोट में घायल हो चुके है. सभी को आनन-फानन में एयरलिफ्ट कर रांची लाया गया था अधिकांश जवान चोट से उबर चुके हैं लेकिन कई अभी भी अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं. वहीं सीआरपीएफ के भी कई जवान कोल्हान में घायल हुए, उनमें इंशार अली, राकेश कुमार पाठक, पंकज कुमार यादव और संजीव कुमार शामिल हैं.

कोल्हान में शीर्ष नक्सलियों ने ली है पनाह

दरअसल, कोल्हान में नक्सलियो के शीर्ष नेताओं ने पनाह ले रखा है. बूढ़ापहाड़ के बाद कोल्हान ही एक मात्र वो जगह है जिसे नक्सलियों ने अपने मुख्यालय के रूप में स्थापित किया था. मुख्यालय होने के नाते यहां एक करोड़ के इनामी नक्सली नेताओं का भी बसेरा है. जानकारी के अनुसार सारंडा में एक करोड़ के इनामी मिसिर बेसरा, अनमोल दा, टेक विश्वनाथ उर्फ संतोष, मोचु ,चमन, कंडे, अजय महतो, सागेन अंगारिया और अश्विन जैसे खतरनाक नक्सली कमांडर मौजूद हैं. इनके पास 60 से ज्यादा लड़ाके है जो गुरिल्ला युद्ध में माहिर हैं.

मार्च तक साफ कर देंगे- डीजीपी

कोल्हान में आए दिन आईईडी विस्फोट में ग्रामीणों की मौत और जवानों के घायल होने के सवाल पर झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि कोल्हान में नक्सलियों की धार कुंद हो गई है उनके पास अब कुछ नहीं बचा है. आईईडी बमों के जरिए मुकाबला करने की कोशिश कर रहे हैं जिसका नुकसान ग्रामीणों को और जवानों को हो रहा है. लेकिन हमने 3 महीने का समय लिया है 3 महीने के भीतर कोल्हान से नक्सलियों को साफ कर दिया जाएगा.

इसे भी पढे़ं- चाईबासा में IED ब्लास्ट, लकड़ी चुनने गई नाबालिग लड़की की मौत

इसे भी पढ़ें- सारंडा में आईईडी ब्लास्ट में एक ग्रामीण की मौत, पुलिस को नुकसान पहुंचाने के लिए नक्सलियों ने लगाया था विस्फोटक

इसे भी पढ़ें- हजारों अभियान, एनकाउंटर, ताबड़तोड़ सरेंडर और ग्रामीणों का विश्वास बना सारंडा में सफलता की राह - Security forces in Saranda

रांचीः ये जंगल नहीं एक जाल है, यहां पगडंगी और कच्ची सड़कें सीधे मौत के सफर पर ले जाती है. इस चक्रव्यूह में फंसकर यहां के वाशिंदे बेमौत मारे जा रहे हैं. एक तरफ पेट की भूख और दूसरी तरफ जान का डर आखिर इन गांव में रहने वाले आखिर करे तो क्या करे. यही कुछ हाल है झारखंड के कोल्हान का, यहां कई इलाकों में मौत का जाल बिछा हुआ है.

झारखंड के चाईबासा के जराईकेला की रहने वाली सात साल की मासूम सनिका अब इस दुनिया में नहीं रही. सनिका को उसी जंगल में बेहद दर्दनाक मौत मिली जो उसका घर था, लेकिन अपने आपको गरीबों का मसीहा कहने वाले तथाकथित लाल आतंकियों के द्वारा बिछाए आईईडी ब्लास्ट ने सनिका की निश्छल चहलकदमी को हमेशा के लिए खामोश कर दिया.

जानकारी देते झारखंड डीजीपी (ETV Bharat)

अपने ही घर, जंगल और खलिहान में दर्दनाक मौत पाने वाली सनिका कोई पहली शख्स नहीं है. केवल कोल्हान में ही 20 से ज्यादा ग्रामीण और दर्जन भर जानवर केवल नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईईडी ब्लास्ट में अपनी जान गंवा चुके हैं. क्योंकि नक्सलियों द्वारा खुद को बचाने के लिए बिछाए गये आईईडी के जाल में मासूम ग्रामीण फंस रहे हैं.

अपने ही घर में बेमौत मारे जा रहे ग्रामीण

झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता कहते हैं कि कोल्हान से अगले 3 महीने के भीतर नक्सलवाद का सफाया कर दिया जाएगा. लेकिन यह 3 महीने कोल्हान के उन ग्रामीणों के लिए 30 वर्ष से कम नहीं हैं जो हर दिन अपने खेत, खलिहान और जंगल में ही हर पल मौत का सामना कर रहे हैं. 7 जनवरी 2025 को मासूम सनिका गांव की एक महिला के साथ अपने गांव के पास वाले जंगल में साल पत्ता तोड़ने के लिए गई थी.

Innocent villagers killed by IED planted by Naxalites in Kolhan region of Jharkhand
आईईडी निकलते सुरक्षा बल के जवान (ETV Bharat)

लेकिन इसी बीच मासूम सनिका का पांव एक प्रेशर आईईडी पर पड़ा और ब्लास्ट में मासूम सनिका की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई, जबकि उसके साथ गई महिला गंभीर रूप से घायल हो गई. दरअसल, बारूदी सुरंग विस्फोट में अपनी जान गंवाना कोल्हान के कुछ थाना क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों की नियति बन गई है. केवल ग्रामीणों की जान ही नहीं जा रही है बल्कि उनके पालतू गाय, बकरी और बैल भी मारे जा रहे हैं.

इस मकड़जाल से बेबस हैं ग्रामीण

कोल्हान में नक्सली अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं. इस लड़ाई में वह किसी की भी बलि लेने से परहेज नहीं कर रहे हैं. वर्तमान समय में नक्सलियों का एकमात्र मकसद है कि किसी भी तरह से अपने ठिकानों तक पुलिस को न पहुंचने दे. पुलिस से बचने के लिए कोल्हान के कुछ इलाकों में नक्सलियों ने आईईडी बमों का एक ऐसा चक्रव्यूह बनाया है जिसे भेद पाने में झारखंड पुलिस अब तक कामयाब नहीं हो पाई है.

इसका नतीजा यह है कि कोल्हान में लगातार आईईडी बमों की चपेट में आने से ग्रामीणों की जान जा रही है, उनके पशु भी विस्फोट में मारे जा रहे हैं. ग्रामीणों की मौत का आंकड़ा रुकने के बजाय हर दिन बढ़ता ही जा रहा है. जीविका के लिए जंगल जाना ग्रामीणों के लिए मजबूरी है तो वहीं नक्सलियों के खात्मे के लिए सुरक्षाबलों के लिए भी जंगलों में उतरना बेहद जरूरी. ऐसे में ग्रामीणों और सुरक्षा बलों दोनों का ही सामना आईईडी से हो रहा है.

Innocent villagers killed by IED planted by Naxalites in Kolhan region of Jharkhand
घायल को ले जाते सुरक्षा बल के जवान (ETV Bharat)

इसको लेकर आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं. नवंबर 2023 से लेकर अब तक झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों के 22 जवान नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईईडी बमों में विस्फोट की वजह से घायल हुए हैं. लेकिन उससे बुरी स्थिति ग्रामीणों की है नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईईडी के विस्फोट से अब तक 22 ग्रामीण अपनी जान गंवा चुके हैं जबकि आधा दर्जन अंगभंग के शिकार हो चुके हैं. पिछले 2 साल में ग्रामीणों के दो दर्जन से ज्यादा बैल, गाय और बकरी जैसे मवेशी भी ब्लास्ट की चपेट में आकर मौत की आगोश में समा चुके हैं.

रोजी-रोटी के चक्कर में गंवा रहे जान

दरअसल, झारखंड के कोल्हान आज भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जो पहाड़ों और जंगलों से घिरे पड़े हैं. इन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों के लिए आजीविका का सबसे बड़ा साधन जंगल है. जंगल से लकड़ी और कई तरह के जंगली उत्पाद ग्रामीणों को मिलते हैं जिन्हें बेचकर वे अपनी जीविका चलाते हैं. लेकिन इन्ही जंगलों में नक्सलियों ने भी डेरा डाल रखा है. पुलिस से बचाव के लिए नक्सलियों ने जंगल के बड़े क्षेत्र में जमीन के भीतर आईईडी बम बिछा दिया है.

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कोल्हान इलाके में ग्रामीणों की मौत का आंकड़ा (ETV Bharat)

नतीजा अब इन्हीं बमों का शिकार ग्रामीण भी लगातार हो रहे हैं. इसी साल 7 जनवरी को हुए हुए धमाके में एक 7 वर्षीय बच्ची की मौत हो गयी. जिसके बाद कोल्हान के वैसे इलाके जो घोर नक्सल प्रभावित हैं और नक्सलियों ने वहां जमीन में बम लगा दिए हैं. अब उस ओर जाने से ग्रामीण खौफ खा रहे हैं, ऐसे में उन्हें रोजी-रोटी की भी चिंता सता रही है.

ये इलाके हैं बेहद खतरनाक

कोल्हान के जराइकेला, रेंगरा, टोंटो, सोनुआ, जेटेया, गुदड़ी और टुम्बाहाता ऐसे इलाके हैं जहां के जंगलों में कदम-कदम पर जमीन के नीचे नक्सलियों ने मौत का सामान बिछा रखा है. इन जंगली इलाकों में विस्फोट की वजह से पिछले डेढ़ साल में 22 ग्रामीण अपनी जान गंवा चुके हैं. स्थिति यह है कि बाइक से जंगल में अभियान पर निकले जवान आईईडी के शिकार हो रहे हैं.

Innocent villagers killed by IED planted by Naxalites in Kolhan region of Jharkhand
झाड़ी में लगाया गया बारूदी सुरंग (ETV Bharat)

नवंबर 2023 से अब तक 22 ग्रामीण मारे गए

कोल्हान में सबसे ज्यादा नुकसान ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है. नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी से अब तक 22 ग्रामीण अपनी जान गवां चुके हैं, जबकि 10 गंभीर रूप से घायल हुए. 07 जनवरी 2025 को जराईकेला की रहने वाली सात साल की मासूम सनिका आईईडी विस्फोट में मारी गई. इसी तरह साल 2024 के फरवरी और अक्टूबर के महीने में हुए हादसे में दो ग्रामीण की जान गयी.

साल 2023 में कोल्हान में सबसे ज्यादा हादसे हुए. जनवरी माह से लेकर मई तक महीने में करीब दो बार ऐसी खबरें जरूर सामने आई. जिसमें आईईडी ब्लास्ट से ग्रामीण मारे गये हों. जनवरी में एक 13 साल का बच्चा घायल हुआ. वहीं फरवरी में एक ग्रामीण की जान गयी तो एक बुजुर्ग महिला घायल हुई. मार्च महीने में चाईबासा में दो महिला के साथ एक बुजुर्ग की जान गयी तो एक महिला जख्मी हुई.

अप्रैल 2023 में पश्चिमी सिंहभूम के टोंटो थाना क्षेत्र में एक के बाद एक तीन हादसे हुए. 9 अप्रैल और 14 अप्रैल 2023 को जंगलों में आईईडी विस्फोट हुआ. एक 6 साल के बालक और एक बुजुर्ग जख्मी हो गए. वहीं एक और विस्फोट में 35 वर्षीय जेना कोड़ा की मौत हो गई. मई महीने में एक 10 के लड़के और एक 50 साल के व्यक्ति की जान चली गयी.

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कोल्हान इलाके में ग्रामीणों की मौत का आंकड़ा (ETV Bharat)

वहीं साल 2022 में चाईबासा के टोंटो और गोइलकेरा में आईईडी विस्फोट हुआ. 20 नवंबर को लैंडमाइंस विस्फोट में ग्रामीण चेतन कोड़ा की मौत हो गई. 28 दिसंबर को गोइलकेरा में हुए लैंडमाइंस विस्फोट में 23 वर्षीय सिंगराय पूर्ति की मौत हो गई.

नक्सली अपनी जान बचाने के लिए ग्रामीणों को बना रहे निशाना

झारखंड के नक्सल इतिहास में नक्सली संगठन हमेशा से ग्रामीणों को अपना निशाना बनाते रहे हैं, कभी मुखबिर के नाम पर तो कभी पनाह नहीं देने के नाम पर उनका लगातार शोषण किया गया. लेकिन पुलिस के जोरदार अभियान के बाद परिस्थितियां बिल्कुल बदल गई हैं. झारखंड के अधिकांश नक्सल होल्ड से माओवादियों को खदेड़ दिया गया है. लेकिन कोल्हान में कुछ ऐसे भी क्षेत्र है जहां नक्सली अभी-भी अपने आपको बचाने में कामयाब हुए हैं लेकिन यह कामयाबी ग्रामीणों के खून से तैयार की गई है.

घनघोर बीहड़ों में नक्सलियों ने खुद को बचाने के लिए पूरे जंगल में ही लैंडमाइंस बिछा दिया है. लैंडमाइंस ऐसे जंगलों में बिछाए गए हैं जहां ग्रामीणों का रोज का आना जाना होता है. इस कारण से ग्रामीण लगातार इस आईईडी की चपेट में आकर अपनी जान गंवा रहे हैं.

सुरक्षा बल भी टारगेट पर

झारखंड के कोल्हान इलाके में पुलिस और नक्सलियों के बीच निर्णायक लड़ाई लड़ी जा रही है. पुलिस कोल्हान की जंग कब के जीत भी गई होती लेकिन नक्सलियों द्वारा जंगली इलाकों में लगाए गए आईईडी बम इस जंग को जीतने में अब तक बाधक बने हुए है. नवंबर 2022 से लेकर अब तक 19 सुरक्षा बल कोल्हान में आईईडी बमों के विस्फोट की वजह से घायल हुए हैं.

जिनमें 209 कोबरा बटालियन के इंस्पेक्टर प्रभाकर साहनी, हवलदार अलख दास, मुकेश कुमार सिंह, अजय लिंडा, भरत सिंह राय, फारुकी शाहरुख खान, वीरपाल सिंह, प्रिंस सिंह, अमरेश सिंह, सौरभ कुमार, संतोष और चिरंजीव पात्रे विस्फोट में घायल हो चुके है. सभी को आनन-फानन में एयरलिफ्ट कर रांची लाया गया था अधिकांश जवान चोट से उबर चुके हैं लेकिन कई अभी भी अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं. वहीं सीआरपीएफ के भी कई जवान कोल्हान में घायल हुए, उनमें इंशार अली, राकेश कुमार पाठक, पंकज कुमार यादव और संजीव कुमार शामिल हैं.

कोल्हान में शीर्ष नक्सलियों ने ली है पनाह

दरअसल, कोल्हान में नक्सलियो के शीर्ष नेताओं ने पनाह ले रखा है. बूढ़ापहाड़ के बाद कोल्हान ही एक मात्र वो जगह है जिसे नक्सलियों ने अपने मुख्यालय के रूप में स्थापित किया था. मुख्यालय होने के नाते यहां एक करोड़ के इनामी नक्सली नेताओं का भी बसेरा है. जानकारी के अनुसार सारंडा में एक करोड़ के इनामी मिसिर बेसरा, अनमोल दा, टेक विश्वनाथ उर्फ संतोष, मोचु ,चमन, कंडे, अजय महतो, सागेन अंगारिया और अश्विन जैसे खतरनाक नक्सली कमांडर मौजूद हैं. इनके पास 60 से ज्यादा लड़ाके है जो गुरिल्ला युद्ध में माहिर हैं.

मार्च तक साफ कर देंगे- डीजीपी

कोल्हान में आए दिन आईईडी विस्फोट में ग्रामीणों की मौत और जवानों के घायल होने के सवाल पर झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि कोल्हान में नक्सलियों की धार कुंद हो गई है उनके पास अब कुछ नहीं बचा है. आईईडी बमों के जरिए मुकाबला करने की कोशिश कर रहे हैं जिसका नुकसान ग्रामीणों को और जवानों को हो रहा है. लेकिन हमने 3 महीने का समय लिया है 3 महीने के भीतर कोल्हान से नक्सलियों को साफ कर दिया जाएगा.

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