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रिम्स परिसर में मधुमक्खियों का डेरा, खौफ के साये में जीते हैं मरीज

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Published : Oct 9, 2021, 2:40 PM IST

रिम्स परिसर के साथ-साथ स्वास्थ्य मुख्यालय में मधुमक्खियां डेरा डाले हुईं हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग बेसुध है. मधुमक्खियों के छत्ते से डॉक्टरों, कर्मचारियों के साथ साथ मरीजों के लिए हमेशा खतरा बना हुआ है.

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मधुमक्खियों के आतंक से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग बेसुध

रांची: जंगलों से घिरा झारखंड के लोग जंगली जानवरों से आए दिन परेशान होते रहते हैं. अब मधुमक्खियों के हमले भी होने लगे है. पिछले दिनों गिरिडीह जिले में मधुमक्खियों के हमले से कई लोगों की मौत हो गई. इसके बावजूद झारखंड के स्वास्थ्य विभाग गंभीर नहीं है. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स परिसर में ही मधुमक्खियों का छत्ता है, जिससे डॉक्टरों, कर्मचारियों के साथ साथ मरीजों के लिए हमेशा खतरा बना हुआ है. लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

यह भी पढ़ेंःमधुमक्खियों का आतंक: हमले में बुजुर्ग दंपती की गई जान, लगातार दूसरे दिन बोला हमला

रिम्स परिसर के साथ साथ स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय एनएचआरएम में स्वास्थ्य मंत्री से लेकर स्वास्थ्य विभाग अधिकारी हमेशा बैठक करते हैं, लेकिन मधुमक्खियों का छत्ता इन अधिकारियों को दिखाई नहीं देता है. आगर रिम्स परिसर में मधुमक्खी हमला कर दे, तो बड़ी संख्या में लोग परेशानी में फंस सकते हैं.

देखें वीडियो

स्वास्थ्य मुख्यालय में भी मधुमक्खियों का छत्ता

मधुमक्खियों के छत्ते को हटाने के संबंध में एनएचआरएम के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की, तो वह कुछ भी कहने से बचते नजर आए. अब सवाल यह है कि जब स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय और राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में ही अधिकारी अपनी सुरक्षा को लेकर सजग नहीं है तो दूसरे स्थानों पर क्या स्थिति होगी.

मधुमक्खियों के हमले से ज्यादा खतरा

मधुमक्खियों का शहद जितना मीठा होता है, उसका डंक उतना ही घातक होता है. किसी व्यक्ती को मधुमक्खी डंक मार दें तो डंक लगे शरीर के हिस्से में सूजन के साथ तेज दर्द शुरू हो जाता है. किसी-किसी व्यक्ति को मधुमक्खी के डंक की असर से कई दिन तक बुखार लगा रहता है. अगर मधुमक्खियों का झुंड किसी व्यक्ति पर हमला कर दे तो डंक से मौत भी हो जाती है.



एक-दो मधुमक्खियों के डंक से ज्यादा खतरा नहीं

डॉ. डीके सिन्हा कहते हैं कि मधुमक्खी के काटने के बाद उस हिस्से में तेज दर्द, सूजन, लालीपन और खुजली महसूस होने लगता है. उन्होंने कहा कि मधुमक्खी का काटना कभी-कभी खतरनाक हो जाता है. एक-दो मधुमक्खियों ने काटा से ज्यादा नुकसान नहीं होता है, लेकिन मधुमक्खियों का झुंड किसी व्यक्ति पर हमला कर दें तो खतरा बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि मधुमक्खियों के काटने से संबंधित मरीज रिम्स में आते रहते हैं. इससे निपटने के लिए मेडिसिन विभाग में सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त हैं. उन्होंने घरेलू इलाज का सलाह देते हुए कहा कि बेकिंग सोडा में पानी मिलाकर पेस्ट बना लें और फिर उसे उस जगह लगाएं जहां मधुमक्खी डंक मारा है. इससे मरीज को राहत मिलती है.

नहीं चल रहा जागरुकता अभियान

वन विभाग के पदाधिकारी डॉक्टर ओम प्रकाश साहू बताते हैं कि मधुमक्खियों के छत्ते को हटाने के लिए कई प्रकार के सुरक्षा इंतजाम करना पड़ता है. रात के समय में कैंडल लाइट का उपयोग करें. इसके साथ ही पूरे शरीर को कपड़े से ढक लें और हाथ में ग्लब्स अवश्य पहने. उन्होंने बताया कि झारखंड में मधुमक्खियों के छत्ते को हटाने के लिए फिलहाल लोगों के बीच जागरूकता अभियान नहीं चलाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बिना सुरक्षा इंतजाम किए मधुमक्खियों के छत्ते को नहीं उजाड़ने, अन्यथा खतरा हो सकता है.

तत्काल हटाएं मधुमक्खी का छत्ता

वहीं रिम्स आए मरीज मरीज मथुरा शर्मा ने बताया कि अस्पताल में मरीज भर्ती पहले से कमजोर होते हैं. इस स्थिति में मधुमक्खी का हमला हो जाए, तो मरीज की स्थिति और गंभीर बन जाएगी. उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन को इस पर विचा तत्काल संज्ञान लेकर मधुमक्खी के छत्ते को हटाना चाहिए.

रांची: जंगलों से घिरा झारखंड के लोग जंगली जानवरों से आए दिन परेशान होते रहते हैं. अब मधुमक्खियों के हमले भी होने लगे है. पिछले दिनों गिरिडीह जिले में मधुमक्खियों के हमले से कई लोगों की मौत हो गई. इसके बावजूद झारखंड के स्वास्थ्य विभाग गंभीर नहीं है. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स परिसर में ही मधुमक्खियों का छत्ता है, जिससे डॉक्टरों, कर्मचारियों के साथ साथ मरीजों के लिए हमेशा खतरा बना हुआ है. लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

यह भी पढ़ेंःमधुमक्खियों का आतंक: हमले में बुजुर्ग दंपती की गई जान, लगातार दूसरे दिन बोला हमला

रिम्स परिसर के साथ साथ स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय एनएचआरएम में स्वास्थ्य मंत्री से लेकर स्वास्थ्य विभाग अधिकारी हमेशा बैठक करते हैं, लेकिन मधुमक्खियों का छत्ता इन अधिकारियों को दिखाई नहीं देता है. आगर रिम्स परिसर में मधुमक्खी हमला कर दे, तो बड़ी संख्या में लोग परेशानी में फंस सकते हैं.

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स्वास्थ्य मुख्यालय में भी मधुमक्खियों का छत्ता

मधुमक्खियों के छत्ते को हटाने के संबंध में एनएचआरएम के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की, तो वह कुछ भी कहने से बचते नजर आए. अब सवाल यह है कि जब स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय और राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में ही अधिकारी अपनी सुरक्षा को लेकर सजग नहीं है तो दूसरे स्थानों पर क्या स्थिति होगी.

मधुमक्खियों के हमले से ज्यादा खतरा

मधुमक्खियों का शहद जितना मीठा होता है, उसका डंक उतना ही घातक होता है. किसी व्यक्ती को मधुमक्खी डंक मार दें तो डंक लगे शरीर के हिस्से में सूजन के साथ तेज दर्द शुरू हो जाता है. किसी-किसी व्यक्ति को मधुमक्खी के डंक की असर से कई दिन तक बुखार लगा रहता है. अगर मधुमक्खियों का झुंड किसी व्यक्ति पर हमला कर दे तो डंक से मौत भी हो जाती है.



एक-दो मधुमक्खियों के डंक से ज्यादा खतरा नहीं

डॉ. डीके सिन्हा कहते हैं कि मधुमक्खी के काटने के बाद उस हिस्से में तेज दर्द, सूजन, लालीपन और खुजली महसूस होने लगता है. उन्होंने कहा कि मधुमक्खी का काटना कभी-कभी खतरनाक हो जाता है. एक-दो मधुमक्खियों ने काटा से ज्यादा नुकसान नहीं होता है, लेकिन मधुमक्खियों का झुंड किसी व्यक्ति पर हमला कर दें तो खतरा बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि मधुमक्खियों के काटने से संबंधित मरीज रिम्स में आते रहते हैं. इससे निपटने के लिए मेडिसिन विभाग में सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त हैं. उन्होंने घरेलू इलाज का सलाह देते हुए कहा कि बेकिंग सोडा में पानी मिलाकर पेस्ट बना लें और फिर उसे उस जगह लगाएं जहां मधुमक्खी डंक मारा है. इससे मरीज को राहत मिलती है.

नहीं चल रहा जागरुकता अभियान

वन विभाग के पदाधिकारी डॉक्टर ओम प्रकाश साहू बताते हैं कि मधुमक्खियों के छत्ते को हटाने के लिए कई प्रकार के सुरक्षा इंतजाम करना पड़ता है. रात के समय में कैंडल लाइट का उपयोग करें. इसके साथ ही पूरे शरीर को कपड़े से ढक लें और हाथ में ग्लब्स अवश्य पहने. उन्होंने बताया कि झारखंड में मधुमक्खियों के छत्ते को हटाने के लिए फिलहाल लोगों के बीच जागरूकता अभियान नहीं चलाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बिना सुरक्षा इंतजाम किए मधुमक्खियों के छत्ते को नहीं उजाड़ने, अन्यथा खतरा हो सकता है.

तत्काल हटाएं मधुमक्खी का छत्ता

वहीं रिम्स आए मरीज मरीज मथुरा शर्मा ने बताया कि अस्पताल में मरीज भर्ती पहले से कमजोर होते हैं. इस स्थिति में मधुमक्खी का हमला हो जाए, तो मरीज की स्थिति और गंभीर बन जाएगी. उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन को इस पर विचा तत्काल संज्ञान लेकर मधुमक्खी के छत्ते को हटाना चाहिए.

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