ETV Bharat / state

Genie of Domicile: झारखंड में हॉट केक बना स्थानीयता का मुद्दा, हेमंत के मास्टर स्ट्रोक से मुश्किल में भाजपा

झारखंड में हॉट केक बना 1932 खतियान आधारित स्थानीयता का मुद्दा 2024 के चुनाव तक ट्रेडिंग में रहेगा. जेएमएम ने यह स्पष्ट कर दिया है. हेमंत सरकार के इस मास्टर स्ट्रोक से भाजपा मुश्किल में फंसती नजर आ रही है.

Genie of Domicile
अनिमेष कुमार, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा
author img

By

Published : Feb 4, 2023, 3:49 PM IST

अनिमेष कुमार, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

रांची: झारखंड की राजनीति के लिए 1932 खतियान आधारित स्थानीयता का मुद्दा हॉट केक बना हुआ है. दुमका में पिछले दिनों झामुमो के स्थापना दिवस पर पारित राजनीतिक प्रस्ताव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह मुद्दा 2024 के चुनाव में भी जीवित रहेगा. जेएमएम की इस चाल ने सबसे ज्यादा परेशान किसी को किया है तो वह है विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी जो इस मुद्दे पर खुलकर जवाब देने से बचती रही है.

ये भी पढ़ें: 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति बिल को वापस लौटाने पर गरमाई राजनीति, आरोप-प्रत्यारोप शुरू

भाजपा की इस मजबूरी के पीछे कई वजह है. पार्टी के बड़े रणनीतिकार मानते हैं कि आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए इस मुद्दे पर पार्टी को मध्यमवर्गीय रास्ता अपनाना चाहिए जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी नहीं टूटे. भाजपा को डर है कि इस मुद्दे पर थोड़ी सी चूक से पार्टी को पारंपरिक वोट बैंक जो शहरी क्षेत्र में है, उससे हाथ धोना पड़ेगा. पिछले विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोट कम मिलने की वजह से पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा था.

इस मुद्दे पर भाजपा नेताओं की चुप्पी पर लग रहे आरोप को खारिज करते हुए भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अनिमेष कुमार कहते हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा को दुर्भाग्य से सत्ता चलाने का मौका मिल गया है. उनके पास झारखंड में राजनीति करने के लिए कोई विशेष नहीं बचा है. विगत वर्षों में हेमंत सरकार ने राज्य को सामाजिक आर्थिक रूप से कमजोर किया है. इसी वजह से बार-बार कहा जा रहा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद की यह सरकार डपोरशंखी सरकार है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की दिशा और दृष्टि बिल्कुल स्पष्ट है. भाजपा ने इस राज्य को बनाया है और माटी की बात करती है. झामुमो 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर एक बार फिर जनता को बरगलाने की तैयारी में जुटा है.

राजभवन से विधेयक लौटाए जाने के बाद सुर्खियों में है डोमिसाइल नीति: हेमंत सरकार ने मास्टर स्ट्रोक चलाते हुए 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति का निर्णय लिया है. इसके तहत उन लोगों को झारखंड का स्थायी निवासी माना जाएगा, जिनके पूर्वजों के नाम साल 1932 या उससे पहले का खतियान है. मतलब अंग्रेजी हुकूमत में 1932 तक कराए गए जमीनों के सर्वे सेटलमेंट के दौरान इस इलाके में रह रहे परिवार ही झारखंड के डोमिसाइल माने जाएंगे. बशर्ते, केंद्र सरकार इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने का राज्य का प्रस्ताव स्वीकार कर ले. हेमंत सरकार के इस विधेयक को लौटाते हुए राज्यपाल ने कहा है कि राज्य सरकार इस विधेयक की वैधानिकता की गंभीरतापूर्वक समीक्षा करे कि यह संविधान के प्रविधानों एवं सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुरूप हो. उनके अनुसार, राज्य विधानसभा को यह शक्ति ही प्राप्त नहीं है कि वे ऐसे मामलों में कोई विधेयक पारित कर सकती है, तो इस विधेयक की वैधानिकता पर गंभीर प्रश्न उठता है.

अनिमेष कुमार, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

रांची: झारखंड की राजनीति के लिए 1932 खतियान आधारित स्थानीयता का मुद्दा हॉट केक बना हुआ है. दुमका में पिछले दिनों झामुमो के स्थापना दिवस पर पारित राजनीतिक प्रस्ताव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह मुद्दा 2024 के चुनाव में भी जीवित रहेगा. जेएमएम की इस चाल ने सबसे ज्यादा परेशान किसी को किया है तो वह है विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी जो इस मुद्दे पर खुलकर जवाब देने से बचती रही है.

ये भी पढ़ें: 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति बिल को वापस लौटाने पर गरमाई राजनीति, आरोप-प्रत्यारोप शुरू

भाजपा की इस मजबूरी के पीछे कई वजह है. पार्टी के बड़े रणनीतिकार मानते हैं कि आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए इस मुद्दे पर पार्टी को मध्यमवर्गीय रास्ता अपनाना चाहिए जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी नहीं टूटे. भाजपा को डर है कि इस मुद्दे पर थोड़ी सी चूक से पार्टी को पारंपरिक वोट बैंक जो शहरी क्षेत्र में है, उससे हाथ धोना पड़ेगा. पिछले विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोट कम मिलने की वजह से पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा था.

इस मुद्दे पर भाजपा नेताओं की चुप्पी पर लग रहे आरोप को खारिज करते हुए भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अनिमेष कुमार कहते हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा को दुर्भाग्य से सत्ता चलाने का मौका मिल गया है. उनके पास झारखंड में राजनीति करने के लिए कोई विशेष नहीं बचा है. विगत वर्षों में हेमंत सरकार ने राज्य को सामाजिक आर्थिक रूप से कमजोर किया है. इसी वजह से बार-बार कहा जा रहा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद की यह सरकार डपोरशंखी सरकार है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की दिशा और दृष्टि बिल्कुल स्पष्ट है. भाजपा ने इस राज्य को बनाया है और माटी की बात करती है. झामुमो 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर एक बार फिर जनता को बरगलाने की तैयारी में जुटा है.

राजभवन से विधेयक लौटाए जाने के बाद सुर्खियों में है डोमिसाइल नीति: हेमंत सरकार ने मास्टर स्ट्रोक चलाते हुए 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति का निर्णय लिया है. इसके तहत उन लोगों को झारखंड का स्थायी निवासी माना जाएगा, जिनके पूर्वजों के नाम साल 1932 या उससे पहले का खतियान है. मतलब अंग्रेजी हुकूमत में 1932 तक कराए गए जमीनों के सर्वे सेटलमेंट के दौरान इस इलाके में रह रहे परिवार ही झारखंड के डोमिसाइल माने जाएंगे. बशर्ते, केंद्र सरकार इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने का राज्य का प्रस्ताव स्वीकार कर ले. हेमंत सरकार के इस विधेयक को लौटाते हुए राज्यपाल ने कहा है कि राज्य सरकार इस विधेयक की वैधानिकता की गंभीरतापूर्वक समीक्षा करे कि यह संविधान के प्रविधानों एवं सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुरूप हो. उनके अनुसार, राज्य विधानसभा को यह शक्ति ही प्राप्त नहीं है कि वे ऐसे मामलों में कोई विधेयक पारित कर सकती है, तो इस विधेयक की वैधानिकता पर गंभीर प्रश्न उठता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.