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झारखंड में भोगता समुदाय को अनुसूचित जाति की जगह अनुसूचित जनजाति का मिलेगा दर्जा, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने पेश किया संशोधन विधेयक

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Published : Feb 8, 2022, 10:37 AM IST

Updated : Feb 8, 2022, 11:45 AM IST

झारखंड के भोगता समुदाय को अब अनुसूचित जाति के बजाय अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलेगा. सोमवार को इस बाबत जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने लोकसभा में संविधान (अनुसूचित जाति- जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक 2022 पेश किया है.

Bhogta community in Jharkhand
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा

रांचीः झारखंड के भोगता समुदाय को अब अनुसूचित जाति के बजाय अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलेगा. इसके अलावा गंझू, देशवारी, दौतलबंदी, पटबंदी, राउत, मझिया, खैरी को खरवार के पर्याय के रूप में एसटी की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया है. वहीं मुंडा के पर्याय के रूप में तमरिया/तमड़िया को भी इस सूची में शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया है. सोमवार को इस बाबत जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने लोकसभा में संविधान (अनुसूचित जाति- जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक 2022 पेश किया है.

ये भी पढ़ें-बीजेपी सांसद बोले- सत्ता के लिए दाउद इब्राहिम से भी हाथ मिला सकते हैं नीतीश

आपको बता दें कि साल 2014 में केंद्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष ने भोगता को एसटी में शामिल कराने की पहल की थी. तब उनके नेतृत्व में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के तत्कालीन सदस्य भैरूलाल मीणा ने राज्य के खरवार समुदाय बहुल गांवों का दौरा भी किया था. इससे पहले ट्राइबल रिसर्च के बाद साल 2002 में तमाड़िया/तमारिया जाति को मुंडा की श्रेणी में सूचीबद्ध करने की अनुशंसा की गई थी.

देखें पूरी खबर

2011 की जनगणना के मुताबिक झारखंड में भोगता समुदाय की आबादी 2 लाख 23 हजार से ज्यादा है. झारखंड में अनुसूचित जाति को 10% आरक्षण मिलता है जबकि अनुसूचित जनजाति को 26%. इस समुदाय के अनुसूचित जनजाति किस श्रेणी में शामिल होने से उन्हें आरक्षण का बड़ा लाभ मिलेगा. यह मसला झारखंड विधानसभा में भी कई बार उठ चुका है.

रांचीः झारखंड के भोगता समुदाय को अब अनुसूचित जाति के बजाय अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलेगा. इसके अलावा गंझू, देशवारी, दौतलबंदी, पटबंदी, राउत, मझिया, खैरी को खरवार के पर्याय के रूप में एसटी की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया है. वहीं मुंडा के पर्याय के रूप में तमरिया/तमड़िया को भी इस सूची में शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया है. सोमवार को इस बाबत जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने लोकसभा में संविधान (अनुसूचित जाति- जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक 2022 पेश किया है.

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आपको बता दें कि साल 2014 में केंद्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष ने भोगता को एसटी में शामिल कराने की पहल की थी. तब उनके नेतृत्व में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के तत्कालीन सदस्य भैरूलाल मीणा ने राज्य के खरवार समुदाय बहुल गांवों का दौरा भी किया था. इससे पहले ट्राइबल रिसर्च के बाद साल 2002 में तमाड़िया/तमारिया जाति को मुंडा की श्रेणी में सूचीबद्ध करने की अनुशंसा की गई थी.

देखें पूरी खबर

2011 की जनगणना के मुताबिक झारखंड में भोगता समुदाय की आबादी 2 लाख 23 हजार से ज्यादा है. झारखंड में अनुसूचित जाति को 10% आरक्षण मिलता है जबकि अनुसूचित जनजाति को 26%. इस समुदाय के अनुसूचित जनजाति किस श्रेणी में शामिल होने से उन्हें आरक्षण का बड़ा लाभ मिलेगा. यह मसला झारखंड विधानसभा में भी कई बार उठ चुका है.

Last Updated : Feb 8, 2022, 11:45 AM IST
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