रांची: झारखंड की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का तौर तरीका बदल रहा है. इसपर फिल्मी डायलॉग का लेप चढ़ने लगा है. शायद इस वजह से भी कि लोगों को बात समझाने में आसानी हो सके. आपको याद होगा कि मशहूर फिल्म शोले में जय और बीरू से मात खाकर लौटे तीन डकैतों को इनामी गब्बर सिंह ने कहा था कि 'ये तीन .....गब्बर सिंह का नाम पूरा मिट्टी में मिलाए दिए'. इसी डायलॉग को एक्स हैंडल पर ट्विस्ट कर बाबूलाल मरांडी ने सीएम के खिलाफ इस्तेमाल किया है.
बाबूलाल मरांडी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा कि आपने तो अपनी काली करतूतों से हम आदिवासियों के नाम को मिट्टी में मिलाने का काम किया है. बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया है कि जमीन घोटाला में ईडी के सामने हेमंत सेरेन के सारे हथकंडे विफल होते जा रहे हैं. ऐसे में सिर्फ एक ही रास्ता नजर आ रहा है आदिवासी होने का विक्टिम कार्ड. सच्चा आदिवासी कभी भी गलत रास्तों पर नहीं चलता.
किस बात पर बाबूलाल साध रहे हैं निशाना: दरअसल, 5 अक्टूबर को कैबिनेट की बैठक के बाद सीएम ने कहा था कि मैं आदिवासी समुदाय से आता हूं, इसलिए उनपर आरोप लगाया जाता है कि उन्होंने बेनामी संपत्ति अर्जित की है. लेकिन आपको पता है कि आदिवासी जमीन की किस तरह से खरीद-बिक्री होती है. जिस संपत्ति की न खरीद होती है, न बिक्री होती है, न बैंक मदद करता है तो ऐसी संपत्ति लेकर आदमी क्या करेगा? उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों के तौर-तरीके पर भी सवाल खड़े किए थे.
इसी बयान का जिक्र करते हुए बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया है कि आपने और आपके परिवार ने महज कुछ पैसों के लिए झारखंड आंदोलन को बेच दिया. रांची से लेकर संथाल तक आदिवासियों की सैंकड़ों एकड़ जमीनें हड़प ली. आपके परिवार ने सिर्फ निजी लाभ के लिए दशकों से सबसे ज्यादा उन्हीं आदिवासियों का शोषण किया है, उनकी जमीन लूट ली है, जिन्होंने आप सबों पर भरोसा कर सर-आंखों पर बिठाया.
बाबूलाल मरांडी ने निशाना साधते हुए पूछा है कि ये फाइल(लाख), फोल्डर(करोड़) और बॉस (मुख्यमंत्री) के आधुनिक आविष्कार पर चुप्पी क्यों? कुछ तो बोलिए. लूट संस्कृति की इन आधुनिक शब्दावली की पढ़ाई किस स्कूल से की थी आपने ? देश की न्यायिक प्रणाली के सामने आपके पैंतरे काम नहीं आएंगे. वोट का मतलब लूट का लाइसेंस नहीं है. देर सबेर आपको गंभीर परिणाम भुगतना ही होगा!
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि साहिबगंज में आदिवासी बेटी के शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिए गये. आदिवासी महिलाओं के साथ दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध हुए. तब कहां चली गई थी आपकी आदिवासियत? हालांकि झामुमो की तरफ से हमेशा बाबूलाल मरांडी को जवाब दिया जाता है. झामुमो का एक ही जवाब होता है कि बाबूलाल मरांडी अब झारखंड की राजनीति में फूंका हुआ कारतूस हो गये हैं.