रांची: प्रदेश से राज्यसभा के सांसद महेश पोद्दार ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कोटा में फंसे बच्चों को वापस लाने के लिए प्रबंध करने की मांग की है. उन्होंने इसे लेकर मुख्यमंत्री को एक पत्र भी भेजा है. उन्होंने कहा कि कोटा में फंसे छात्रों की तुलना अन्य राज्य में फंसे झारखंड के मजदूरों से करना सही नहीं होगा. उन्होंने कहा कि मजदूर और छात्रों के लिए एक ही पैमाना नहीं हो सकता.
बीजेपी सांसद महेश पोद्दार ने कहा कि मजदूर उम्रदराज वयस्क हैं, साथ ही आकस्मिक समस्याओं को डील करने में सक्षम हैं. उन्हें यहां लाना और उनके लिए रोजगार की व्यवस्था करना अलग समस्या है. जबकि छात्र कच्ची उम्र के हैं और वर्तमान आपदा की वजह से काफी घबराए हुए हैं. उन्होंने कहा कुछ तो डिप्रेशन में भी हैं.
जब राज्य के मंत्री ने उठाया लाभ तो छात्रों के लिए भी ले लाभ
बीजेपी सांसद ने कहा कि इस प्रावधान का हवाला देकर छात्रों को वापस लाने में लाचारी जताई जा रही है, उसमें केवल अंतर प्रांतीय परिवहन का ही निषेध नहीं किया गया है, बल्कि अंतर जिला परिवहन का भी निषेध किया गया है. बीजेपी सांसद ने कहा कि राज्य सरकार के एक मंत्री के निर्देश पर बड़ी संख्या में मजदूर दर्जनों बसों में भरकर रांची से पाकुड़ और दुमका जैसे जगह पर भेजे गए. ऐसे में यह स्पष्ट है कि कुछ मामलों में ढील की व्यवस्था इस प्रावधान में होगी, जिसका लाभ मंत्री ने लिया. इसका लाभ राज्य के नौनिहालों को भी मिले तो राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
प्रावधान का उद्देश्य संक्रमण का फैलाव रोकना, पहले ही हो चुका है तार-तार
बीजेपी सांसद ने कहा कि भारत सरकार के जिस प्रावधान का हवाला दिया जा रहा है, उसका मूल उद्देश्य संक्रमण का प्रसार रोकना है, हैरत की बात यह है कि रांची जिले का जो मोहल्ला हॉटस्पॉट बना हुआ है, वहां से निकलकर लोग लोहरदगा, गढ़वा, चितरपुर और न जाने कहां कहां पहुंच गए, इससे यह स्पष्ट होता है कि मासूम बच्चों को वापस लाने में जिस कानून को राज्य सरकार बाधक बता रही है, उसकी मूल भावना को लचर प्रशासनिक व्यवस्था ने पहले ही तार-तार कर दिया है.
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छात्रों की वापसी के मार्ग में रोड़ा अटका रही सरकार
बीजेपी सांसद ने कहा कि लगभग 5000 छात्र कोटा में फंसे हैं. लॉज और छात्रावास के संचालक संक्रमण के भय से बच्चों को रखना नहीं चाह रहे हैं, ऐसे में उन बच्चों को बाजार से भी सुविधाएं हासिल करने में दिक्कत हो रही हैं. इसी बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बच्चों की झारखंड वापसी में सहयोग के सहमति दी है, लेकिन भारत सरकार के नियम का हवाला देकर झारखंड के बच्चों को कोटा से लाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया गया है. पोद्दार ने कहा कि सरकार के इस कदम से यही संदेश मिलता है कि राज्य सरकार कोटा में फंसे झारखंड के बच्चों की वापसी के मार्ग में बाधा खड़ा कर रही है.
जिन राज्यों ने की पहल उनसे राय ले झारखंड सरकार
महेश पोद्दार ने कहा कि कोटा में कांग्रेस के गठबंधन की सरकार छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के बच्चे भी हैं, जो राज्य सरकार की अनुमति और समर्थन से अपने घरों को लौट रहे हैं, यहां तक कि गैर बीडेपी शासित ओडिशा के बच्चे भी राजस्थान सरकार के सहयोग से वापस लौट रहे हैं. ऐसी सभी सरकारों ने भी संबंधित नियमों का ध्यान अवश्य रखा होगा और अपनी जरूरत के हिसाब से रास्ता निकाला होगा, इस माहौल में बीजेपी सांसद ने सरकार से आग्रह किया है कि झारखंड के बच्चों के व्यापक हित में इन राज्यों से परामर्श लेकर कोई मार्ग निकालें, साथ ही उन्होंने कहा कि इस काम में अगर राज्य सरकार उनसे किसी तरह के सहयोग की अपेक्षा रखती हो तो उसके लिए वह तैयार हैं.