रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा गुरुवार को आदिवासी होने की वजह से केंद्र की भाजपा सरकार के द्वारा प्रताड़ित करने के लगाए गए आरोप के बाद राज्य में सियासत तेज हो गई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को आरोप लगाया कि आदिवासी होने के कारण केंद्र की भाजपा सरकार उन्हें प्रताड़ित कर रही है, जिसके बाद राज्य में राजनीति तेज हो गई है, बीजेपी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पलटवार किया है.
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भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद समीर उरांव ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर हमला बोलते हुए कहा है कि यदि वे इतने पाक साफ हैं तो ईडी के समक्ष क्यों नहीं उपस्थित होते हैं. ईडी के समन से बचने के लिए मुख्यमंत्री भागे फिर रहे हैं और अदालत में जानबूझकर डिफेक्ट पिटीशन फाइल किया जा रहा है. समीर उरांव ने सोरेन परिवार पर झारखंड अलग राज्य आंदोलन को बेचने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यह उनका पुराना इतिहास रहा है, इसलिए जब भी केंद्रीय एजेंसी कार्रवाई शुरू करती है तो मुख्यमंत्री द्वारा आदिवासी भावनाओं के नाम पर राज्य की जनता को गुमराह करने की कोशिश की जाती है.
फोल्डर फाइल और बॉस कौन है, मुख्यमंत्री दें जवाब-समीर: समीर उरांव ने मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे होने का आरोप लगाया, उन्होंने कहा कि उनके पास 108 संपत्तियां और कई बेनामी संपत्तियां भी हैं, जो राजधानी से लेकर राज्य के विभिन्न हिस्सों में अर्जित की गयी हैं. सरकार में शामिल अधिकारियों और बिचौलियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार चरम पर है. मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि व्हाट्सएप पर होने वाली बातचीत में फोल्डर फाइल और बॉस नाम के सूत्र कौन हैं और उनकी क्या भूमिका है.
उन्होंने कहा कि जिस राज्य में हेमंत सोरेन आदिवासी मुख्यमंत्री होने का दम भर रहे हैं, उसी राज्य में विकास मुंडा, रूपा तिर्की जैसे कई आदिवासी युवाओं की हत्या हो जाती है. इतना ही नहीं चाईबासा में सात आदिवासियों की जघन्य हत्या की गुत्थी 4 साल बाद भी आज तक नहीं सुलझा पाई है. मुख्यमंत्री को प्रदेश की जनता को गुमराह करने के बजाय विकास कार्यों पर ध्यान देना चाहिए न कि निजी हित में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना चाहिए.