रांची: पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का प्रकरण में न्यायिक आयोग गठित किए जाने की आलोचना की है. विधानसभा परिसर में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा कि मुख्यमंत्री, राजीव अरुण एक्का को बचाना चाहते हैं. यही वजह है कि इस तरह का न्यायिक आयोग गठित किया गया है. उन्होंने कहा कि यह दूसरा मौका है जब मुख्यमंत्री के द्वारा बाजीगिरी की गई है.
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बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि इससे पहले साहिबगंज में माइंस लोडिंग को लेकर न्यायिक आयोग का गठन करने की घोषणा सरकार के द्वारा की गई थी, जिसके अध्यक्ष भी जस्टिस विनोद कुमार गुप्ता को बनाया गया था. इस जांच आयोग को जो जिम्मेदारी दी गई वह भी आपत्तिजनक है. जहां से खनन का काम होता है और रेलवे तक पहुंचाया जाता है, उसे जांच करने के बजाए आयोग को सिर्फ रेलवे की ढुलाई के लिए जांच करने की जिम्मेदारी दी गई है, जो अपने आप में हास्यास्पद है. इसके पीछे सरकार की मंशा यही है की अवैध माइनिंग में लगे अपने लोगों को बचाया जा सके.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वे हमेशा से मांग करते रहे हैं कि राज्य में बड़े पैमाने पर अवैध माइनिंग होती है और इसमें जो भी शामिल हैं उन पर सरकार कठोर कार्रवाई करें. लेकिन सरकार उन्हें बचाने की कोशिश हर बार करती है. न्यायिक आयोग जो बनाया गया हैं उसमें भी आयोग को केवल रेलवे में लोडिंग की जांच करनी है. उन्होंने सरकार से इस अवैध कारोबार की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग की है.
राजीव अरुण एक्का की हो गिरफ्तारी की मांग: बाबूलाल मरांडी ने जस्टिस विनोद कुमार गुप्ता के नेतृत्व में न्यायिक आयोग के गठन करने की घोषणा के बारे में कहा कि राजीव अरुण एक्का पर पुलिस निगम भवन में अनियमितता प्रकाश में आया है. इसके अलावा भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं. वह संपूर्ण जांच नहीं करा कर सरकार ने सिर्फ वीडियो क्लिपिंग की जांच कराने का निर्णय लिया है. ऐसे में सरकार का यह निर्णय कहीं न कहीं भ्रष्टाचार में लिप्त राजीव अरुण एक्का को बचाने का ही है. उन्होंने कहा कि वे लगातार मांग कर रहे हैं कि राजीव अरुण एक्का को या तो निलंबित किया जाए या उन पर कार्रवाई कर गिरफ्तारी हो, मगर सरकार उन्हें बचाने के लिए इस तरह के आयोग का गठन कर उलझाने का कोशिश कर रही है.