रांची: झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सत्ता संभाले साढ़े तीन साल पूरे हो गए हैं, लेकिन इस साढ़े तीन वर्षों में मुख्यमंत्री अपने मंत्रिमंडल को पूरा भर नहीं पाए हैं. संवैधानिक प्रावधान के अनुसार 81 विधानसभा सीट वाले झारखंड में मुख्यमंत्री लगाकर कुल 12 मंत्री बनाए जा सकते हैं, लेकिन 2019 के दिसंबर में हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद से मंत्री का एक पद लगातार खाली है. इससे पहले रघुवर दास ने भी मंत्रिमंडल का एक सीट पांच साल तक खाली ही रखा था. यह और बात है कि तब आज के सत्ताधारी दल इसे असंवैधानिक बताते हुए भाजपा सरकार पर हमला बोलते थे और आज इसे मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार बताते हैं.
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झारखंड भाजपा के प्रदेश महामंत्री और राज्यसभा सांसद आदित्य साहू कहते हैं कि मंत्रिमंडल में एक बर्थ खाली रखकर हेमंत सोरेन भले ही रघुवर दास की सरकार का अनुसरण करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वह रघुवर सरकार में हुए काम की बराबरी नहीं कर सकते. आदित्य साहू ने कहा कि ये वंशवादी दलों का गठबंधन है और किसी अपने को कुर्सी दिलाने की कोशिश में सफल नहीं होने की वजह से मंत्री पद को ही खाली रखा हुआ है.
यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार-विनोद पांडेय: झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडेय ने मंत्रिमंडल में एक पद खाली रहने को लेकर कहा कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है कि वह कब और किसे अपना मंत्रिमंडल सहयोगी बनाएं. उन्होंने कहा कि यह सही है कि रघुवर दास के शासनकाल में झामुमो अक्सर 12वां मंत्री नियुक्त करने की मांग करता था, लेकिन यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. उन्होंने कहा कि पार्टी का मानना है कि मुख्यमंत्री को इस पर निर्णय लेना चाहिए और वह निर्णय लेंगे.
12वां मंत्री नहीं होना कोई मुद्दा नहीं- राकेश सिन्हा: कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि आज मुद्दा हेमंत सोरेन सरकार में 12वां मंत्री नहीं, बल्कि बेरोजगारी, महंगाई, देश की बदतर आर्थिक स्थिति, जनजातीय समाज-दलितों पर बढ़ता अत्याचार है.
यहां फंसा है पेंच: दरअसल, झारखंड में सत्ताधारी महागठबंधन में 12वां मंत्री कांग्रेस से होगा या झामुमो से, इस पर पेंच फंसा हुआ है. सत्ताधारी दलों के नेता भले ही इस पर कैमरे के सामने कुछ न बोलें लेकिन विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो यही वजह है कि हेमंत मंत्रिमंडल में 12वां पद खाली पड़ा है. विधायकों के अनुपात में मंत्री पद का फार्मूला (04 विधायक पर 01 मंत्री) के हिसाब से कांग्रेस और झामुमो दोनों का कोटा पूरा होने के बाद दोनों ही दलों से कुछ विधायक शेष रह जाते हैं. (झामुमो के 30 विधायक+कांग्रेस के 17 और राजद के 01)
संविधान के अनुसार झारखंड में कुल विधायकों के 15% बन सकते हैं मंत्री: संविधान संशोधन के बाद कुल विधायकों का 15 फीसदी ही मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं. ऐसे में 81सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में मुख्यमंत्री लगाकर अधिकतम 12 मंत्री ही हो सकते हैं.