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बीजेपी का 'ऑपरेशन संथाल' शुरू,  झामुमो के गढ़ को भेदने में जुटे रघुवर

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Published : Jul 10, 2019, 4:09 PM IST

राजनीतिक पार्टियों ने आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं. लोकसभा चुनाव में दुमका सीट से मिली जीत के बाद बीजेपी ऑपरेशन संथाल परगना पर काम कर रहा है.

एक कार्यक्रम में शिरकत करते मुख्यमंत्री

रांचीः आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सत्तारूढ़ बीजेपी ने 'ऑपरेशन संथाल परगना' पर काम करना शुरू कर दिया है. पार्टी सूत्रों की माने तो देवघर में हुई स्टेट केबिनेट की बैठक उसी स्ट्रेटजी का एक हिस्सा है. इसी के तहत स्टेट कैबिनेट में कुल 17 प्रस्तावों पर स्वीकृति हुई. जिसमें 5 संथाल परगना से जुड़े हुए हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

स्टेट केबिनेट की बैठक के अलावा मुख्यमंत्री ने इलाके में संगठन के कार्य में भी हिस्सा लिया और सदस्यता अभियान में भी शामिल हुए. दरअसल, लोकसभा चुनाव में दुमका सीट पर पार्टी की जीत के बाद अब विधानसभा चुनाव में उसी नतीजे की तैयारी को लेकर मुख्यमंत्री ने कमर कस ली है.

बीजेपी के 3 मंत्री, 2 सांसद और 8 विधायक

6 जिलों में फैले संथाल परगना इलाके से राज्य के 3 मंत्री आते हैं. वहीं, 18 विधानसभा सीटों में से 8 पर बीजेपी के विधायक हैं. इतना ही नहीं 3 लोकसभा सीटों में से दो बीजेपी के खाते में है. ऐसे में अब पार्टी का पूरा फोकस इस इलाके पर है. दरअसल संथाल परगना प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ माना जाता है.

क्या कहते हैं आंकड़े

आंकड़ों की माने तो 2014 में संथाल परगना की 18 में से 8 सीटों पर बीजेपी का कब्जा हुआ. जबकि 6 सीटों पर बीजेपी दूसरे नंबर पर रही. 6 सीटें जेएमएम के खाते में आई. जिसमें 4 को पार्टी ने 'रिटेन' किया, जबकि 2 पर प्रतिद्वंदी दलों के उम्मीदवारों को हराया. वहीं, जेविएम की एक सीट रही और कांग्रेस की 3 विधानसभा सीटों पर जीत हुई.

2005 और 2009 के असेंबली इलेक्शन में ऐसी थी तस्वीर

वहीं, 2009 में हुए विधानसभा चुनाव की बात करे तो बीजेपी को महज दो सीटे मिली थी. झारखंड मुक्ति मोर्चा 10 सीटों पर विजय हुई थी. जबकि, राजद और झाविमो 2-2 सीट जीत पाए. एक सीट कांग्रेस के खाते में गई जबकि एक निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की. 2005 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 7 विधायक चुनकर झारखंड विधानसभा पहुंचे थे. जेएमएम के 6 विधायक, कांग्रेस के 2 विधायक ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी. वहीं, राजद के 1 और 2 निर्दलीय विधायक जीतकर झारखंड विधानसभा पहुंच पाए.

ये भी पढ़ें- 'झारखंड में सौ दिन में खुलेंगे 120 नए डाक घर, सरकार बढ़ा रही डाक विभाग का नेटवर्क'

क्या दावा करते हैं राजनीतिक पार्टियों के नेता
बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष आदित्य साहू के अनुसार संथाल परगना इलाके में पहले से पार्टी मजबूत है. मौजूदा विकास के कार्यक्रम को लेकर वहां के लोगों ने साफ इशारा कर दिया है. साहू ने कहा कि दुमका लोकसभा सीट पर बीजेपी की जीत इस बात को स्पष्ट करती है. वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस पलटवार करते हुए कहती है कि फैसला जनता को करना है.
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक दूबे कहते हैं कि मुख्यमंत्री जिस भाषा का प्रयोग करते हैं, उससे लोगों में नाराजगी है. दूबे ने कहा कि इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी संथाल परगना से पूरी तरह साफ हो जाएगी.

रांचीः आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सत्तारूढ़ बीजेपी ने 'ऑपरेशन संथाल परगना' पर काम करना शुरू कर दिया है. पार्टी सूत्रों की माने तो देवघर में हुई स्टेट केबिनेट की बैठक उसी स्ट्रेटजी का एक हिस्सा है. इसी के तहत स्टेट कैबिनेट में कुल 17 प्रस्तावों पर स्वीकृति हुई. जिसमें 5 संथाल परगना से जुड़े हुए हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

स्टेट केबिनेट की बैठक के अलावा मुख्यमंत्री ने इलाके में संगठन के कार्य में भी हिस्सा लिया और सदस्यता अभियान में भी शामिल हुए. दरअसल, लोकसभा चुनाव में दुमका सीट पर पार्टी की जीत के बाद अब विधानसभा चुनाव में उसी नतीजे की तैयारी को लेकर मुख्यमंत्री ने कमर कस ली है.

बीजेपी के 3 मंत्री, 2 सांसद और 8 विधायक

6 जिलों में फैले संथाल परगना इलाके से राज्य के 3 मंत्री आते हैं. वहीं, 18 विधानसभा सीटों में से 8 पर बीजेपी के विधायक हैं. इतना ही नहीं 3 लोकसभा सीटों में से दो बीजेपी के खाते में है. ऐसे में अब पार्टी का पूरा फोकस इस इलाके पर है. दरअसल संथाल परगना प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ माना जाता है.

क्या कहते हैं आंकड़े

आंकड़ों की माने तो 2014 में संथाल परगना की 18 में से 8 सीटों पर बीजेपी का कब्जा हुआ. जबकि 6 सीटों पर बीजेपी दूसरे नंबर पर रही. 6 सीटें जेएमएम के खाते में आई. जिसमें 4 को पार्टी ने 'रिटेन' किया, जबकि 2 पर प्रतिद्वंदी दलों के उम्मीदवारों को हराया. वहीं, जेविएम की एक सीट रही और कांग्रेस की 3 विधानसभा सीटों पर जीत हुई.

2005 और 2009 के असेंबली इलेक्शन में ऐसी थी तस्वीर

वहीं, 2009 में हुए विधानसभा चुनाव की बात करे तो बीजेपी को महज दो सीटे मिली थी. झारखंड मुक्ति मोर्चा 10 सीटों पर विजय हुई थी. जबकि, राजद और झाविमो 2-2 सीट जीत पाए. एक सीट कांग्रेस के खाते में गई जबकि एक निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की. 2005 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 7 विधायक चुनकर झारखंड विधानसभा पहुंचे थे. जेएमएम के 6 विधायक, कांग्रेस के 2 विधायक ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी. वहीं, राजद के 1 और 2 निर्दलीय विधायक जीतकर झारखंड विधानसभा पहुंच पाए.

ये भी पढ़ें- 'झारखंड में सौ दिन में खुलेंगे 120 नए डाक घर, सरकार बढ़ा रही डाक विभाग का नेटवर्क'

क्या दावा करते हैं राजनीतिक पार्टियों के नेता
बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष आदित्य साहू के अनुसार संथाल परगना इलाके में पहले से पार्टी मजबूत है. मौजूदा विकास के कार्यक्रम को लेकर वहां के लोगों ने साफ इशारा कर दिया है. साहू ने कहा कि दुमका लोकसभा सीट पर बीजेपी की जीत इस बात को स्पष्ट करती है. वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस पलटवार करते हुए कहती है कि फैसला जनता को करना है.
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक दूबे कहते हैं कि मुख्यमंत्री जिस भाषा का प्रयोग करते हैं, उससे लोगों में नाराजगी है. दूबे ने कहा कि इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी संथाल परगना से पूरी तरह साफ हो जाएगी.

Intro:बाइट1 -आदित्य साहू, प्रदेश उपाध्यक्ष बीजेपी
बाइट2-आलोक दूबे, प्रदेश प्रवक्ता जेपीसीसी


रांची। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सत्तारूढ़ बीजेपी ने 'ऑपरेशन संथाल परगना' पर काम करना शुरू कर दिया है। पार्टी सूत्रों की माने देवघर जिले में हुई स्टेट केबिनेट की बैठक उसी स्ट्रेटजी का एक हिस्सा है। इसका अंदाजा ऐसे भी लगाया जा सकता है कि मंगलवार को हुई स्ट्रेट कैबिनेट में कुल 17 प्रस्तावों पर स्वीकृति लगी, जिसमें से पांच संथाल परगना से जुड़े हुए हैं।
स्टेट केबिनेट की बैठक के अलावा मुख्यमंत्री ने उस इलाके में संगठन के कार्य में भी हिस्सा लिया और सदस्यता अभियान में भी शामिल हुए। दरअसल लोकसभा चुनाव में दुमका लोकसभा सीट पर हुई पार्टी की जीत के बाद अब विधानसभा चुनाव में उसी परफॉर्मेंस के दौरान की तैयारी को लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कमर कस ली है।



Body:3 मंत्री दो सांसद और 8 विधायक हैं बीजेपी के
6 जिलों में फैले संथाल परगना इलाके से राज्य के तीन मंत्री आते हैं। वही 18 विधानसभा सीटों में से 8 पर बीजेपी के विधायक हैं। इतना ही नहीं 3 लोकसभा सीटों में से दो बीजेपी के खाते में हैं। ऐसे में अब पार्टी का पूरा फोकस उस इलाके पर है। दरअसल संथाल परगना प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ माना जाता है।

क्या कहते हैं आंकड़े
आंकड़ों पर यकीन करें तो 2014 में संथाल परगना की 18 में से 8 सीटों पर बीजेपी का कब्जा हुआ। जबकि 6 सीटों पर बीजेपी दूसरे नंबर पर रही। वहीं छह सीटें जेएमएम के खाते में आई। जिसमें चार को पार्टी ने 'रिटेन' किया जबकि 2 पर कर प्रतिद्वंदी दलों के उम्मीदवारों को हराया। वहीं झारखंड विकास मोर्चा की एक सीट रही और कांग्रेस की 3 विधानसभा सीटों पर जीत हुई।


Conclusion:
2005 और 2009 के असेंबली इलेक्शन में ऐसे थी तस्वीर
वहीं 2009 में हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी को महज दो सीटें आई। जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा 10 सीटों पर विजय हुआ। वहीं राजद और झाविमो क्रमशः 2-2 सीट जीत पाए वहीं 1 सीट कांग्रेस के खाते में गई जबकि एक निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की। जबकि 2005 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सात विधायक चुनकर झारखंड विधानसभा पहुंचे थे। जबकि जेएमएम के छह विधायक, वहीं कांग्रेस 2 विधायकों के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाया था। जबकि राजद के एक और दो निर्दलीय विधायक जीतकर झारखण्ड विधानसभा पहुँच पाए।

क्या दावा करते हैं राजनीतिक दलों के नेता
बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष आदित्य साहू के अनुसार संथाल परगना इलाके में पहले से पार्टी मजबूत है। साथ ही मौजूदा विकास के कार्यक्रम को लेकर वहां के लोगों ने साफ इशारा कर दिया है। साहू ने कहा कि दुमका लोकसभा सीट पर बीजेपी की जीत इस बात का स्पष्ट प्रमाण है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पलटवार करते हुए कहती है कि फैसला जनता को करना है। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक दूबे कहते हैं कि मुख्यमंत्री जिस भाषा का प्रयोग करते हैं उससे लोगों में नाराजगी है। दूबे ने कहा कि इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी संथाल परगना से पूरी तरह साफ हो जाएगी।
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