रांची: झारखंड के व्यवहार न्यायालयों में करीब 500 सीटों की बहाली निकली है, जिसके लिए हजारों अभ्यर्थी फॉर्म भर रहे हैं. इसकी अंतिम तिथि 28 फरवरी है. इसीलिए सभी अभ्यर्थी अपने फॉर्म को भरने की प्रक्रिया में तेजी से जुटे हुए हैं. रांची में 22 सीटों के लिए हजारों लोगों ने आवेदन भरा है. जिसका प्रमाण राजधानी के सदर अस्पताल में देखने को मिल रहा है. क्योंकि हर रोज सैकड़ों की संख्या में युवा फॉर्म अटेस्टेड कराने के लिए पहुंच रहे हैं.
रांची के लोकल अभ्यर्थी अपने फार्म को अटेस्टेड कराने के लिए सदर अस्पताल पहुंच रहे हैं. अभ्यर्थियों की भीड़ को देखते हुए सदर अस्पताल के डॉक्टरों के लिए यह परेशानी का कारण बन गया है. क्योंकि प्रतिदिन पचास से सौ अभ्यर्थी अटेस्टेड कराने के लिए सदर अस्पताल में डॉक्टर के पास पहुंचते हैं. जिस वजह से डॉक्टरों को मरीज के लिए कम वक्त मिल पा रहा है. मरीजों के हित में देखते हुए डॉक्टरों ने सदर अस्पताल के बाहर नोटिस चिपका दिया है कि यहां पर किसी भी तरह का डाक्यूमेंट्स या फॉर्म अटेस्टेड नहीं होता है.
इसको लेकर सदर अस्पताल के चिकित्सा उपाधीक्षक डॉ खेतान बताते हैं कि अभ्यर्थियों की भीड़ को देखते हुए इस तरह के नोटिस चिपकाए गए हैं. हालांकि उनकी तरफ से कुछ अभ्यर्थियों के डाक्यूमेंट्स को अटेस्टेड कर दिया जाता है. लेकिन प्रत्येक अभ्यर्थी के डाक्यूमेंट्स को अटेस्टेड करना संभव नहीं हो सकता क्योंकि ऐसा करने से मरीजों के इलाज में दिक्कत होती है.
वहीं सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार बताते हैं कि अभ्यर्थियों के लिए डॉक्टर तक पहुंचना आसान होता है. क्योंकि डॉक्टरों के पास पुलिसकर्मी या फिर सिपाही जैसे बॉडीगार्ड नहीं होते हैं. इसीलिए फॉर्म अटेस्टेड करने के लिए आसानी से सदर अस्पताल या किसी भी स्वास्थ्य संस्थान के चिकित्सक के पास आसानी से अभियार्थी पहुंच जाते हैं. जबकि किसी भी परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों के फॉर्म को अटेस्टेड या सत्यापन करने का अधिकार जिला के कई पदाधिकारियों की होती है जैसे बीडीओ अंचलाधिकारी या फिर अन्य विभाग के पदाधिकारी. लेकिन कोई भी अभियार्थी ऐसे पदाधिकारियों के पास नहीं जाना चाहता क्योंकि इनके पास सुरक्षाकर्मी होते हैं और इन तक पहुंचना अभ्यर्थियों के लिए काफी मुश्किल होता है.
उन्होंने कहा कि बिना सुरक्षा घेरे के कारण सभी अभ्यर्थी आसानी से डॉक्टर के पास पहुंच जाते हैं. जिस वजह से इन दिनों डॉक्टरों को मरीज से ज्यादा समय फॉर्म अटेस्टेड या सत्यापित करने में देना पड़ता है. इसीलिए मरीजों के हित में देखते हुए इस तरह के नोटिस चिपकाए गए हैं. सिविल सर्जन ने बताया कि अभ्यर्थियों की परेशानी को समझते हुए डॉक्टर्स अपने स्तर से अटेस्टेड कर रहे हैं लेकिन कई बार मरीजों की प्राथमिकता को देखते हुए अटेस्टेड करना मुश्किल हो जाता है. इसीलिए मजबूरन में अस्पताल के बाहर इस तरह का नोटिस चिपकाना पड़ा है.
रांची सदर अस्पताल में फॉर्म अटेस्टेड ना होने से अभ्यर्थी परेशान हैं. यहां पहुंचे अभ्यर्थियों ने कहा कि अगर इसी तरह की परेशानी बनी रहेगी तो आखिर वह अपनी नौकरी के लिए फॉर्म कहां अटेस्टेड कराएंगे. सदर अस्पताल में अपने परिजन का फॉर्म अटेस्टेड कराने पहुंचे सनी रंजन और मोनू सिंह बताते हैं कि पिछले 3 दिन से वो सदर अस्पताल अटेस्टेड कराने पहुंच रहे हैं. लेकिन कभी उन्हें रिम्स जाने की सलाह दी जाती है तो कभी बीडीओ ऑफिस या सीओ ऑफिस भेजने की बात कही जाती है.
इसको लेकर सामाजिक कार्यकर्ता भुनेश्वर केवट बताते हैं कि जिस तरह की तस्वीर राजधानी रांची सहित राज्य के विभिन्न जिलों में देखने को मिल रही है, यह निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण है. सिविल कोर्ट में चपरासी की नौकरी के लिए करीब 500 से 600 वैकेंसी निकाली गई है. जिसके लिए अभ्यर्थी को अपना फॉर्म अटेस्टेड कराना अनिवार्य है, ऐसे में उन्हें किसी सरकारी अफसर की आवश्यकता पड़ती है.
अब ऐसी परिस्थिति में सरकारी अफसर अपने ऑफिस के बाहर इस तरह का नोटिस लगाते हैं या फिर अभ्यर्थियों की फॉर्म को अटेस्टेड करने से परहेज करते हैं तो यह कहीं ना कहीं अभ्यर्थियों को परेशान करने वाली बात होगी. उन्होंने इस समस्या को दूर करने के लिए सरकारी अफसरों से अपील किया कि अभ्यर्थियों के फार्म का सत्यापन करने की प्रक्रिया में आ रही जटिलता को कम करें. जिस तरह से अभ्यर्थियों की भीड़ देखने को मिल रही है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भले ही सरकार युवाओं को रोजगार देने की दावा कर रही हो लेकिन तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही है.