रांचीः मौसम विभाग ने 1 जून से 20 जुलाई तक वर्षापात की स्थिति के आकलन में राज्य में सामान्य से 13 प्रतिशत कम बारिश होने और प्रदेश के 24 जिलों में से मात्र 5 जिलों में सामान्य बारिश की बात कही थी. साथ ही विभाग ने शेष 19 जिलों में औसत से कम बारिश होने और 5 जिलों को स्कैटी क्षेत्र के रूप में उभरने की भी बात कही थी. 21 जुलाई को जारी पूर्वानुमान में मौसम विभाग ने पूरे झारखंड में पूरी तरह से मानसून सक्रिय होने और 24 जुलाई तक लगातार भारी बारिश होने की संभावना जताई है. मानसून का यह प्रभाव 22, 23 और 24 जुलाई को प्रदेश के कई जिलों में होगा. वहीं, बारिश के मद्देनजर बीएयू के डीन एग्रीकल्चर डॉ एमएस यादव ने किसानों को जरूरी निर्देश दिए है.
जुलाई और अगस्त महीने तक धान की रोपाई
बारिश में कमी और मानसून की मौजूदा स्थिति में बीएयू के शस्य विशेषज्ञ और डीन एग्रीकल्चर डॉ. एमएस यादव ने धान फसल की रोपाई में देरी होने की बात कही है. उन्होंने ज्यादा या कम बारिश की स्थिति में किसानों को जुलाई और अगस्त महीने तक धान की रोपाई करने को कहा है. साथ ही किसानों को धान रोपा वाले खेत को अच्छी तरह जोतकर मिट्टी को खुला छोड़ने और खेतों के मेढ़ को दुरूस्त करने की जरूरत बताई है, ताकि खेतों में बढ़िया जल-जमाव हो सके और खेतों में खर–पतवार भली भांति सड़ जाए.
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4 बिचड़ा प्रति स्थान रोपाई करने की सलाह
वहीं, डॉ. एमएस यादव ने एक महीने से पुराने बिचड़े के ऊपरी 10 सेमी हिस्से को काटकर और बिचड़ों की जड़ को 2 ग्राम डीएपी और 2 ग्राम एमओपी प्रति लीटर घोल में डालकर रातभर रखने के बाद सुबह धान का रोपा करने की सलाह दी. धान की रोपाई के लिए कतार से कतार की दूरी 20 सेमी और पौध से पौध की दूरी 10 सेमी रखने और 4 बिचड़ा प्रति स्थान रोपाई करने की भी सलाह दी है.
धान की सीधी बोआई
धान का बिचड़ा उपलब्ध या तैयार नहीं होने की स्थिति में किसानों को धान की सीधी बोआई करने को कहा. इसमें कम अवधि वाली किस्मों में बिरसा विकास धान-110, बिरसा विकास धान–111, वंदना, ललाट, नवीन, सहभागी, आईआर– 64 (डीआरटी -1) में से किसी एक किस्म का चुनाव कर बोआई करने को कहा. सीधी बोआई के लिए एक एकड़ में 40 किलो धान बीज का प्रयोग करने की बात कही. साथ ही खेतों में खर-पतवार नियंत्रण के लिए बोआई के 2-3 दिनों के बाद खर-पतवार नाशी दवा प्रेटिलाक्लोर का 4 मिली लीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करने को कहा है.