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लालू यादव को राजनीतिक गुरु मानने वाले बंधु तिर्की का विवादों से रहा है नाता, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

झारखंड में आदिवासी नेता बंधु तिर्की की शख्सियत उनके राजनीतिक गुरु लालू प्रसाद यादव से काफी मिलती है. देश की राजनीति के अहम किरदार लालू की तरह ही झारखंड की राजनीति में बंधु तिर्की भी महत्वपूर्ण खिलाड़ी रहे हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

bandhu tirkey
आदिवासी नेता बंधु तिर्की
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Published : Mar 28, 2022, 4:57 PM IST

Updated : Mar 29, 2022, 8:58 PM IST

हैदराबादः झारखंड की राजनीति के विवादित शख्सियत बंधु तिर्की को आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई है. ये झारखंड की राजनीति के बड़े आदिवासी चेहरे हैं. आदिवासी आंदोलनों से झारखंड की सियासत के अहम किरदार बने बंधु तिर्की राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को अपना गुरु मानते हैं. पिछले दिनों उन्होंने राजद नेता से मुलाकात भी की थी. तिर्की के गुरु लालू प्रसाद यादव के बिना जिस तरह बिहार की राजनीति की चर्चा बेमानी है, उसी तरह जब-जब झारखंड के आदिवासी नेताओं की चर्चा तिर्की के बिना पूरी नहीं होगी. आदिवासी नेताओं के शिखर पर पहुंचने और विवादित होने की कहानी भी बंधु के बिना पूरी नहीं होगी.

ये भी पढ़ें-आय से अधिक संपत्ति मामलाः विधायक बंधु तिर्की को तीन साल की सजा

सियासी सफरः बंधु तिर्की ने अपनी राजनीति की शुरुआत राजद नेता लालू प्रसाद यादव के मार्गदर्शन में शुरू किया था. आदिवासियों के मुद्दों पर वो मुखर रहे हैं और अक्सर इसको लेकर अपनी आवाज उठाते रहे हैं. वर्ष 2000 में झारखंड का गठन हुआ था और झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने थे बाबूलाल मरांडी. भाजपा नेता मरांडी के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में झारखंड में कई दिनों तक डोमिसाइल आंदोलन चला था. इस आंदोलन में बंधु तिर्की काफी सक्रिय थे.

इसी आंदोलन से जुटाई राजनीतिक पूंजी के बीच जब 2005 में झारखंड विधानसभा के चुनाव हुए तो बंधु तिर्की UGDP के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते. झारखंड की राजनीतिक अस्थिरता के बीच सितंबर 2006 में निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा मुख्यमंत्री बने तो उनके मंत्रिमंडल में वर्ष 2006 से 2008 के बीच मंत्री के रूप में बंधु तिर्की ने शिक्षा और खेल जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाला. बंधु का विवादों से हमेशा नाता बना रहा. खेल मंत्री रहते हुए इनका नाम राष्ट्रीय खेल घोटाले में आया. एसीबी ने इन्हें गिरफ्तार भी किया. फिर जमानत पर भी छूटे.

इधर 2009 में हुए असेंबली इलेक्शन में जीत कर वे फिर विधानसभा पहुंचे. 11 अगस्त 2010 को सीबीआई ने तिर्की के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति जुटाने के मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली. वहीं राजनीतिक उठापटक के बीच वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. 2014 में वे तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और इस बार उन्हें भाजपा की गंगोत्री कुजूर से हार मिली. इसके बाद राजनीति में सक्रिय रहने के साथ उन्होंने अपनी पार्टी झारखंड जनाधिकार मोर्चा बना ली. इस दौरान भी वो आदिवासियों के मुद्दे को लेकर काफी मुखर रहे और अपनी पार्टी का विलय जेवीएम में कर दिया.

2019 के विधानसभा चुनाव में बंधु तिर्की जेवीएम (प्रजातांत्रिक) के टिकट पर लड़े और मांडर से फिर से जीते. लेकिन जीत के कुछ दिन बाद ही बाबूलाल मरांडी ने उन्हें और प्रदीप यादव को पार्टी विरोध गतिविधियों के कारण पार्टी से सस्पेंड कर दिया और बाबूलाल ने जेवीएम का विलय बीजेपी में कर दिया. जेवीएम से निष्कासित दोनों विधायक 2020 में कांग्रेस में शामिल हो गए. इधर बंधु तिर्की पर कांग्रेस ने भरोसा जताया और 25 अगस्त 2021 को झारखंड कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया.

नेशनल गेम्स में घोटाले का आरोपः रांची में आयोजित 34वें राष्ट्रीय खेल में घोटाले के आरोप लगे थे. इसमें सरकार को 28 करोड़ 38 लाख नौ हजार रुपये का नुकसान हुआ था. बतौर खेल मंत्री रहे बंधु तिर्की पर आरोप लगा कि जरूरत से अधिक खेल सामग्री अधिक कीमत पर खरीदी गई. तिर्की पर यह भी आरोप लगा कि उन्होंने राशि स्वीकृत करने में नियमों का पालन नहीं किया. धनबाद में दो स्क्वैश कोर्ट के निर्माण में भी वित्तीय अनियमितता बरतने के तिर्की पर आरोप लगे. राष्ट्रीय खेल घोटाले में गिरफ्तारी से बचने के लिए बंधु तिर्की ने हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया, लेकिन राहत नहीं मिली. बाद में उन्हें एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने रांची के सिविल कोर्ट परिसर से गिरफ्तार कर लिया था. वह CBI कोर्ट में हाजिरी देने पहुंचे थे.

आय से अधिक संपत्ति का मामलाः आय से अधिक संपत्ति के मामले में 11 अगस्त 2010 को सीबीआई ने तिर्की के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. सीबीआई ने बंधु तिर्की को 12 दिसंबर 2018 को रांची के बनहौरा स्थित आवास से गिरफ्तार भी किया था, लेकिन करीब 40 दिन जेल में रहने के बाद उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. इस मामले में सीबीआई ने 16 जनवरी 2019 को आरोप गठित किया था. अब 28 मार्च 2022 को तिर्की को सीबीआई कोर्ट ने उन्हें आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में तीन साल की सजा सुनाई है. इससे पहले उनके राजनीतिक गुरु को भी चारा घोटाले में सजा सुनाई जा चुकी है.

तिर्की की पढ़ाई-लिखाईः 1960 में रांची के दहिसोत बन्होरा में जन्मे बंधु तिर्की ने सेंट जेवियर्स कॉलेज से 1982 में इंटरमीडिएट परीक्षा पास की है. रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया.

हैदराबादः झारखंड की राजनीति के विवादित शख्सियत बंधु तिर्की को आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई है. ये झारखंड की राजनीति के बड़े आदिवासी चेहरे हैं. आदिवासी आंदोलनों से झारखंड की सियासत के अहम किरदार बने बंधु तिर्की राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को अपना गुरु मानते हैं. पिछले दिनों उन्होंने राजद नेता से मुलाकात भी की थी. तिर्की के गुरु लालू प्रसाद यादव के बिना जिस तरह बिहार की राजनीति की चर्चा बेमानी है, उसी तरह जब-जब झारखंड के आदिवासी नेताओं की चर्चा तिर्की के बिना पूरी नहीं होगी. आदिवासी नेताओं के शिखर पर पहुंचने और विवादित होने की कहानी भी बंधु के बिना पूरी नहीं होगी.

ये भी पढ़ें-आय से अधिक संपत्ति मामलाः विधायक बंधु तिर्की को तीन साल की सजा

सियासी सफरः बंधु तिर्की ने अपनी राजनीति की शुरुआत राजद नेता लालू प्रसाद यादव के मार्गदर्शन में शुरू किया था. आदिवासियों के मुद्दों पर वो मुखर रहे हैं और अक्सर इसको लेकर अपनी आवाज उठाते रहे हैं. वर्ष 2000 में झारखंड का गठन हुआ था और झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने थे बाबूलाल मरांडी. भाजपा नेता मरांडी के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में झारखंड में कई दिनों तक डोमिसाइल आंदोलन चला था. इस आंदोलन में बंधु तिर्की काफी सक्रिय थे.

इसी आंदोलन से जुटाई राजनीतिक पूंजी के बीच जब 2005 में झारखंड विधानसभा के चुनाव हुए तो बंधु तिर्की UGDP के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते. झारखंड की राजनीतिक अस्थिरता के बीच सितंबर 2006 में निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा मुख्यमंत्री बने तो उनके मंत्रिमंडल में वर्ष 2006 से 2008 के बीच मंत्री के रूप में बंधु तिर्की ने शिक्षा और खेल जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाला. बंधु का विवादों से हमेशा नाता बना रहा. खेल मंत्री रहते हुए इनका नाम राष्ट्रीय खेल घोटाले में आया. एसीबी ने इन्हें गिरफ्तार भी किया. फिर जमानत पर भी छूटे.

इधर 2009 में हुए असेंबली इलेक्शन में जीत कर वे फिर विधानसभा पहुंचे. 11 अगस्त 2010 को सीबीआई ने तिर्की के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति जुटाने के मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली. वहीं राजनीतिक उठापटक के बीच वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. 2014 में वे तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और इस बार उन्हें भाजपा की गंगोत्री कुजूर से हार मिली. इसके बाद राजनीति में सक्रिय रहने के साथ उन्होंने अपनी पार्टी झारखंड जनाधिकार मोर्चा बना ली. इस दौरान भी वो आदिवासियों के मुद्दे को लेकर काफी मुखर रहे और अपनी पार्टी का विलय जेवीएम में कर दिया.

2019 के विधानसभा चुनाव में बंधु तिर्की जेवीएम (प्रजातांत्रिक) के टिकट पर लड़े और मांडर से फिर से जीते. लेकिन जीत के कुछ दिन बाद ही बाबूलाल मरांडी ने उन्हें और प्रदीप यादव को पार्टी विरोध गतिविधियों के कारण पार्टी से सस्पेंड कर दिया और बाबूलाल ने जेवीएम का विलय बीजेपी में कर दिया. जेवीएम से निष्कासित दोनों विधायक 2020 में कांग्रेस में शामिल हो गए. इधर बंधु तिर्की पर कांग्रेस ने भरोसा जताया और 25 अगस्त 2021 को झारखंड कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया.

नेशनल गेम्स में घोटाले का आरोपः रांची में आयोजित 34वें राष्ट्रीय खेल में घोटाले के आरोप लगे थे. इसमें सरकार को 28 करोड़ 38 लाख नौ हजार रुपये का नुकसान हुआ था. बतौर खेल मंत्री रहे बंधु तिर्की पर आरोप लगा कि जरूरत से अधिक खेल सामग्री अधिक कीमत पर खरीदी गई. तिर्की पर यह भी आरोप लगा कि उन्होंने राशि स्वीकृत करने में नियमों का पालन नहीं किया. धनबाद में दो स्क्वैश कोर्ट के निर्माण में भी वित्तीय अनियमितता बरतने के तिर्की पर आरोप लगे. राष्ट्रीय खेल घोटाले में गिरफ्तारी से बचने के लिए बंधु तिर्की ने हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया, लेकिन राहत नहीं मिली. बाद में उन्हें एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने रांची के सिविल कोर्ट परिसर से गिरफ्तार कर लिया था. वह CBI कोर्ट में हाजिरी देने पहुंचे थे.

आय से अधिक संपत्ति का मामलाः आय से अधिक संपत्ति के मामले में 11 अगस्त 2010 को सीबीआई ने तिर्की के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. सीबीआई ने बंधु तिर्की को 12 दिसंबर 2018 को रांची के बनहौरा स्थित आवास से गिरफ्तार भी किया था, लेकिन करीब 40 दिन जेल में रहने के बाद उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. इस मामले में सीबीआई ने 16 जनवरी 2019 को आरोप गठित किया था. अब 28 मार्च 2022 को तिर्की को सीबीआई कोर्ट ने उन्हें आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में तीन साल की सजा सुनाई है. इससे पहले उनके राजनीतिक गुरु को भी चारा घोटाले में सजा सुनाई जा चुकी है.

तिर्की की पढ़ाई-लिखाईः 1960 में रांची के दहिसोत बन्होरा में जन्मे बंधु तिर्की ने सेंट जेवियर्स कॉलेज से 1982 में इंटरमीडिएट परीक्षा पास की है. रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया.

Last Updated : Mar 29, 2022, 8:58 PM IST
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