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भूख से मौत मामले पर बीजेपी का हेमंत सरकार पर निशाना, घांसी परिवारों को सरकारी सहायता देने की मांग की

भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष सह चंदनकियारी विधायक अमर बाउरी ने भूख से हो रहे मौत मामले पर हेमंत सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि 6 मार्च को बोकारो जिला के कसमार में भूखल घांसी की मौत भूख के कारण हो गई, इस मामले को सरकार के संज्ञान में भी दिया गया, लेकिन सरकार ने अब तक आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.

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Published : Sep 20, 2020, 4:44 PM IST

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बीजेपी का हेमंत सरकार पर निशाना

रांची: भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष सह चंदनकियारी विधायक अमर बाउरी ने रविवार को राज्य में हो रहे भूख से मौत और दलितों के ऊपर हो रहे अत्याचार मामले को लेकर बीजेपी स्टेट हेड क्वार्टर में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया, जिसमें उन्होंने हेमंत सरकार पर जमकर निशाना साधा, साथ ही कहा है कि राज्य में सत्ताधारी दलों के लिए कोविड-19 गाइडलाइन अलग है, जबकि विपक्ष के लिए अलग है. हेमंत सरकार के मंत्री बिना अनुमति के भी घरना प्रदर्शन कर कानून तोड़ने का काम कर रहे हैं, ऐसे में आम लोग कैसे कानून का पालन करेंगे.

जानकारी देते अमर बाउरी
अमर बाउरी ने कहा कि राज्य में कई ऐसे मुद्दे हैं जो मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने के बाद भी उन पर कार्यवाही नहीं हो रही है, 6 मार्च को बोकारो जिला के कसमार में भूखल घांसी की मौत भूख के कारण हो जाती है, इसका प्रमाण मीडिया में भी आता है, मामले को लेकर इस वक्त चल रहे विधानसभा सत्र में भी मुख्यमंत्री का ध्यान इस ओर आकृष्ट करवाया गया था, बावजूद इसके अधिकारियों का दबाव लगातार बनाया जाता रहा था और उन्हें कहा जाता रहा है कि उसकी मौत भूख से नहीं बीमारी से हुई है. उन्होंने कहा कि इसके ठीक 2 महीने बाद भूखल घांसी के बेटे की मौत बीमारी के दौरान हो जाती है, फिर अगस्त महीने में उसकी बेटी की भी मौत हो जाती है, तीन मौतों के बाद भूखल घांसी के परिवार को 3 सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है, अभी स्थिति यह है कि बाकी बचे परिवार को डर है कि अगर उनके साथ किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना होती है, तो सरकार की तरफ से उन्हें कोई मदद नहीं मिलेगी. उन्होंने बताया कि वर्तमान में विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है, सरकार को इस बात का डर है कि कहीं भूखल घांसी का मामला विधानसभा में फिर से ना आए, इसलिए भूखल घांसी के परिवार को बोकारो परिसदन में अतिथि के तौर पर रखा गया है, अब यह तो सरकार ही जानें कि उन्हें बतौर अतिथि रखा गया है या फिर उन्हें हाईजैक करके सरकारी संरक्षण में रखा गया है.इसे भी पढे़ं:- रांची में सारजोमडीह पंजाबी ढाबा के पीछे होटल कर्मचारी का शव बरामद, तफ्तीश में जुटी पुलिस


बीजेपी विधायक ने कहा कि प्रदेश में यह भूख से मौत का इकलौता मामला नहीं है, इसके अलावा रामगढ़, गढ़वा, देवघर, लातेहार में भी भूख से मौत का मामला सामने आया है, सरकार को इन सभी मुद्दों पर अपना पक्ष रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब इन मुद्दों को लेकर 19 सितंबर को बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा ने राजभवन के सामने एक दिवसीय धरना करने की अनुमति जिला प्रशासन से मांगी तो जिला प्रशासन ने साफ कर दिया कि अभी धारा 144 लागू है, ऐसे में धरना की अनुमति नहीं मिली, जबकि कांग्रेस के मंत्री और विधायक संविधान बचाओ और जेईई और नीट की परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर राजभवन के सामने धरना पर बैठे थे, इसकी अनुमति मामले पर उपायुक्त की तरफ से गोल मटोल जवाब दिया गया.

बीजेपी विधायक की मांग
अमर बाउरी ने यूपी के औरैया में हुए कोरोना काल के दौरान सड़क हादसे में 9 मजदूरों की मौत का मामला भी रखते हुए कहा कि राज्य सरकार के ओर से घोषणा किए जाने के बाद भी 5 महीने तक मुआवजे की राशि पीड़ित परिवारों को नहीं मिली. उन्होंने कहा कि सरकार अपनी नाकामी छुपाने में लगी हुई है, साथ ही उन्होंने मांग की है कि भूखल घांसी की मौत की न्यायिक जांच हो, दोषी अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई हो, मृतक के परिजनों को 25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए, साथ ही भूखल घांसी के बेटे को सरकारी नौकरी दी जाए और उस क्षेत्र के अन्य घांसी परिवारों के लिए सरकार आवास और रोजगार की उचित व्यवस्था करे.

रांची: भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष सह चंदनकियारी विधायक अमर बाउरी ने रविवार को राज्य में हो रहे भूख से मौत और दलितों के ऊपर हो रहे अत्याचार मामले को लेकर बीजेपी स्टेट हेड क्वार्टर में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया, जिसमें उन्होंने हेमंत सरकार पर जमकर निशाना साधा, साथ ही कहा है कि राज्य में सत्ताधारी दलों के लिए कोविड-19 गाइडलाइन अलग है, जबकि विपक्ष के लिए अलग है. हेमंत सरकार के मंत्री बिना अनुमति के भी घरना प्रदर्शन कर कानून तोड़ने का काम कर रहे हैं, ऐसे में आम लोग कैसे कानून का पालन करेंगे.

जानकारी देते अमर बाउरी
अमर बाउरी ने कहा कि राज्य में कई ऐसे मुद्दे हैं जो मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने के बाद भी उन पर कार्यवाही नहीं हो रही है, 6 मार्च को बोकारो जिला के कसमार में भूखल घांसी की मौत भूख के कारण हो जाती है, इसका प्रमाण मीडिया में भी आता है, मामले को लेकर इस वक्त चल रहे विधानसभा सत्र में भी मुख्यमंत्री का ध्यान इस ओर आकृष्ट करवाया गया था, बावजूद इसके अधिकारियों का दबाव लगातार बनाया जाता रहा था और उन्हें कहा जाता रहा है कि उसकी मौत भूख से नहीं बीमारी से हुई है. उन्होंने कहा कि इसके ठीक 2 महीने बाद भूखल घांसी के बेटे की मौत बीमारी के दौरान हो जाती है, फिर अगस्त महीने में उसकी बेटी की भी मौत हो जाती है, तीन मौतों के बाद भूखल घांसी के परिवार को 3 सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है, अभी स्थिति यह है कि बाकी बचे परिवार को डर है कि अगर उनके साथ किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना होती है, तो सरकार की तरफ से उन्हें कोई मदद नहीं मिलेगी. उन्होंने बताया कि वर्तमान में विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है, सरकार को इस बात का डर है कि कहीं भूखल घांसी का मामला विधानसभा में फिर से ना आए, इसलिए भूखल घांसी के परिवार को बोकारो परिसदन में अतिथि के तौर पर रखा गया है, अब यह तो सरकार ही जानें कि उन्हें बतौर अतिथि रखा गया है या फिर उन्हें हाईजैक करके सरकारी संरक्षण में रखा गया है.इसे भी पढे़ं:- रांची में सारजोमडीह पंजाबी ढाबा के पीछे होटल कर्मचारी का शव बरामद, तफ्तीश में जुटी पुलिस


बीजेपी विधायक ने कहा कि प्रदेश में यह भूख से मौत का इकलौता मामला नहीं है, इसके अलावा रामगढ़, गढ़वा, देवघर, लातेहार में भी भूख से मौत का मामला सामने आया है, सरकार को इन सभी मुद्दों पर अपना पक्ष रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब इन मुद्दों को लेकर 19 सितंबर को बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा ने राजभवन के सामने एक दिवसीय धरना करने की अनुमति जिला प्रशासन से मांगी तो जिला प्रशासन ने साफ कर दिया कि अभी धारा 144 लागू है, ऐसे में धरना की अनुमति नहीं मिली, जबकि कांग्रेस के मंत्री और विधायक संविधान बचाओ और जेईई और नीट की परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर राजभवन के सामने धरना पर बैठे थे, इसकी अनुमति मामले पर उपायुक्त की तरफ से गोल मटोल जवाब दिया गया.

बीजेपी विधायक की मांग
अमर बाउरी ने यूपी के औरैया में हुए कोरोना काल के दौरान सड़क हादसे में 9 मजदूरों की मौत का मामला भी रखते हुए कहा कि राज्य सरकार के ओर से घोषणा किए जाने के बाद भी 5 महीने तक मुआवजे की राशि पीड़ित परिवारों को नहीं मिली. उन्होंने कहा कि सरकार अपनी नाकामी छुपाने में लगी हुई है, साथ ही उन्होंने मांग की है कि भूखल घांसी की मौत की न्यायिक जांच हो, दोषी अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई हो, मृतक के परिजनों को 25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए, साथ ही भूखल घांसी के बेटे को सरकारी नौकरी दी जाए और उस क्षेत्र के अन्य घांसी परिवारों के लिए सरकार आवास और रोजगार की उचित व्यवस्था करे.

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