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बाबूलाल के वकील ने ट्रिब्यूनल पर उठाए गंभीर सवाल, स्पीकर बोले -तय किए जा चुके हैं सुनवाई के बिंदु

बाबूलाल मरांडी के खिलाफ दलबदल को लेकर दायर सभी चार मामलों में स्पीकर रबींद्रनाथ महतो के ट्रिब्यूनल में सुनवाई हुई. इस पर बाबूलाल मरांडी के वकील आरएन सहाय ने आपत्ति जताई.

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बाबूलाल के वकील ने ट्रिब्यूनल पर उठाए गंभीर सवाल
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Published : May 17, 2022, 4:19 PM IST

Updated : May 17, 2022, 5:16 PM IST

रांची: भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के खिलाफ दलबदल को लेकर दायर सभी चार मामलों में मंगलवार को स्पीकर रबींद्रनाथ महतो की ट्रिब्यूनल में सुनवाई हुई. इस पर बाबूलाल मरांडी के वकील आरएन सहाय ने यह कहते हुए आपत्ति जताई कि उनके प्रीलिमनरी ऑब्जेक्शन पर ऑर्डर दिए बगैर सुनवाई करना कानून और संविधान के खिलाफ है. उन्होंने यहां तक कहा कि क्या यह राजा का कोर्ट है या स्पीकर का. इसपर स्पीकर ने कहा कि वह समेकित रूप से सुनवाई करेंगे. इसके लिए ट्रिब्यूनल ने आठ बिंदु तय किए हैं. इसकी जानकारी सभी पक्षों को दी जा चुकी है. यह तय करना ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र में आता है.

ये भी पढ़ें-बाबूलाल मरांडी दलबदल मामलाः विधानसभा न्यायाधिकरण में सुनवाई

बाद में भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी के वकील आरएन सहाय ने ट्रिब्यूनल से आग्रह किया कि बाबूलाल मरांडी की सदस्यता को लेकर चुनाव आयोग के फैसले को प्रदीप यादव ने हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है, इसलिए प्रीलिमनरी ऑब्जेक्शन पर इजलास की तरफ से फैसला आना चाहिए. उन्होंने रीसेटेलमेंट पिटिशन के जरिये बाबूलाल मरांडी के पक्ष में आए चुनाव आयोग के आदेश से जुड़े बिंदु को भी शामिल करने का आग्रह किया.

आरएन सहाय
वहीं दीपिका पांडेय सिंह की याचिका के खिलाफ बाबूलाल मरांडी की तरफ से अधिवक्ता अनिल कुमार ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि 16 फरवरी 2020 को बाबूलाल मरांडी के भाजपा में शामिल होने के पहले ही प्रदीप यादव और बंधु तिर्की कांग्रेस में जा चुके थे. दोनों ने खुद जेवीएम छोड़ने की बात कही थी. इसलिए बाबूलाल मरांडी पर दलबदल का मामला नहीं बनता है.

इस दौरान प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के वकील सुमीत गड़ोदिया ने सुनवाई के दौरान 2004 के डॉ. महाचंद्र प्रसाद सिंह के जजमेंट का हवाला दिया. सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि दलबदल मामले में अर्जी दाखिल कर वापस लेने के बाद भी मामला चल सकता है. बाबूलाल मरांडी का अकेले भाजपा में जाना दसवीं अनुसूची का उल्लंघन है. सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद स्पीकर ने अगले आदेश तक सुनवाई स्थगित कर दी. हालाकि यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस मामले में गवाही भी होगी या नहीं.

किन बिंदुओं पर हुई सुनवाई

1. क्या विधायक प्रदीप यादव, बंधु तिर्की, झामुमो विधायक भूषण तिर्की, कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह की अर्जी विलंब के कारण सुनने योग्य है या नहीं.

2. 16 फरवरी 2020 को बाबूलाल मरांडी भाजपा में शामिल हुए थे और इसकी सूचना विधानसभा को भी दी थी. उस दिन जेवीएम के विधायकों की संख्या क्या थी और कौन कौन उस दल के सदस्य थे.

3. बाबूलाल मरांडी का जेवीएम को स्वेच्छा से छोड़ा जाना ,10वीं अनुसूची के तहत सही माना जाएगा या नहीं.

4. बाबूलाल मरांडी का अकेले भाजपा में जाना 10वीं अनुसूची के पारा 4 के लाभ के दायरे में आता है या नहीं.

5. बाबूलाल मरांडी का तथ्यों के आधार पर विलय का दावा करना, दसवीं अनुसूची के पारा 4 के तहत मान्य है या नहीं.

6. प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को पार्टी निष्कासित करने के बाद कितनी सदस्य संख्या पूर्ववत रही या नहीं.

7. बाबूलाल मरांडी पर झारखंड विधानसभा नियम 2006 के आधार पर निर्हर्ता लागू होती है या नहीं.

8. अगर बाबूलाल मरांडी अयोग्य घोषित हुए तो किस तिथि से लागू होगी.

रांची: भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के खिलाफ दलबदल को लेकर दायर सभी चार मामलों में मंगलवार को स्पीकर रबींद्रनाथ महतो की ट्रिब्यूनल में सुनवाई हुई. इस पर बाबूलाल मरांडी के वकील आरएन सहाय ने यह कहते हुए आपत्ति जताई कि उनके प्रीलिमनरी ऑब्जेक्शन पर ऑर्डर दिए बगैर सुनवाई करना कानून और संविधान के खिलाफ है. उन्होंने यहां तक कहा कि क्या यह राजा का कोर्ट है या स्पीकर का. इसपर स्पीकर ने कहा कि वह समेकित रूप से सुनवाई करेंगे. इसके लिए ट्रिब्यूनल ने आठ बिंदु तय किए हैं. इसकी जानकारी सभी पक्षों को दी जा चुकी है. यह तय करना ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र में आता है.

ये भी पढ़ें-बाबूलाल मरांडी दलबदल मामलाः विधानसभा न्यायाधिकरण में सुनवाई

बाद में भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी के वकील आरएन सहाय ने ट्रिब्यूनल से आग्रह किया कि बाबूलाल मरांडी की सदस्यता को लेकर चुनाव आयोग के फैसले को प्रदीप यादव ने हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है, इसलिए प्रीलिमनरी ऑब्जेक्शन पर इजलास की तरफ से फैसला आना चाहिए. उन्होंने रीसेटेलमेंट पिटिशन के जरिये बाबूलाल मरांडी के पक्ष में आए चुनाव आयोग के आदेश से जुड़े बिंदु को भी शामिल करने का आग्रह किया.

आरएन सहाय
वहीं दीपिका पांडेय सिंह की याचिका के खिलाफ बाबूलाल मरांडी की तरफ से अधिवक्ता अनिल कुमार ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि 16 फरवरी 2020 को बाबूलाल मरांडी के भाजपा में शामिल होने के पहले ही प्रदीप यादव और बंधु तिर्की कांग्रेस में जा चुके थे. दोनों ने खुद जेवीएम छोड़ने की बात कही थी. इसलिए बाबूलाल मरांडी पर दलबदल का मामला नहीं बनता है.

इस दौरान प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के वकील सुमीत गड़ोदिया ने सुनवाई के दौरान 2004 के डॉ. महाचंद्र प्रसाद सिंह के जजमेंट का हवाला दिया. सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि दलबदल मामले में अर्जी दाखिल कर वापस लेने के बाद भी मामला चल सकता है. बाबूलाल मरांडी का अकेले भाजपा में जाना दसवीं अनुसूची का उल्लंघन है. सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद स्पीकर ने अगले आदेश तक सुनवाई स्थगित कर दी. हालाकि यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस मामले में गवाही भी होगी या नहीं.

किन बिंदुओं पर हुई सुनवाई

1. क्या विधायक प्रदीप यादव, बंधु तिर्की, झामुमो विधायक भूषण तिर्की, कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह की अर्जी विलंब के कारण सुनने योग्य है या नहीं.

2. 16 फरवरी 2020 को बाबूलाल मरांडी भाजपा में शामिल हुए थे और इसकी सूचना विधानसभा को भी दी थी. उस दिन जेवीएम के विधायकों की संख्या क्या थी और कौन कौन उस दल के सदस्य थे.

3. बाबूलाल मरांडी का जेवीएम को स्वेच्छा से छोड़ा जाना ,10वीं अनुसूची के तहत सही माना जाएगा या नहीं.

4. बाबूलाल मरांडी का अकेले भाजपा में जाना 10वीं अनुसूची के पारा 4 के लाभ के दायरे में आता है या नहीं.

5. बाबूलाल मरांडी का तथ्यों के आधार पर विलय का दावा करना, दसवीं अनुसूची के पारा 4 के तहत मान्य है या नहीं.

6. प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को पार्टी निष्कासित करने के बाद कितनी सदस्य संख्या पूर्ववत रही या नहीं.

7. बाबूलाल मरांडी पर झारखंड विधानसभा नियम 2006 के आधार पर निर्हर्ता लागू होती है या नहीं.

8. अगर बाबूलाल मरांडी अयोग्य घोषित हुए तो किस तिथि से लागू होगी.

Last Updated : May 17, 2022, 5:16 PM IST
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